नई दिल्लीः कर्नाटक के उडुप्पी से शुरू हुआ हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा हिजाब को ग़ैर इस्लामी बताए जाने के बाद हिजाब पहनने के अधिकार के लिये संघर्ष करने वालीं छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिये कोई निश्चित तारीख देने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले पर पूर्व चुनाव आयुक्त ने कर्नाटक हाई कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “हिजाब कुरान का हिस्सा नहीं, लेकिन ये जरूर कहा गया है कि मर्द-औरत दोनों को शालीन कपड़े पहनने चाहिए। कॉलेज में बैन की बात हुई, लेकिन वहां तो यूनिफॉर्म नहीं होती। स्कूल यूनिफॉर्म में सिखों की पगड़ी, सिंदूर की इजाजत है तो फिर हिजाब से कैसी दिक्कत। हिजाब जरूरी है या नहीं ये जज साहब थोड़े ही बताएंगे ये मौलाना बताएंगे। मौलाना IPC के फैसले देने लगें तो क्या ये सही होगा?”
डॉ. एस वाई क़ुरैशी ने कश्मीरी पंडितों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों के साथ ज्यादती हुई ये सच है, लेकिन पंडितों को मारा तो मुसलमानों को भी मारा। मानवता से मतलब होना चाहिए, मजहब से नहीं। ये तो वही हुआ कि जो काम आतंकवादी करना चाहते थे, वो काम अब ये फिल्म कर रही है। जनता को बांट रही है।
डॉ. कुरैशी ने हाल ही में यूपी चुनाव में मिली भाजपा की जीत को सांप्रदायिकता की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि योगी की जीत सांप्रदायिकता की ही जीत है। ध्रुवीकरण पिछले 20 सालों से चुनावी हथकंडा है। हालात ये हैं कि दो बच्चे भी आमने-सामने लड़ रहे हों तो उसे ध्रुवीकरण करार दिया जाता है।
पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा कि बंटवारे के वक्त सबसे ज्यादा ध्रुवीकरण हुआ। फिर बाबरी के समय और वर्तमान ये ध्रुवीकरण का देश में तीसरा फेज है। देश की जनता को तेजी से सांप्रदायिक करवाया जा रहा है। भारत सेक्युलर है, क्योंकि हिंदू सेक्युलर हैं। तभी बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान मुसलमान देश बना, लेकिन भारत हिंदू देश नहीं सेक्युलर देश बना। तब सब कुछ सामान्य हो गया, तो उम्मीद करता हूं अभी का वक्त भी निकल जाएगा।