मोदी सरकार ने आईडीबीआई बैंक को प्राइवेट हाथों में बेचने की पूरी तैयारी कर ली है इसके लिए मोदी सरकार अगले महीने बोली मंगा रही है, पर अकेला आईडीबीआई ही बिकने की कतार में नही है इसके बाद बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज़ बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नंबर है।
आईडीबीआई बैंक पिछले पांच सालों से लगातार घाटे में चल रही थी। पांच साल के बाद आईडीबीआई बैंक इस बार मुनाफे में आया है।आईडीबीआई बैंक में सरकार ने पिछले तीन सालों में 16 हज़ार करोड़ रुपये डाले हैं जो कि हम जैसे करदाताओं का पैसा था. लेकिन सरकार से भी ज्यादा LIC ने इसमें हजारों करोड़ डाले हैं या यूं कहें कि डलवाए गए हैं लेकीन अब एलआईसी ने भी हाथ ऊंचे कर दिया है एलआईसी कह रही है कि अगर आईडीबीआई बैंक को लागू पांच साल की अवधि की समाप्ति से पहले अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है और यह पूंजी जुटाने में असमर्थ रहता है, तो हमें आईडीबीआई बैंक में अतिरिक्त धनराशि डालने की आवश्यकता होगी। इसका हालांकि हमारी वित्तीय स्थिति और परिचालन परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
2018 में जबरदस्ती एलआईसी से 21 हजार करोड़ आईडीबीआई बैंक में डलवाए गए थे उस वक्त आईडीबीआई बैंक का सकल एनपीए 27.95% तक पहुंच गया था जिसका मतलब है कि बैंक द्वारा लोन किए गए प्रत्येक 100 रुपये में से 28 रुपये एनपीए में बदल गया, IDBI में हिस्सेदारी खरीदवाने के लिए भी खूब खेल खेले गए। दरअसल एलआईसी उस वक्त आईडीबीआई के शेयर नहीं खरीद सकती। उस पर किसी एक कंपनी में अधिकतम 15 फीसदी शेयर खरीदने की शर्त लागू थी ओर एलआईसी के पास आईडीबीआई के 10.82 प्रतिशत हिस्सेदारी पहले से ही थी. लेकिन सारे नियम बदल दिए गए, और उस से 21 हजार करोड़ डालने का दबाव बनाया गया।
सरकार को तभी आईडीबीआई को बेच देना था लेकिन उस वक्त एलआईसी से ऐसी कई कंपनियों में निवेश करवाया गया है जो आज दिवालिया होने की कगार पर हैं। ऐसी कई कंपनियों की याचिका राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा दिवालियापन की प्रक्रिया (आईबीसी) के तहत स्वीकार कर ली गयी हैं इस सूची में आलोक इंडस्ट्रीज,एबीजी शिपयार्ड, अम्टेक ऑटो, मंधाना इंडस्ट्रीज, जेपी इंफ्राटेक, ज्योति स्ट्रक्चर्स, रेनबो पेपर्स और ऑर्किड फार्मा जैसे नाम शामिल हैं Lic को सबसे बड़ा नुकसान IL&FS में झेलना पड़ रहा है इस कंपनी में एलआईसी की 25.34 फीसदी की हिस्सेदारी है. आईएलएंडएफएस समूह पर कुल 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है
आईडीबीआई इस वक्त सिर्फ कहने के लिए ही फायदे में है दरअसल वहा एनपीए का सही तरीके से खुलासा नहीं किया जा रहा है ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आईडीबीआई बैंक लिमिटेड द्वारा हाल ही में एक हीरा व्यापारी समूह के ऋण चूक के खुलासे की जांच की मांग की थी यह रकम 6,700 करोड़ रुपये से अधिक की थी जो एक बडी गुजराती हीरा कंपनी ने रकम डुबाई है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार एंव आर्थिक मामलों के जानकार हैं)