सैयद ख़लीक अहमद
हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिला सामिया सुलुहू हसन पूर्वी अफ्रीका में ईसाई बहुल देश तंज़ानिया की राष्ट्रपति हैं। यूनाइटेड किंगडम, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने पुलिस बल में हिजाबी मुस्लिम लड़कियों की भर्ती की अनुमति देते हुए नियमों में ढील दी है। इसके अलावा सिंगापुर ने मुस्लिम नर्सों को हिजाब पहनने की इजाज़त दी है।
हिजाब को लेकर विश्व के कुछ देशों में घटी लोकतंत्र को मज़बूत करने वाली इन घटनाओं की तुलना यदि हम कर्नाटक से करें तो पाएंगे कि कर्नाटक ऐसा राज्य है जहां राज्य सरकार ने स्कूल की कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हिजाब पहनने वाली हज़ारों मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा को प्रभावित करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार के इस आदेश को बरकरार रखा है।
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सैकड़ों मुस्लिम छात्राएं परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित हो गईं। हिजाब पहनने वाली छात्राओं के लिए स्कूल परीक्षा में शामिल होने के लिए अपनी पोशाक के एक हिस्से ‘हिजाब’ को उतारना अपनी गरिमा को कम करने के समान है।
सरकार और अदालतों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का जो कारण दिया है वो यह है कि हिजाब ‘सामाजिक अलगाव’ की भावना पैदा करता है और ‘एकरूपता का उल्लंघन’ करता है, हालांकि केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय हिजाब पहनने की अनुमति देते हैं। इस मुद्दे का राजनीतिकरण भी खूब किया गया क्योंकि हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी समूहों के छात्रों और युवाओं ने स्कूल परिसर में मुस्लिम लड़कियों द्वारा हिजाब पहनने का विरोध किया था।
साल 2021 में तंज़ानिया की राष्ट्रपति बनीं 62 वर्षीय सामिया को उनके देश की आबादी के हर वर्ग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए और गरीबी कम करने के लिए सराहा जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, तंज़ानिया की 60 प्रतिशत आबादी ईसाई है, 36 प्रतिशत मुस्लिम, 2 प्रतिशत पारंपरिक धर्म का पालन करते हैं और 1 प्रतिशत अन्य हैं। सामिया को अफ्रीका में किसी राज्य की पहली महिला प्रमुख होने का गौरव प्राप्त है। इसके अलावा, उन्हें अफ्रीकी विकास बैंक और विश्व बैंक समूह में काम करने का अनुभव है।
सामिया एक ईसाई-बहुल देश में राष्ट्रपति चुनी गईं, हालांकि, वह न केवल स्कार्फ लगाती हैं बल्कि सिर से पैर तक पूरा हिजाब पहनती हैं। तंज़ानिया के राष्ट्रीय मीडिया के अलावा, बीबीसी, डीडब्ल्यू और अन्य मीडिया आउटलेट सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया नियमित रूप से अत्यधिक सकारात्मक तरीके से सामिया की उपलब्धियों को बताते रहे हैं।
सामिया को उनकी नेतृत्व शैली और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए भी सराहा जाता है। इसके विपरीत, पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत जॉन मैगुफुली महिलाओं के अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए बदनाम थे। उदाहरण के लिए, उन्होंने गर्भवती महिलाओं के स्कूलों और कॉलेजों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे महिलाओं की शिक्षा प्रभावित हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैगुफुली के दौर में तंज़ानिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव का सामना करना पड़ा था। लेकिन सामिया ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद कई अफ्रीकी और अरब देशों का दौरा किया और अपने देश के राजनयिक अलगाव को समाप्त कर दिया। उनके प्रयासों ने तंज़ानिया को कोविड -19 महामारी के कारण होने वाले आर्थिक और स्वास्थ्य संकट से बाहर निकलने में भी मदद की।
सामिया सुलुहु हसन के नेतृत्व में, तंज़ानिया ने पड़ोसी अफ्रीकी देशों के बाजारों तक पहुंच हासिल कर ली है। उनकी सरकार ने पूर्वी अफ्रीकी समुदाय और यूरोपीय संघ के बीच एक व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। तंज़ानिया में जन्मे अंतरराष्ट्रीय निवेश सलाहकार फ्रैनी लेउटियर ने मीडियाकर्मियों को बताया कि सामिया के राष्ट्रपति बनने के बाद तंज़ानिया में निर्मित वस्तुओं का निर्यात तीन गुना बढ़ गया है। लेउटियर के अनुसार, तंज़ानिया की राष्ट्रीय गरीबी दर 2021 में कम हो गई, और आज तंज़ानिया की मुद्रा (शिलिंग) पूर्वी अफ्रीका में सबसे स्थिर मुद्रा है।
न्यूज़ीलैंड, जहां पिछले कुछ वर्षों में कई मस्जिदों पर हमले हुए हैं, ने पुलिस बल की यूनिफॉर्म में मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब को शामिल किया है। एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, देश के “विविध समुदाय” को प्रतिबिंबित करने के लिए एक “समावेशी” सेवा बनाने का विचार है। न्यूज़ीलैंड में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सिफारिश पर मुस्लिम महिलाओं को ध्यान में रखते हुए हिजाब को यूनिफॉर्म का हिस्सा बनाने की अनुमति दी गई थी।
रिपोर्टों के अनुसार, लंदन में मेट्रोपॉलिटन पुलिस और स्कॉटलैंड पुलिस ने हिजाबी मुस्लिम लड़कियों को सुरक्षा बलों में शामिल करने के लिए पुलिस की वर्दी के हिस्से के रूप में हिजाब की अनुमति दी है। नर्सों के लिए हिजाब की शुरुआत की घोषणा करते हुए, सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली सीन लूंग ने कहा कि, “हिजाब मुस्लिम महिलाओं की आस्था और पहचान की अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
यह कहते हुए कि सिंगापुर में मुस्लिम महिलाओं में हिजाब पहनने का चलन धीरे-धीरे बढ़ा है, ली ने कहा कि गैर-मुस्लिम भी मुस्लिम महिलाओं को हिजाब में देखने के आदी हो गए हैं और हिजाब के प्रति उनका रवैया भी बदल गया है।
(सभार इंडिया टू मॉरो)