सिर्फ टीवी डिबेट में जाने वाले मौलानाओं का ही नहीं, बल्कि टीवी की हर धार्मिक बहस का बहिष्कार होना चाहिए

मोहम्मद उमर

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भारतीय मुसलमानों को हर उस मीडिया डिबेट का बायॅकाट करना चाहिए जो मज़हबी आधार पर तय की जा रही है और ऐसे मौलवी व मौलानाओं पर भी मुस्लिमस तंज़ीमें सख्ती से पेश आये जो चंद पैसों की खातिर कौम के रिप्रेज़ेटेटिव बनकर,इन टीवी चैनल्स पर अपनी दलील रखते है क्योंकि यह ना तो पूरी तरह से इंटेलेक्चुअल है और ना ही ओंथेटिक रिफरेंस को ज़िम्मेदारी के साथ रख पाते है।

और जिस दिन मुसलमानों ने इन चैनल्स पर जारी हिंदू-मुस्लिमस डिबेट्स का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया,उस दिन नफरत के बाज़ार सजाने वाली यह मीडिया, ज़मीन पर आकर भारत की बात करेगी, उस बेरोजगारी की बात करेगी जो युवाओं के लिए एक चुनौती जैसी है, गरीबी और भुखमरी की बात करेगी, देश के विकास के लिए सियासी जमातों को आमंत्रित करेगी। उन खास आर्थिक मुद्दों पर बहस करेगी जो देश की ज़रूरत है।

जबकि मुसलमानों को तो सिख कम्यूनिटी से भी सीखना चाहिए कि कैसे जब कुछ शरारती तत्वों ने खालिस्तान ज़िंदाबाद के नारे बुंलद किये,हिमाचल विधानसभा की दीवारों पर खालिस्तान ज़िंदाबाद लिख दिखा,पंजाब के एक मंदिर पर कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने तोड़फोड की,हिंदू संगठनों और सिख संगठनों के बीच तलवारें चलने तक के वीडियो वायरल हुए,किसान आंदोलन से लेकर लालकिले तक पर धार्मिक झंडा फहराने और दिल्ली पुलिस से टकराव के मुद्दों को,इसी मीडिया ने खूब उछालने की कोशिश की लेकिन सिख समुदाय के किसी धार्मिक गुरू, स्काॅलर या नेता ने टीवी डिबेट्स पर आकर इन चैनल्स की टीआरपी में इज़ाफा नही होने दिया।

क्योंकि यह कौम इनकी चालाकी को खूब समझती है कि कैसे मीडिया उन घटनाओं के आधार पर पूरे समाज को बदनाम और उसके ख़िलाफ ज़हर भरने का काम करेगी,इसलिए यह खबरें बहुत ज्यादा सर्कूलेट ना होकर वही दब गई।वैसे भी अपराध व्यक्ति विशेष करता है कोई मज़हब नही और जो घटनाएं हुई उसकी निष्पक्ष जांच करना पुलिस की ज़िम्मेदारी थी दोषियों के खिलाफ़।

अब सोचिये की यह घटनाएं अगर मुसलमानों से जुड़ी होती तो तमाम सियासी मौलाना,मौलवी इन चैनल्स पर लाईन लगाकर इन डिबेट्स का हिस्सा होते और यह तब तक चलाया जाता जब तक मीडिया,पूरी कौम को इसका दोषी नही ठहरा लेती।

बहरहाल यह समय,नफरत भरे चैनल्स का बहिष्कार करने का है,जिस तरह 1857 की क्रांति में शामिल हमारे उलेमाओं ने वतन की ख़ातिर अंग्रेज़ी हुकूमत का बाॅयकाट किया,वही समय इन डिबेट्स को पूरी तरह से बहिष्कार का है क्योंकि एक पक्ष को बैठाकर यह कब तक नफरतें चलायेंगे और एक दिन इनकी बहस से पूरी भारतीय कौम यकीनन ऊब जाएगी,यह तय है।