बिहार चुनावः तीस साल का यह नौजवान गेमचेंजर निकला

नज़ीर मलिक

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

तेजस्वी यादव बिहार की सियासी ट्रैक के नये धावक हैं,जिनमें ओलम्पिक मैडल जीते की तमाम संभावनाएं दिख रहीं हैं। वे म्पियन बने या अनुभव की कमी के करणवनिंग थ्रेड छूने से विचित हो जाएं, मगर यह तय हो गया है कि उन्होंने कड़ी प्रतिद्धिदिता पेश कर बिहार के तमाम म्पियनों के माथे पर पसीने की बूंदें तो ला ही दी हैं। बहुत कम समय में लोकप्रियता हासिल करने वाले राजनीति के इस युवा धावक ने बिहार में डार्कर्स कही जाने वाली भाजपा के घोड़ों को हांफने और नीतीश कुमार को इस रेस का बेन जानसन बनने पर मजबूर कर दिया है।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस वक्त देश मे धार्मिक ध्रुवीकरण, हिन्दू मुस्लिम द्वंद चरम पर हो और बिहार जैसे राज्य में चुनाव हो, नायक मंच पर सीना ठोंककर कहता है कोई जाति, धर्म या वर्ग नहीं, हम सबके हैं। और तालियों की गड़गड़ाहट बताती हैकि वह सही चाहती भी है। इस चुनाव में मुद्दे क्या हों, यह तेजस्वी ने तय कर मुद्दा विशेषज्ञ नेरेन्द्र मोदी को भी चकित कर दिया है। यह तेजस्वी की बड़ी जीत है।

तेजस्वी नाम का यह बंदा गेम चेंजर निकला है। यह उसकी ही रणनीति है कि बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार और नौकरी का मुद्दा सभी मुद्दों पर भारी पड़ गया। किसानों के लिए कृषि कानून विरोधी प्रस्ताव, गरीब की पेंशन जैसे मुद्दे उठा कर उनने मोदी जैसे दिग्गज खिलाड़ी को अपनी पिच पर खेलने को मजबूर कर दिया है।19 करोड रोजगार एंव नौकरियों को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। कौन झूठला सकेगा कि आज नरेन्द्र मोदी आर्टिकल 370, सैनिकों की शहादत, जेपी नड्डा व नित्यानंद जैसे लोग सीएए कश्मीर व पाकिस्तान जैसे मुद्दे उठा उठा कर थक रहे हैं, फिर भी जनता उसे गंभीरता से सुन तक नहीं रही है।

30 साल के इस नौजवान के खिलाफ भाजपाई आकाशगंगा से तकरीबन दो दर्जन हेलीकॉप्टर बिहार में रोज कहीं न कहीं रोज उतरते हैं, अनेक मंत्री और मुख्यमंत्री बिहार में तम्बू डाले हुए हैं, मगर यह ठेठ बिहारी छोकरा अभिमन्यु की तरह कौरवों के सभी महाबलियों पर भरी पड़ रहा है। आज तेजस्वी यादव को मिल रहा विशाल जनसमर्थन काबिले गौर है। अंत में केवल इतना ही कि तेजस्वी की जनसभाओं में उमड़ता जनसमूह इस बात का प्रतीक है कि बिहार ने इस जोशीले और कुछ कर गुजरने के हौसले इस युवा के कंधों पर अपने भरोसे का बोझ तो रख ही दिया है। तो आइये बिहार के इस नये और ऊर्जावान नेता का स्वागत करिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)