नई दिल्लीः मलप्पुरम के पुत्थनाथानी में आयोजित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए देश की जनता से अपील की है कि वे बुलडोज़र की राजनीति के नए रुझान के ख़िलाफ़ आगे आएं। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन लोगों को निशाना बनाने के लिए राज्य में गैर-अदालती तरीकों का इस्तेमाल शुरू किया है, जिन पर सरकार की ओर से अपराधी होने का आरोप लगाया जाता है। केवल आरोपों के आधार पर किसी को अपराधी क़रार देने और पुलिस के जज, ज्युरी और जल्लाद की तरह काम करने का यह रुझान सभ्य दुनिया में कभी नहीं सुना गया।
पीएफआई ने कहा कि सरकार द्वारा पुलिस को लोगों को गोली मारने और उनके घर गिराने का खुला अधिकार दिया गया। जब मानव अधिकारों और क़ानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन किया जाता है, तो इस पर नाम मात्र ही आलोचना देखने को मिलती है। अब यूपी की फासीवादी सरकार मुसलमानों के लोकतांत्रिक प्रदर्शनों को बदनाम करने और दमनकारी तरीके से उन्हें दबाने के लिए यही तरीके इस्तेमाल कर रही है। निर्दोष मुसलमानों पर कठोर धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और उनके घरों को तबाह किया जा रहा है।
पॉपुलर फ्रंट ने कहा कि दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट भी योगी सरकार के इस खुले अन्याय को देख नहीं पा रही है और उसने इस कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में ख़ामोशी जुर्म में शामिल होने के बराबर है। पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक समाज के सभी वर्गों से अपनी चुप्पी तोड़ने और यूपी सरकार की बुलडोज़र राजनीति और गैर-अदालती कार्यवाहियों की स्पष्ट शब्दों में निंदा करने की अपील करती है।
दूसरे प्रस्ताव में बैठक ने संघ परिवार के द्वारा मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाए जाने पर तत्काल रोक लगाने की अपील की। बाबरी मस्जिद के बाद, संघ से जुड़े संगठनों ने सांप्रदायिक योजना को सुलगाए रखने के उद्देश्य से ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा शाही ईदगाह जैसी अन्य ऐतिहासिक मस्जिदों के ख़िलाफ अपना अभियान तेज़ कर दिया है। साथ ही वे अपने मुस्लिम विरोधी प्रोपेगंडे को पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूती से लगातार आगे बढ़ा रहे हैं और इस तरह वे देश को हर छोटे-बड़े स्तर पर ऐसे सांप्रदायिक विभाजन की ओर धकेल रहे हैं जिससे वापस निकलना असंभव है, और मुस्लिम-विरोधी नरसंहार का माहौल तैयार कर रहे हैं।
पीएफआई ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ख़बरदार करता है कि नफरत की राजनीति से अस्थाई राजनीतिक लाभ तो प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन अंत में यह सब के लिए विनाशकारी साबित होगी। पॉपुलर फ्रंट प्रशासन से मांग करता है कि वे देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाने की संघ परिवार की कोशिशों का आनंद लेना बंद करें।
एक अन्य प्रस्ताव में पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक ने कहा कि हाल ही में घोषित अग्निपथ सेना भर्ती योजना के पीछे ख़तरनाक उद्देश्य छुपे हैं। इस तरह की परियोजना सेना की पेशावराना महारत और मनोबल को बुरी तरह प्रभावित करेगी और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करेगी। यह भी एक सही आशंका है कि यह अपने अर्ध-सैनिक संगठनों को हथियार की ट्रेनिंग देने का संघ परिवार का मंसूबा है। बीजेपी नेताओं के विरोधाभासी बयानों से इस तरह की आशंकाओं को मज़बूती मिलती है। देश की जनता को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए और इस परियोजना को पराजित करना चाहिए।
बैठक का आयोजन 17 व 18 जून को मालाबार हाउस, पुत्थनाथानी में किया गया, जिसमें देश भर से संगठन के पदाधिकारियों ने भाग लिया।