नदीम अख़्तर
ओवैसी को लेकर सबसे बड़ी ग़लती तथाकथित सेक्यूलर दल कर रहे हैं, उन्होने ओवैसी को मुल्क के लिए एक बहुत बड़ा ख़तरा बनाकर पेश करना शुरू कर दिया है ,उनके साथ कटटर, जिन्ना, देशद्रोही जैसे शब्द जोड़ने शुरू कर दिये हैं। उनके इस प्रोपेगंडे से उन्हे दोहरा नुक़सान हो रहा है पहला नुक़सान तो यह कि ओवैसी पर लगाये इन झूठे इल्ज़ामों से ओवैसी मुसलमानों की हमदर्दी हासिल करने मे कामयाब हो रहे हैं ,दूसरा नुक़सान यह कि ओवैसी के इस झूठे प्रोपेगंडे से डर कर उनका अपना वोटर भाजपा पर भाग रहा है लेकिन तथाकथित सैक्युलर दल इन नुक़सानों से बेख़बर झुंझलाहट मे ओल फ़ोल बके जा रहा है मतलब वो मैच्योर पोलिटिकल एटीटयूड की जगह सौतन का सा बर्ताव शो कर रहे हैं।
क्या करें सेक्यूलर दल
उन्हें करना यह था कि हिंदुस्तान मे जैसे और छोटी छोटी सैंकड़ों पार्टियां हैं और वो थोड़ी थोड़ी सीट जीतकर आती हैं ऐसे ही ओवैसी और उनकी पार्टी को पेश करना था लेकिन इतनी अक़्ल होती तो ये दिन थोड़ा न होते। मतलब ख़ुद ही तो सारे हिंदुस्तान मे ओवैसी को मुसलमानों का लीडर डिक्लेयर कर रहे हैं और ख़ुद ही मुसलमानों से यह उम्मीद करते हैं कि वो ओवैसी से न जुड़ें, यह तो बिलकुल ही अजीब बात हुई।
बी. टीम कहे जाने पर भी हैं सवाल
जब भाजपा बी टीम बना सकती है तो दूसरी पार्टियां भाजपा को कमज़ोर करने के लिए बी टीम क्यों नही बनातीं? जब आप ओवैसी को भाजपा की बी टीम बताकर मुसलमानों को ओवैसी पर शिफ़्ट होने से रोकना चाहते हो तो इसी बी टीम की हक़ीक़त बताकर अपने वोटर को भाजपा पर शिफ़्ट होने से क्यों नही रोक पाते? क्योंकि बक़ौल आपके ओवैसी के बयान सेक्यूलर वोट को भाजपा पर शिफ़्ट कर देते हैं, तो उन्हें बता दो कि इन बयानों को गंभीरता न लें।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)