क्या सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के इस अपमान का जवाब देगी!

पलश सुरजान

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क्या कंगना राणावत भारत के इतिहास से बिलकुल परिचित नहीं हैं, क्या कंगना राणावत को खुद को सर्वज्ञानी समझती हैं, क्या कंगना राणावत को एक कलाकार के रूप में मिली प्रसिद्धि काफी नहीं लगती, जो बार-बार ऐसे बयान देती हैं, जिनसे विवाद पैदा हो, क्या कंगना राणावत को मोदी सरकार में इस बात का अभयदान मिल चुका है कि वो जो मुंह में आए वो बोलें और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। ये सारे सवाल आज इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इस बार अपने विवादित बयानों के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कंगना ने सरकार के लिए भक्ति और चाटुकारिता की सारी हदें ही पार कर दी हैं।

कंगना ने गोदी मीडिया वाले एक चैनल के कार्यक्रम में कहा कि अगर आज़ादी भीख में मिले, तो क्या वो आजादी हो सकती है। कंगना के मुताबिक 1947 में जो आजादी मिली थी वो भीख थी, असली आजादी 2014 में मिली है। इसी कार्यक्रम में कंगना ने खुद को सच्चा देशभक्त बताया और साथ ही ये भी कहा कि वो प्रधानमंत्री मोदी को सुपर स्टार मानती हैं।
कोई और मंच होता या किसी सामान्य नागरिक ने आजादी को लेकर ऐसी बात कही होती तो अब तक शायद उस पर देशद्रोह का मुकदमा अब तक चल चुका होता, या कथित राष्ट्रवादी सेना इसे तिरंगे का अपमान बताती हुई, उस मंच पर तोड़-फोड़ करने पहुंच चुकी होतीं, लेकिन बात कंगना राणावत ने कही है, तो इस बात की उम्मीद ही अधिक है कि मोदी सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी, न कंगना पर किसी तरह की सख़्ती बरती जाएगी।

बल्कि ये हो सकता है कि अभी तो उन्हें केवल 4 राष्ट्रीय पुरस्कार और एक पद्मश्री मिले हैं, अगले ढाई सालों में यानी 2024 तक उन्हें पद्मविभूषण तक के सम्मान मिल जाएंगे। इस देश में मौजूदा सरकार को कुछ और वक्त दिया गया तो कंगना जैसे लोगों को भारत रत्न का हकदार भी बताया जा सकता है। अभी ये बातें सुनने में अतिशयोक्ति लग सकती हैं, लेकिन इस वक्त देश में जैसा हाल बन चुका है, उसमें इस तरह की कोई भी बात बड़ी नहीं लगेगी। आज से सात साल पहले आजादी, देश के इतिहास, देश के महापुरुष, पिछली सरकारों को हासिल उपलब्धियों और विपक्षी नेताओं के लिए इस तरह की बातें कहां होती थीं। कुछेक मंचों से जरूर इस तरह की अनर्गल बातें कही जाती थीं, तो लोग तुरंत उस पर जवाब देते थे और तर्कों के साथ बातों को खारिज करते थे।

मगर अब तो कुतर्कों, अपशब्दों, अपमानजनक बातों और इतिहास की गलत व्याख्या का एक सिलसिला चल पड़ा है, जिसे रोकने की जगह बढ़ावा दिया जा रहा है। कंगना के बयान पर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ज़रूर जवाब दिया। उन्होंने लिखा- कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह? किसी भी भारतीय को आजादी का भीख में मिलने वाला बयान चुभेगा ही, इसलिए वरुण गांधी ने अपनी बात सामने रखी।

लेकिन इस पर कंगना ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर जवाब दिया क्योंकि उनके ट्विटर एकाउंट अभी प्रतिबंधित है। कंगना ने लिखा ‘जबकि मैंने साफ़-साफ़ 1857 में हुए देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम का ज़िक्र किया है जो कि असफल रहा। इसकी वजह से ब्रिटिशर्स की ओर से हमें काफी अत्याचार और क्रूरता झेलनी पड़ी। …और फिर लगभग 100 सालों बाद हमें आज़ादी दी गई गांधी की भीख पर। जा और रो अब।’ इधर हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है। कंगना राणावत को हाल ही में पद्मश्री सम्मान दिया गया है। श्री मांझी ने राष्ट्रपति से मांग की है कि कंगना से ये सम्मान वापस ले लेना चाहिए।

श्री मांझी ने ट्वीट में आगे लिखा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो दुनिया समझेगी, कि गांधी, नेहरू,भगत सिंह, पटेल, कलाम, मुखर्जी, सावरकर सब के सब ने भीख मांगी तो आजादी मिली! मांझी ने ये भी लिखा है कि ऐसी कंगना पर लानत है। एक सांसद को तो ‘जा और रो अब’ जैसे अपमान भरे लहजे में कंगना ने जवाब दिया है, देखना होगा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री को वो किस तरह जवाब देती हैं। और बीजेपी अपने सांसद, अपने गठबंधन साथी के साथ खड़े होती है या नहीं। वैसे क्या कंगना राणावत में इतनी हिम्मत है कि वो सरकार से पूछें कि जब आज़ादी 2014 में मिली तो अभी किस बात का अमृत महोत्सव माना जा रहा है ?

कंगना इससे पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुकी हैं। कभी किसान आंदोलन को आतंकी कहा, कभी बंगाल चुनाव में भाजपा की हार के बाद एक ट्वीट में खून की प्यासी राक्षसी ताड़का कहा, उनका इशारा ममता बनर्जी की ओर था। वेब सीरीज तांडव पर खड़े हुए विवाद में भी कंगना कूदी थीं, रिप्ड जींस का विवाद हो या इज़रायल-फिलीस्तीन संघर्ष, हर मसले पर कंगना ने अपनी विशेषज्ञता दिखाते हुए टिप्पणी की है, जो उनके बड़बोलेपन को तो दर्शाती ही है, ये भी दिखाती है कि कंगना प्रचार की कितनी भूखी हैं। प्रचार पाने की चाह में अब वो देश की आजादी को भी घसीट लाईं, इसे भीख में मिला बता दिया, जबकि इस देश के आजाद नागरिक आज भी उन लोगों के ऋ ण से उबर नहीं पाए हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया।

घर छोड़ने, ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ने से लेकर हंसते-हंसते अंग्रेजों की लाठियां-गोलियां खाने वाले, और फांसी के फंदे पर झूलने वालों की एक बड़ी विरासत आज देश के पास है। इनमें से कुछ के नाम अमर शहीदों और क्रांतिकारियों में दर्ज हैं, कई गुमनाम ही रह गए। अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति के लिए सभी ने अलग-अलग तरह से लड़ाई लड़ी, लेकिन मक़सद तो सबका एक ही था – आज़ादी। कंगना जैसे लोग इस आजादी की कीमत कब समझेंगे, ये देखना होगा। ये भी देखना होगा कि राष्ट्रवाद की माला जपने वाली मोदी सरकार आज़ादी को लेकर की गई इस अपमानजनक टिप्पणी का जवाब देती है या नहीं।