आपको याद होगा योगी जी के मुख्यमंत्री बनते ही मुसलमानों के ख़ाने पीने की पहचान पर हमला हुआ था, अप्रत्यक्ष रूप से मटन बैन हुआ था, बूचड़खानों को बंद किया गया, चिकन तक की दूकानों पर तोड़फोड़ हुई थी। इतिहास में पहली बार टुंडे कबाब की दूकान पर ताला लगा था। उससे पहले अज़ान पर भी यूपी सहित कई राज्यों में आपत्तियां हुईं थीं, लाउडस्पीकरों को उतारा गया था। मज़हबी शिनाख्त को लेकर ही दाढ़ी टोपी वालों पर बसों ट्रेनों में हमले हुए थे, अकेले ग़रीब मुसलमान को मार मारकर जय श्रीराम के नारे लगवाए गए थे। जो आज भी कहीं कहीं देखने को मिल ही जाता है।
उसके बाद खुले में नमाज़ पढ़ने पर रोक के लिए बवाल हुआ। जनसंख्या को लेकर भी मुसलमानों को टारगेट किया जाता रहा है। अब हिजाब की बारी है, यही उन्माद बोया जाता रहा तो हो सकता है कल को बुर्क़ा पहनें मुस्लिम औरतों के बुर्क़े पर भी आपत्ति हो और राह चलती औरतों के बुर्क़े खींचे जाने लगें। इन्हें हर उस चीज़ से चिढ़ है जिससे हमारी मज़हबी शिनाख्त ज़ाहिर हो। ये आपको खुले में नमाज़ नहीं पढ़ने देंगे, मगर खुले में सूर्य नमस्कार कराने पर ज़ोर देंगे। खुले में योगा कराने पर ज़ोर देंगे। अगर आप इनके हंगामे से बैकफुट पर आकर अपनी कोई मज़हबी शिनाख्त छोड़ेंगे तो फिर ये आपसे सब-कुछ ही छुड़वाकर मानेंगे। 2017 में यूपी में भाजपा के सत्ता में आने के बाद मैंने ये पोस्ट लिखी थी, इसे पढ़िए और इनके एक के बाद एक मज़हबी शिनाख्त पर हो रहे हमलों को डिकोड कीजिए।
तुम क्या क्या छोड़ोगे मियाँ?
कहा जा रहा है कि इस बार यूपी में मुसलमानो ने भाजपा को वोट दिए, बेशक दे सकते हैं इसपर रोक तो नहीं है, यह किसी भी मुसलमान का व्यक्तिगत अधिकार है! मगर वोट देने के बाद ये अचानक गोश्त पर मारा मारी, अवैध बूचड़खानों के साथ साथ छोटी मोटी चिकन शॉप तक पर तोड़ फोड़ आगज़नी ! क्या बड़ा क्या छोटा यहाँ तक कि चिकन तक के लाले पड़े हुए हैं! मियां भाई बहुत गुस्से में हैं!
इसके बाद आज सुना है बहुत सोच समझ कर फैसला लेने के बाद तय किया गया है है कि मियां भाई अब गोश्त खाना छोड़ कर मिसाल पेश कर सरकार को सबक़ सिखाना चाहते हैं, उम्दा फैसला है सिखाइये सबक़, छोड़ दीजिये गोश्त खाना ! कितने दिन, कितने महीने, कितने साल? और जिनका इस धंधे से रोटी रोज़ी चल रही है वो क्या छोड़ें?
चलिए गोश्त खाना छोड़ दिया ठीक है, अब हज सब्सिडी भी छोड़िये, क्या कहा ‘हम तो कब से कह रहे हैं कि नहीं चाहिये’, ठीक है ये छद्म धर्म निरपेक्ष सरकारें ही ज़बरदस्ती पकड़ा देती थीं, चलिए गोश्त छोड़ने के बाद हज सब्सिडी छोड़ने पर भी सहमति बन गयी है ! ये भी क्या याद रखेंगे कि मुल्लों ने क्या बलिदान दिया है!
मगर इसके बाद… सुना है आज यूपी के बरेली के जियानागला गांव में दो मस्जिदों में पोस्टर मिले हैं, पोस्टर में कहा गया है, मुस्लिम नमाज के दौरान लाउडस्पीकर का प्रयोग बंद करें दें नहीं तो हम मस्जिद में नमाज नहीं होने देंगे !
अब गोश्त खाना छोड़ने के बाद ये बताईये कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकर लगाना और उन पर अज़ान देना कब छोड़ेंगे? चलिए लाउडस्पीकर को पेंडिंग में रखते हैं, उसके बाद यह बताइये कि वन्दे मातरम् और भारत माता की जय बोलेंगे या फिर अपने हाथ पाँव तुड़वायेंगे?
जैसा कि आज खतौली के नव निर्वाचित भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने बयान दिया है कि ‘जो व्यक्ति वंदे मातरम बोलने में संकोच करता हो, या भारत माता के नारे लगाते हुए जिसका सीना चौड़ा न होता हो और जो गोमाता को माता न मानते हो और उनकी हत्या करते हों, तो मैंने वादा किया था कि ऐसे लोगों के हाथ पैर तुड़वा दूंगा।’
इसके बारे में सोच कर पेंडिंग रखिये और यह बताइये मियाँ कि देवबंद से जीत हासिल करने वाले बीजेपी विधायक बृजेश सिंह ने देवबंद का नाम बदल कर देववृंद करने का बयान दिया है, अब क्या आप गोश्त खाना छोड़ने के बाद, हज सब्सिडी छोड़ने के बाद मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने/बंद करने के बाद, भारत माता के नारे लगाने और गौ को माता मानने की धौंस के बाद देवबंद को देवबंद कहना छोड़ देंगे, देववृंद कहलाने देंगे?
देवबंद को भी अभी पेंडिंग में रखिये, ताज महल का भी नाम बदलने की चर्चा है, क्या कहा बदलने दीजिये, इसका भी विरोध नहीं करेंगे? ठीक है! गोश्त, हज सब्सिडी, लाउडस्पीकर, देवबंद, ताजमहल, वन्दे मातरम और भारत माता की जय से निबट लिए तो आपके सामेन योगा पेश किया जाएगा, आप कहेंगे कि हमारी पांच वक़्त की नमाज़ योग से भी बेहतर है, मगर वो नहीं मानेंगे, योग का विरोध करने पर आप पर देश विरोधी का तमगा लटका दिया जायेगा, तब आप क्या करेंगे?
चलिए मियां मान लिया आपने योग भी कर लिया, उसके बाद सूर्य नमस्कार कौन करेगा ? आपके बच्चों से स्कूलों में सरकारी आदेशानुसार अनिवार्य रूप से सूर्य नमस्कार कराया जाएगा तब आप क्या करेंगे ? स्कूल छोड़ेंगे या सूर्य नमस्कार कराएँगे? चलिए मियाँ इसे भी पेंडिंग रखिये और इसके बाद अब यह बताईये कि तीन तलाक़ और कॉमन सिविल कोड पर भी विरोध करना छोड़ देंगे? और इसके बाद मुस्लिम आरक्षण? क्या इसे भी छोड़ देंगे? और मियाँ आगे अगर तीन से ज़्यादा बच्चों वालों को या जो लोग यूनिफ़ार्म सिविल कोड को न मानें उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया जाता है तो क्या छोड़ोगे? वोट देना या बच्चे पैदा करना?
और एक बात कि लखनऊ में आईएस से जुड़ा होने का झूठ गढ़कर मार डाले गये सैफुल्ला के वालिद ने तथाकथित आतंकी बेटे की लाश लेने और कफ़न दफ़न करने से इनकार कर दिया था बदले में उन्हें क्या मिला ? जैसा कि लखनऊ के लोगों ने बताता था कि नौकरी से हाथ धोना पड़ा! सुनिये अगर आप उपरोक्त सभी मुद्दों पर विरोध छोड़ देंगे तब भी आप वहीँ रहेंगे जहाँ आज अभी हैं ! सिक्कुलर, मुल्ले खान्ग्रेसी, देशद्रोही और पाकिस्तान परस्त!
आप यह सब कुछ छोड़ देंगे मगर एक बात बिलकुल नहीं छोड़ेंगे? क्या नहीं छोड़ेंगे, क्या कहा शिया सुन्नी, देवबंदी, वहाबी, बरेलवी खेलना नहीं छोड़ेंगे, सेक्युलर कम्युनल लड़ना नहीं छोड़ेंगे? जारी रखिये अब यही आपकी पहचान बन गयी है, खास तौर पर सोशल मीडिया पर तो मियाओं का मनपसंद शुगल यही तो रह गया है! फिर एक बात बताइये मियां ऊपर दिए गए मुद्दों को देखें तो हर मुद्दे पर आपके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, आप हर मुद्दे को छोड़ने या बैकफुट पर जाने की बात क्यों करते हो ? एकजुट होकर सड़कों पर क्यों नहीं निकलते?
क्या कहा ‘जब भी कोई ‘कमलेश तिवारी’ बोलेगा तब हम एकजुट होकर सड़कों पर ज़रूर निकलेंगे सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे?’ आपने तो मेरी आँखें खोल दीं मियाँ, चलिए खाने का टाइम हो गया बाज़ार से कद्दू ले आइये पकाइये खाइये, और सो जाइये, हो सकता है सुबह सरकार आपके इतने सारे बलिदानो से खुश होकर आपको ‘रजिस्टर्ड राष्ट्रवादी’ की डिग्री घर पर ही दे जाए!! आख़िर में यही कह सकता हूँ कि:-
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए!
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)