देवबंद/नई दिल्लीः देवबंद में आयोजित जमीयत-उलमा-ए-हिंद के सम्मेलन के दूसरे दिन जमीयत ने कहा है किसी भी कीमत पर समान नागरिक संहिता को मंजूर नहीं किया जाएगा। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने साफ तौर पर कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करना संविधान का उल्लंघन होगा। इस्लामी कायदे-कानून में किसी तरह की दखलंदाजी मंजूर नहीं होगी।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के इस सम्मेलन में कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए। जिसमें समान नागरिक संहिता को लेकर लाया गया प्रस्ताव भी शामिल है। जमीयत के जलसे में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मस्जिद के संबंध में भी प्रस्ताव पास किया गया। बैठक में कहा गया कि राजनीतिक दल गड़े मुर्दे उखाड़ने से बचें।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि देश में नकारात्मक राजनीति के अवसर निकाले जा रहे हैं। मंदिर-मस्जिद के विवाद से देश की शांति को नुकसान होगा। सबको साथ लेकर चलने से ही राष्ट्र निर्माण होगा।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “हमें डराना बंद कर दो, ये मुल्क हमारा है कि हमारा मजहब अलग है। हमारा खाना-पीना अलग है, लिबास अलग है। जो लोग ये कहते हैं तुम पाकिस्तान चले जाओ, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हमें एक बार पाकिस्तान जाने का मौका मिला था। हमारे पूर्वजो ने यहीं रहने का फैसला किया और अगर नापसंद है हमारा मजहब-लिबास और तहजीब, तो वो लोग खुद कहीं और चले जाएं।”
मौलाना महमूद मदनी ने समान नागरिक संहिता को मंजूर करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह गैर संवैधानिक है। प्रस्ताव पास करने के बाद बैठक में कहा गया कि अगर भारत सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का प्रयास करती है या फिर हमें संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने को लेकर कोई भी कदम उठाया जाता है तो इसे हमारा समाज बिल्कुल भी सहन नहीं करेगा और संविधान के दायरे में रहकर जो भी कदम संभव होंगे, वह उठाएं जाएंगे।
गौरतलब है कि एक दिन पहले शनिवार को जलसे के पहले दिन जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनीदेश में चल रहे विवाद पर भावुक हो गए। उन्होंने इसे देश के लोगों को बांटने वाला करार दिया। मदनी ने भावुक स्वर में कहा कि हमें अपने ही देश में अजनबी बना दिया गया है। हम हर जुल्म सह लेंगे लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे। देवबंद में देश में चल रहे विवादों, खासकर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर बैठक में कई अहम बातें कही गई।