नई दिल्ली/पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में छः राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन बनाकर उतरे अल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिहार में राजद और कांग्रेस मिलकर भी भाजपा को नहीं रोक सकते। ये बातें उन्होंने एक ट्वीट में कही हैं। ओवैसी के इस कथन से विपक्षी पार्टियां अब उन पर हमलावर भी हो सकतीं हैं, क्योंकि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ओवैसी को भाजपा का आदमी बताया था।
उन्होने कहा कि राजद और कांग्रेस बिहार में भाजपा को नहीं रोक सकते, उन्होंने कभी भी राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी मुद्दों को नहीं उठाया। असद ओवैसी ने कहा कि मैं आपके सामने एक विकल्प के रूप में आ रहा हूं। साथ में, हम न सिर्फ भाजपा को रोकेंगे बल्कि आपके मुद्दों को भी प्रभावी ढंग से उठा सकेंगे। हैदराबाद से लोकसभा सांसद असद ओवैसी ने ये ट्वीट के यूजर के सवाल के जवाब में दिया।
RJD-Congress didn’t stop BJP in Bihar, neither did they raise your issues regarding education, healthcare, roads or electricity. I’m coming before you as an alternative. Together, we’ll not only stop BJP but we’ll also raise your issues effectively https://t.co/LgimNypuS5
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 20, 2020
ग़ौरतलब है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन सहित 6 राजनीतिक दलों ने मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया है। इस गठबंधन ने उपेंद्र कुशवाहा को अपना नेता घोषित किया है और उनके नेतृत्व में ही यह फ्रंट चुनाव लड़ रहा। कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सबसे ज्यादा 104 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि दूसरे नंबर पर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी है, बसपा ने 80 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। जबकि ओवैसी की पार्टी ने 24 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं तो वहीं समाजवादी जनता दल 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
इस गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों में सिर्फ ओवैसी की पार्टी ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास अपना एक विधायक है। यह विधायक भी साल 2019 में किशनगंज सीट पर हुए उपचुनाव में जीता था। जबकि ओवैसी की पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अख्तर उल ईमान तीन लाख से भी अधिक वोट लाकर जीत दर्ज नहीं कर पाए थे।