मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की मांग, पार्टी से निलंबित करना पर्याप्त नहीं, कड़ी सज़ा और प्रभावी क़ानून जरूरी

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने भाजपा द्वारा विवादित बयानबाजी पर की गई अनुशाहनात्मक कार्रावाई को नाकाफी बताया है। बता दें कि पिछले दिनों देश की सत्ताधारी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने पैग़म्बर-ए-इस्लाम जनाब मुह़म्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर आपत्तिजनक और अशोभनीय टिप्पणी की थी।

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मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने कहा कि इस टिप्पणी ने देश के सभी मुसलमानों को सख़्त तकलीफ़ पहुंचायी और वैश्विक स्तर पर भी इसके कारण देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। बोर्ड ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को पार्टी से निलंबित करना निश्चित रुप से अच्छी बात है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने जारी एक बयान में कहा है कि यह बात आवश्यक है कि ऐसे कुकृत्य करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाए, उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जाए और ऐसा क़ानून बनाया जाए जो विभिन्न धर्मों के पवित्र व्यक्तित्वों (आस्था के प्रतीकों) के अपमान को निन्दनीय अपराध घोषित करता हो और उस पर तत्काल और उचित क़ानूनी कार्यवाही हो सके।

AIMPLB के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने इन विचारों को व्यक्त करते हुए ईशनिंदा (गुस्ताख़ान-ए-रिसालत) के विरुद्ध प्रदर्शन को जायज़ और स्वाभाविक कहा और उनको ख़िराज-ए-तहसीन पेश किया, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध जिस प्रकार एकतरफ़ा और भेदभावपूर्ण कार्यवाही की जा रही है वह बेहद अफ़सोसनाक और निन्दनीय है।

क्या कहती है जमीयत

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए जिम्मेदार नुपुर शर्मा और अन्य के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अनुशासनात्मक कार्रवाई को देश के लिए आवश्यक और समयोचित करार दिया है। उन्होंने कहा कि पैगंबर के अपमान से बढ़कर कोई साम्प्रदायिकता नहीं है और इससे बड़ा कोई दिल को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य नहीं है। इसलिए हम आशा करते हैं कि कानून का पालन कराने वाली एजेंसियां बिना देरी किए उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करेंगी और वास्तव में उन्हें दंडित करेंगी। साथ ही ऐसे सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई होगी जो लगातार पैगंबर का अपमान करने की हठधर्मिता करते रहते हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में आयोजित अपनी प्रबंधन समिति की सभा में इस इस सम्बंध में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें मांग की गई कि सभी धार्मिक पेशवाओं के सम्मान और महानता की रक्षा के लिए ऐसे कानून को तत्काल लागू किया जाए जिससे इस तरह के घृणात्मक कृत्य पर काबू पाया जा सके। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर रखी है कि सुप्रीम कोर्ट अपने द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन कराने के लिए सरकारों को मजबूर करे।