राजकुमार सोनी
अभी कुछ दिन पहले आप सबने यह देखा कि किस तरह से उन्मादी भीड़ ने एक समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों का घेराव कर नारेबाजी की, अपना झंडा फहराया और हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया. छत्तीसगढ़ की शांत फिज़ा में भी कुछ इसी तरह से जहर घोलने की तैयारी चल रही हैं.
नफरती गैंग की यह सारी कवायद इसलिए चल रही हैं क्योंकि अब उसके पास जनहित से जुड़ा कोई मुद्दा शेष नहीं है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कामकाज और राजनीतिक सूझबूझ से नफरती गैंग के सारे हथियारों को भोथरा कर दिया है. गैंग से सारे सदस्य अजीब तरह की कुंठा में जी रहे हैं.गैंग के सरदारों को यह लगता हैं कि देश के अन्य हिस्सों की तरह वे यहां भी हिन्दू-मुस्लिम करते-करते सत्ता तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर लेंगे.
नफरती गैंग ने पहले छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया था.गैंग के सदस्य हर चर्च में जबरिया प्रवेश करते थे और यह साबित करने की कोशिश करते थे कि जबसे छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनी है तबसे धर्मांतरण बढ़ गया है.इस मामले में जब कानून ने अपना काम किया तो गैंग की हरकत अफवाह आधारित निकली. गैंग के दो-चार लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई.
कवर्धा में जो कुछ हुआ वह भी किसी से छिपा नहीं है. नफरती गैंग ने इस इलाके में पहला प्रयोग इसलिए किया क्योंकि यहां का जनप्रतिनिधि एक मुस्लिम है.यह अलग बात है कि जमीन से जुड़ा यह प्रतिनिधि सर्वधर्म सम्भाव पर यकीन करता है.कानून ने जब यहां भी सख्ती दिखाई और कई स्वनामधन्य बड़े नेताओं पर एफआईआर दर्ज हुई तब जाकर पता चला कि माहौल को बिगाड़ने के पीछे नफरती गैंग के लीडरों का ही हाथ था. इलाके में बहुत से लोग बाहर से आए हुए थे और राजधानी रायपुर से मिले डायरेक्शन के आधार पर कार्रवाई को अंजाम दे रहे थे.
इधर खबर हैं कि पिछले कुछ समय से नफरती गैंग के बड़े पदाधिकारी बस्तर, रायपुर, राजनांदगांव,जशपुर, बिलासपुर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों का लगातार दौरा कर रहे है. ये पदाधिकारी माहौल बिगाड़ने के लिए उर्वरा भूमि की तलाश कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि फिलहाल इनका टारगेट राजनांदगांव जिला है. यहां भी कुछ दिन पहले फिज़ा में जहर घोलने की कोशिश हुई थीं.यह कोशिश अब भी जारी है.
इस पोस्ट को लिखने के पीछे का मकसद छत्तीसगढ़ की अमन-पसंद जनता को नफरती गैंग के मंसूबों से आगाह करना है. प्रशासन को भी थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है. हमारा छत्तीसगढ़ भोले-भाले आदिवासियों, सीधे-सरल छतीसगढ़ियों का प्रदेश है.अगर हम एक सच्चे नागरिक की तरह सचेत रहे तो तय हैं कि नफरती गैंग के खौफनाक मसूंबे कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और अपना मोर्चा डाॅट काॅम के संपादक हैं)