बिहार में उद्योग एवं औद्योगीकरण का एक वर्ष! क्या कुछ हासिल कर पाए मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन?

खालिद रज़ा ख़ान/ख़ुर्शीद रब्बानी

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उद्योग किसी भी राष्ट्र या राज्य की उन्नति में अहम भूमिका निभाता है, क्यूंकि जिस राज्य में उद्योग और कारोबार होंगे, वही राज्य ख़ुशहाल होगा। याद रहे- बिहार में दशकों से उद्योग धंधों पर कभी संजीदगी से काम नहीं किया गया, राज्य के विकास के लिए भी उस शिद्दत से काम नहीं हो पाया था, विकास की रफ्तार में पिछड़ने का टैग रखने वाले राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह उद्योगपतियों को बिहार जैसे राज्य में ले जाएं, वो भी ऐसे राज्य में जिसने पहले से ही “जंगल राज” उपनाम अर्जित कर रखा हो, सीधे शब्दों में कहा जाए तो एक तरह से विकास और उद्योग का पहिया बिहार तक आते आते रुक सा जाता था। पहले की सरकारों ने स्थिति से निपटने और उद्योगों का एक ढांचा बनाने की कोशिश भी की, लेकिन ज़मीन पर उसका असर देखने को नहीं मिला न ही कोई काम कारगर होता दिखा, क्यूंकि बिहार की स्थिति कुछ और ही थी, लेकिन उन हालात को कोई समझ नहीं पाया।

केंद्र की एनडीए सरकार ने बिहार में उद्योगों की स्थिति को मज़बूत करने के लिए अपना तुरुप का पत्ता खेलने की कोशिश की और भाजपा ने अपने राष्ट्रीय नेता और पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन को 9 फरवरी 2021 को बिहार सरकार में उद्योग मंत्रालय का कार्यभार सौंपा। शुरू में सैयद शाहनवाज़ हुसैन के लिए राज्य सरकार में ज़िम्मेदारी सम्भालना एक मुश्किल काम माना गया क्योंकि उन्हें केंद्र में काम करने का अनुभव था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर उन्होंने बिहार में उद्योग के हालत सुधारने की बड़ी चुनौती को स्वीकारते हुए आगे बढने का फ़ैसला किया, उनके इस फैसले ने उन्हें लीक से हटकर सोचने के लिए पहले से ज़्यादा साहसी बना दिया।

सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने बिहार में उद्योगों को स्थापित करने के लिए बहु-राष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट्स को शामिल करके बिहार में एक नए युग की शुरुआत करने के लिए अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों से बिहार को एक नई दशा और दिशा देने का रस्ता तलशना शुरु किया और केवल एक साल के वक़्त में 557.29 करोड़ रुपये के निवेश से बरौनी, बेगूसराय के बियाडा औद्योगिक क्षेत्र में वरुण बेवरेज लिमिटेड के तहत पेप्सी उत्पादों का उत्पादन (जो पहले चरण का संचालन शुरू करने वाला है) की शुरुआत की। इसमें 550 लोगों को सीधे नौकरी मिलेगी साथ ही अन्य 1500 लोगों को व्यावसायिक लाभ होगा। आज बिहार उद्योग के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जो लोग कहते थे कि बिहार में एक भी उद्योग नहीं लग सकता, उन को करारा जवाब मिला है, अगर काम की बात करें तो फ़िलहाल 17 इथेनॉल ईकाइयां लग रही हैं, 04 इथेनॉल ईकाइयां बनकर तैयार हैं जिनमें उत्पादन का ट्रायल रन शुरु हो गया है। यही नहीं पिछ्ले एक साल में लगभग 38 हज़ार 904 करोड़ के निवेश प्रस्ताव भी आएं हैं।

आज देशभर के उद्योगपति बिहार में उद्योग लगाना चाहते हैं, देश के कई बड़े उद्योगपति बिहार में उद्योग लगाने आ चुके हैं, बिहार उद्योग के लिए और निवेश के लिए पसंदीदा जगह बनता जा रहा है, उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन के प्रयासों से बिहार के बारे में उद्योगपतियों की धारणा पूरी तरह बदल गई है, पिछले एक साल में बिहार में कई बड़े उद्योग लग चुके हैं, तो कई जगह छोटे-छोटे उद्योग भी लगे हैं, यही नहीं अब तो बिहार के युवा भी सरकार के सहयोग से उद्यमी बन रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 16000 लाभार्थी का चयन हुआ है, 10 लाख की रकम से बिहार के युवा उद्योग लगाए जाएंगे और यानी बिहार के युवा अब रोज़गार मांगने वाले नहीं बल्कि रोज़गार देने वाले बन रहे हैं। गया के डोभी में अमृतसर-कोलकाता कॉरीडोर पर 2000 एकड़ में सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल हब बन रहा है, मुज़फ्फरपुर के मोतीपुर में 400 करोड़ रुपये का फूड पार्क स्वीकृत किया जा चुका है। कई ज़िलों में खादी मेला एवं सह प्रदर्शनी का आयोजन कर तथा पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पूर्णिया आदि शहरों में खादी मॉल बनाकर खादी को बढ़ावा देने का कम किया जा रहा है। नए साल 2022 में मुज़फ्फरपुर में खादी मेला एवं सह प्रदर्शनियां भी चल रही हैं।

हथकरघा को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भेजने के लिए, राष्ट्रीय हथकरघा एक्सपो पिछले साल दिसंबर में पटना में आयोजित किया गया था और जल्द ही भागलपुर, नालंदा और गया में भी आयोजित किया जाएगा। राज्य के अंदर और बाहर 75 खादी और हथकरघा प्रदर्शनियां लगाने की तैयारियां चल रही हैं। उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन के प्रयासों से देश के कई बड़े कॉरपोरेट्स ने सामान्य विनिर्माण के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य-ऑक्सीजन संयंत्र, प्लास्टिक और रबर, पर्यटन, कपड़ा और चमड़े में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना करके निवेश करने के लिए अपनी रुचि और प्रतिबद्धता दिखाई है। बिहार में कॉर्पोरेट निवेशक के लिए आकर्षण 2900 एकड़ का अत्याधुनिक लैंड पूल बनाया गया है, जिसे उद्योग स्थापित करने के लिए भूमि की आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया है। बिहार का भू-रणनीतिक स्थान, जो नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, उत्तर प्रदेश, बंगाल, झारखंड और उड़ीसा के पास है, इसे 55 करोड़ से अधिक आबादी का एक बड़ा संभावित बाज़ार प्रदान करता है। 750 किलोमीटर के उन्नत राष्ट्रीय राजमार्गों और बिहार से गुज़रने वाले पांच समर्पित फ्रेट कॉरिडोर ने बिहार को संभावित औद्योगीकरण के राजमार्ग पर लाकर खड़ा कर दिया है।

बिहार के आस-पास के कई अच्छे हवाई अड्डों के अलावा, पटना, गया और दरभंगा में सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ अच्छी तरह से विकसित हवाई अड्डों में व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देने और औद्योगिक उपयोग के लिए गज़ब की क्षमता है। एशियाई व्यापार गलियारे का नेपाल सेक्टर बिहार से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है, जो बिहार को अन्य दक्षिण एशियाई देशों से जोड़ता है। कोलकाता और हल्दिया बंदरगाह बिहार को दक्षिण-पूर्वी देशों से जोड़ते हैं। इन सबसे ऊपर, बिहार में बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल कार्यबल की उपस्थिति इसे पूरे देश में उद्योगों का केंद्र बनाती है। एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के साथ और सैयद शाहनवाज़ हुसैन की दूरदर्शिता और दृष्टि ने बिहार को एक औद्योगिक केंद्र बनाने के लिए इन सभी रणनीतिक साधनों का फायदा उठाने में बिहार राज्य की मदद की है। राष्ट्रीय स्तर पर उद्योग के क्षेत्र में तेज़ी से बिहार की तस्वीर बदल रही है। हाल के दिनों में व्यापार और उद्योग के अनुकूल माहौल के विकास ने बिहार में संभावित निवेशकों के विश्वास को राज्य की ओर देखने के लिए आगे बढ़ाया है और 36,694 करोड़ रुपये की औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए 519 प्रस्तावों की प्राप्ति एक उज्जवल भविष्य का एक शानदार उदाहरण है।

एक ज़माने में भले ही बिहार “जंगल राज” के लिए बदनाम रहा हो और बिहार के लोगों को औद्योगीकरण के नाम पर दशकों से गुमराह किया गया हो, लेकिन, आज केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकर और सूबे की नीतीश कुमार सरकर ने उद्योग मंत्री को फ़्री हैंड दे कर काम करने का जो मौक़ा दिया है उससे बिहार में विकास की गंगा बहने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं और यही वजह है कि अब बिहार में देश के बड़े उद्योगपतियों की दिलचस्पी भी बढ़ने लगी है, निवेशकों ने भी बड़ी उम्मीद पैदा की है जिससे उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन की ज़िम्मेदारियां और भी बढ़ गई हैं और सूबे की सरकर में उनकी सक्रिय भूमिका भी। उनके एक साल का कार्यकाल आगे की बड़ी चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने का इशारा देता है। उम्मीद है कि उनका कार्यकाल बिहार में उद्योगों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

बहरहाल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन के औद्योगीकरण के दृष्टिकोण को सूबे के विकास के लिए उल्लेखनीय माना जाएगा बशर्ते कि वे काम करने की उसी गति और दृष्टिकोण के साथ चलते रहें जिसे लेकर वे आगे बढ़े हैं।

(खालिद रज़ा ख़ान और ख़ुर्शीद रब्बानी वरिष्ठ पत्रकार हैं)