नई दिल्लीः ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार तंज किया है। उन्होंने दिल्ली पुलिस द्वारा किसान आंदोलन स्थल पर कंकरीट बिछाने और सड़क पर कील ठोकने पर तंज किया है। ओवैसी ने कहा कि इतनी मुस्तैदी अगर चीन के लिये दिखाई होती तो आज चीन हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं कर पाता।
ओवैसी ने कहा कि दिल्ली में किसानों को रोकने के लिए जिस प्रकार मोदी सरकार ने चालें चली और हथकंडे अपनाये अगर उसी तरह चाइना की बॉर्डर पर हथकंडे अपनाते तो आज चाइना हमारे ज़मीनों पर बस्ती नहीं बसा पाते और एक हज़ार स्क्वैर किलो मीटर ज़मीन पर क़ब्ज़ा नहीं कर पाते। औवेसी ने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के कारण हुए हादसे पर भी पीड़ितो के लिये दुआ की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो लोग सैलाब में अभी भी फंसे हुए हैं अल्लाह उन्हें सेहत दे और उनको इस तकलीफ और मुसीबत से निजात दे।
ओवैसी ने सवाल किया कि लोकतंत्र में अन्याय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना संविधान में बुनियादी हक़ है, लेकिन जब सिख किसान फार्म बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं तो खालिस्तानी घोषित कर दिए जाते हैं, जब मुसलामानों CAA, NRC और NPR के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं तो जिहादी और जब दलित और आदिवासी अपने हक़ के लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं तो नक्सलवादी घोषित कर दिए जाते हैं। तो यह कैसा ‘सबका साथ सबका विश्वास है’?
बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर बीते ढ़ाई महीने से भी अधिक समय से चल रहा है। इस आंदोलन में अब तक डेढ़ सो से ज्यादा लोग सर्दी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। 26 जनवरी को इस आंदोलन में हिंसा भी हुई थी, जिसके बाद आंदोलनकारी किसानों को आलोचना का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन अब यह आंदोलन और व्यापक हो गया है।