विक्रम सिंह चौहान
नई दिल्लीः कोरोना के खतरे से निपटन के लिये सरकार द्वारा लॉकडाउन ने ग़रीब मजदूरों के सामने रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। जिसके कारण मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों में रहने वाले मजदूर अपने अपने घरों को लौट रहे हैं। हालांकि कुछ मजदूर अपने घरों को लौटते हुए दुर्घटना का भी शिकार हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद मजदूरों द्वारा किया जा रहा पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इन मजदूरों की तरफ से सरकार ने आंखें फेर ली हैं, लेकिन कुछ इंसानियत पसंद लोग इन मजदूरों की सेवा के लिये आगे आए हैं। ये लोग इन मजदूरों के लिये भगवान बनकर आए हैं। मुंबई से मध्यप्रदेश, बिहार,यूपी राजस्थान और अन्य राज्य लौट रहे हज़ारों भूखे मजदूरों को खाना खिलाने सिख भाई और मुस्लिम भाई लोग. कसारा से नासिक के बीच सिखों ने दो लंगर चलाना शुरू किया है.
एक लंगर नासिक से 25 किमी दूर राजूर फाटा पर सिखों द्वारा निर्मला आश्रम तपस्थान लंगर चलाया जा रहा है. एक लंगर नासिक से करीब 65 किमी दूर मंगरूल में सिखों द्वारा चलाया जा रहा है. यहां करीब 10 हज़ार भूखे पेट मजदूरों को भरपेट खाना खिलाया जा रहा है. छाछ और लस्सी भी दे रहे हैं सिख भाई. कसारा के पास ही 25 मुस्लिम रोज़ेदार युवकों ने भी लंगर शुरू किया है. यह लंगर एक महीने से चल रहा है.
ये लोग मुसाफिरों को फल बिरयानी, खिचड़ी और पानी दे रहे हैं. यहां 4 से 5 हज़ार मजदूर रोज़ खाना खाते हैं. जो मजदूर सफर पर निकले हैं, उनके पास खाने-पीने की खुद की व्यवस्था नहीं है. वे नदी पर नहा रहे हैं. लंगर में खा रहे हैं और चलते जा रहे हैं. न खाने वालों को पता है कि हमें कौन खिला रहा है और न ही खिलाने वालों को पता है कि हम किसको खिला रहे हैं. बस रिश्ता सिर्फ भूख का अन्न से है. रिश्ता मानवता का है.