निकहत ज़रीन के बहाने: मैं मुस्लिम थी इसलिए मेरे हिस्से में केवल प्रशंसा आयी…

सुसंस्कृति परिहार

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हाल ही में तुर्की के इस्तांबुल में हुए मुक्केबाजी में “विश्व चैंपियन” बनी भारत की निकहत ज़रीन को तमाम देशवासियों की ओर से सलाम। आमतौर पर एक खिलाड़ी के छोटे मोटे खिताब जीतने पर भारत सरकार उस खिलाड़ी को सर आंखों पर बिठा लेती रही है। निकहत ने तो विश्व खिताब जीता है। उम्मीद है कि भारत सरकार ,भारत सरकार की तरह से आचरण कर निकहत ज़रीन को वो नाम सम्मान प्रचार देगी जो वो अन्यथा किसी दूसरे  खिलाड़ियों को देती रही है।अब तक इस बेटी के खाते में मोदीजी  और सलमान खान का ट्वीट ही सामने आया है। इसमें देरी क्यों हो रही है यह खिलाड़ियों और देशप्रेमियों के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है। कहीं यह नीमच के मोहम्मद जैसा मामला तो नहीं जहां निकहत नाम के कारण ही अवरोध आ रहा हो।

बहरहाल  निकहत इसे लेकर संजीदा नहीं है वो बड़ी खूबसूरती से इस अंदाज़ में इस मसले को लेकर रही हैं वो कहती हैं-

मेरी बहनों के हिस्से में फ्लैट, करोड़ों नकद और नौकरी आयी..

मैं मुस्लिम थी इसलिए मेरे हिस्से में केवल प्रशंसा आयी..

बेशक यह बहुत शर्मनाक है कि इस बेटी के लिए अब तक किसी भी तरह के लोग  प्रोत्साहित करने वाले भी आगे नहीं आए हैं जबकि और खिलाड़ी होता तो उसे अब तक करोड़ों की राशि भेंट हो गई होती तथा सरकारी नौकरी भी मिल गई होती। उन्हें बधाई और सम्मान देने में भी साम्प्रदायिक सोच उचित नहीं।वह भारत की नागरिक है भारत का नाम दुनिया में रोशन कर विश्व खिताब जीतकर आई है। उसने  इस चैम्पियनशिप में मैरीकॉम, निखत के अलावा सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा सी.भी गोल्ड जीत चुकी हैं। उनके सम्मान की याद करें तो स्पष्ट तौर पर भेदभाव नज़र आता है।

निकहत का जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था. उनके पिता मुहम्मद जमील अहमद और माता परवीन सुल्ताना हैं। निकहत ने 13 साल की उम्र में ही बाक्सिंग ग्लव्स थाम लिए थे। निकहत की लीजेंड एमसी मैरीकाम से कई बार भिड़ंत भी हुई है।

जब निकहत जरीन 14 वर्ष की थी तो उस समय साल 2010 में इरोड में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सब जूनियर मीट में उसने स्वर्ण पदक जीता था। और उस पहले स्‍वर्ण पदक से उसने अपना पूरा ध्‍यान बॉक्सिंग में लगा दिया। इसके बाद तुर्की में आयोजित वर्ष 2011 में एआईबीए महिला जूनियर और यूथ वल्‍ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप फ्लाईवेट में दूसरा स्‍वर्ण पदक जीतकर अपने नाम किया और भारत देश का नाम रौशन किया था। समय धीरे-धीरे बीतता गया और वर्ष 2014 में इवेंट बुल्‍गारिया में आयोजित यूथ वर्ल्‍ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्‍ड मैदल न जीतकर सिल्‍वर मेडल जीता था। निकहत जरीन का यह पहला सिल्‍वर मेडल था।

इसके बाद निकहत ने 2014 में नोवी साद में आयोजित नेशंस कप इंटरनेशन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 51 किलोग्राम का भार वर्ग में रूसी पाल्‍टसेवा एकातेरिना को हराकर पुन: स्‍वर्ण पदक जीतकर देश का नाम दुबारा रौशन किया था। जिसके बाद निकहत ने अपने पदक तालिका में 16. पर एक और स्‍वर्ण पदक जोड़ा जो की वर्ष 2015 में आयोजित सीनियर वुमन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में किया था। जो की भारत देश के असम राज्‍य में आयोजित किया गया था।

जिसके बाद उसी वर्ष अर्थात 2015 में जालंधर में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में सर्वश्रेष्‍ट मुक्‍केबाज का पुरस्‍कार निखत जरीन ने ही जीता था। और फाइनल में 03 किलोग्राम वर्ग में अपनी प्रतिद्वंद्वी रितु को 0-51 से हराकर दुबार स्‍वर्ण पदक जीता था। अब तक निखत जरीन ने अपने नाम कई गोल्‍ड मेड़ल जीत चुकी था।

आश्चर्य की बात है की निकहत जरीन को सबसे बड़ा दुख तब हुआ जब उनको कंधे पर चोट लगी थी जो की अखिल भारतीय अंतर-विश्‍वविद्यालय चैंपियनशिप खेलते समय अपने दाऐ कंधे में बहुत ज्‍यादा चोट और डॉक्‍टरों न सर्जरी की। जिसके बाद उसका करियर खराब हो गया। और कई वर्ष तक उसने बड़ी कठिनाइयों का सामना किया। किन्‍तु निकहत जरीन ने बिल्‍कुल भी हार नहीं मानी और वर्ष 2019 में पुना बॉक्सिंग में आ गई। और वर्ष 2019 में आयोतिज स्‍ट्रैंड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट के दौरान अपना शानदार प्रदर्शन करते हुए स्‍वर्ण पदक (गोल्‍ड मेडल) जीतकर दुबारा स्‍वर्णिम हासिल की। और देश का गौरव बढ़ाया।इसके बाद निखत जरीन ने बैंकॉक में आयोजित वर्ष 2021 में एशियाई मुक्‍केबाजी चैंपियनशिप में कांस्‍य पदक जीता था जो की इनका पहला कास्‍य पदक था। जिसके बाद वर्ष 2019 में जूनियर नेशन में दुबारा से गोल्‍ड मेडल जीता जिसके बाद उनको टूर्नामेंट में ‘सर्वश्रेष्‍ठ मुक्‍केबाज’ के रूप में चुना गया था।

देश के लिए इतना सम्मान प्रदान कराने वाली निकहत ज़रीन के साथ किया जा रहा व्यवहार शर्मनाक है। आज विपक्षी दलों उनकी सरकारों, पूंजीपतियों और खेल संस्थानों में निकहत नाम को लेकर इतना डर क्यों है वे सामने आकर देश के इस इस गौरव को सम्मानित तो कर सकते हैं। लगता है ध्रुवीकरण के जो बीज बोए गए हैं उससे अन्य दल भी भयातुर हैं, इसलिए पहल नहीं कर रहे। सब के सब डरे हुए हैं। जबकि तमाम देश वासी निकहत की इस उपेक्षा से नाखुश हैं जिसका बराबर इज़हार कर रहे हैं। उन सब देशवासियों के निकहत को सौ सौ सलाम।