श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने शुक्रवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को मनगढ़ंत कहानी बताया और दावा किया कि फिल्म में कई झूठों को पेश किया गया है।
उमर अब्दुल्लाह ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, “अगर फिल्म एक डॉक्यूमेंट्री होती तो यह ठीक था, लेकिन निर्माताओं ने खुद दावा किया है कि फिल्म वास्तविकता पर आधारित थी। लेकिन सच्चाई यह है कि फिल्म में कई झूठों को दिखाया गया है।”
उन्होंने कहा,“सबसे बड़ा झूठ यह है कि जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ तो नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्लाह यहां सरकार चला रहे थे। यहां उस समय राज्यपाल का शासन था और जगमोहन साहब राज्यपाल थे। केंद्र में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी समर्थित सरकार थी।
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, उमर ने कहा, “कश्मीर ने बहुत अधिक पीड़ा और रक्तपात देखा है, कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक खेल के मैदान के रूप में इस्तेमाल किया है। कुछ लोग कमियों को पाटने की बजाय उन्हें चौड़ा करने की ठान हपए हैं। हमें उन्हें सफल नहीं होने देना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “1990 और उसके बाद के दर्द और पीड़ा को दूर नहीं किया जा सकता है। जिस तरह से कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की भावना उनसे छीन ली गई और उन्हें घाटी छोड़नी पड़ी, वह हमारी कश्मीरियत की संस्कृति पर एक दाग है। हमें विभाजन को मिटाने के तरीके खोजने होंगे।”
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि न केवल कश्मीर से पंडित चले गए और मारे गए, बल्कि मुस्लिम व सिख भी मारे गए तथा घाटी से पलायन कर गए। वे अभी तक वापस नहीं लौटे हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जिन्होंने यह फिल्म बनाई है वे वास्तव में चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित अपने घरों में वापस आएं। उन्होंने कहा, “तस्वीर दिखाती है कि इन लोगों को हमेशा के लिए कश्मीर घाटी से बाहर रहना चाहिए।”
इससे पहले उमर ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर के लोगों के खिलाफ वही लोग ‘घृणा’ का माहौल बना रहे हैं जो घाटी में भाईचारे को मजबूत करने की बात कर रहे हैं।
उमर अब्दुल्लाह ने कहा, “जो लोग कह रहे थे कि कश्मीर में भाईचारा और मजबूत होगा और परिस्थितियों के कारण पैदा हुई खाई को भर दिया जाएगा, वे किसी न किसी तरह से दुनिया भर में एक विशेष समुदाय को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर में 32 साल पहले जो हुआ उससे कश्मीर का आम आदमी खुश नहीं है। उन्होंने कहा,“उस समय के अधिकारी कश्मीर में एक समुदाय के लोगों को उनके घरों से ले गए और उन्हें देश के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित कर दिया।”
उमर ने कहा कि दुनिया में एक छवि बनाई जा रही है कि सभी कश्मीरी ‘कट्टरपंथी’ हैं क्योंकि वे अन्य धर्मों के लोगों को घाटी में नहीं देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “वे कश्मीर की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में अधिकारियों का दावा है कि यहां शांतिपूर्ण माहौल है और सब कुछ ठीक है। उन्होंने सवाल किया,“लेकिन शांति कहां है… कश्मीर का एक ऐसा कोना दिखाएं जहां लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें।”