रुखसार अहमद
नई दिल्ली: त्रिपुरा में हुई हिंसा पर मुस्लिम तंजीमों के प्रतिनिधि ने अहम इलाकों का जायजा लिया था। वहीं इस मामले में अब ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ने त्रिपुरा के सीएम को पत्र लिखा है। उनकी मांग है की जिन्होंने इस हिंसा को अंजाम दिया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। मुस्लिम मजलिस ने पत्र में यह भी लिखा है कि हिंसा के इलाके का दौरा करने गई फैक्ट फाइंडिंग टीमों के सदस्यों को धमकी दी गई। साथ ही पुलिस ने उनके खिलाफ अफवाह फैलाने का आरोप लगते हुए यूएपीए का नोटिस भेज दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम के प्रधिनित्व समेत कई मुस्लिम तंजीम 31 अक्टूबर को त्रिपूरा के इलाकों का दौरा करने गए थे, 2 नवंबर तक जमीयत उलमा ए हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस, अखिल भारतीय मिल्ली काउंसिल ने हिंसा वाली जगह का जायजा लिया। सबसे पहले मुस्लिम तंजीमों के प्रधिनित्व ने उन जगह का जायजा लिया जहां बजरंग दल के लोगों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था।
वहां के लोगों से बाचतीत की तो उन्होंने बताया की बजरंग दल और वीएचपी के लोगों ने बताया था किएक रैली निकाली थी। जिसमें कई कम से कम 12 हजार लोग शामिल थे। उन्होने मुस्लिम के घरों और दुकानों को चुन–चुन कर आग के हवाले किया। हिंदू संगठन के लोगों ने कम से कम 16 मजिस्दों को नुकसान पहुंचाया है। मस्जिदों में रखें कुरान शरीफ तक को नहीं बक्शा गया था। अगरतला में मजिस्दों में घुसकर तोड़फोड़ की गई। ताजुब की बात यह है की सारी घटना पुसिस के सामने हुई, लेकिन पुलिस ने इन गुंड़ों को ऐसा करने से नहीं रोका। इस हिंसा में त्रिपुरा पुलिस पूरी तरह से फेल रही। उन्होंने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और मानवाधिकार संगठनों की एक जांच टीम ने मंगलवार को यह खुलासा किया कि अगर भाजपा सरकार चाहती तो वह त्रिपुरा में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पूर्व नियोजित हिंसा को विफल कर सकती थी, लेकिन उसने कथित तौर पर हिंदुओं की भीड़ को खुली छूट दे दी जांच रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि त्रिपुरा के 51 स्थानों पर मुसलमानों पर हमला किया गया और 16 मस्जिदों में तोड़फोड़ की गई व उन्हें क्षतिग्रस्त किया गया। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि त्रिपुरा पुलिस की और से फैक्ट फाइंडिंग के दो सदस्यों मुकेश जो दिल्ली के एक वकील है एवं NCHRO से सम्बन्ध रखने वाले अधिवक्ता अंसार इंदौरी को नोटिस भेजकर ये सुचना दी कि उनपर UAPA के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही दोनों से नोटिस के माध्यम से अपील की है कि “आप अपने द्वारा सोशल में में दिए गए/फैलाये गए भ्रामक/गलत/ टिप्पणियों/बयानों को तत्काल प्रभाव से डिलीट कर दें, उनको 10 नवम्बर तक पश्चिमी अगरतला पुलिस स्टेशन पहुँचने को कहा गया है।
40 साल के आमिरुद्दीन पानीसागर के रवा बाजार में सब्जी बेचा करते थे। हिंसक झड़प के दौरान उनकी दुकान को जला दिया गया। छह लाख रूपए का नुक्सान हुआ है।” रिपोर्ट में आमिरुद्दीन प्रशासनिक डर से उनकी दुकान को जलाने वाले का नाम नहीं बताना चाहते थे। हमारी मांग है कि आमिरुद्दीन समेत जिनकी दुकानों को नुकासन पहुंचाया गया उन्हें सरकार की तरफ से मुअवजा मिले।
पानीसागर में कई सबसे ज्यादा हमला किया है। त्रिपुरा के अगरतला में मस्जिदों के अंदर रखे क़ुरआन तक को नुकसान पहुंचाया। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ने सीएम से मांग की है कि त्रिपुरा में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें गिरफ्तार किया जाए। साथ ही उन पुलिस अफसर पर कार्रवाई हो जिन्होंने बजरंग दल और वीएचपी के लोगों को दंगे करने से नहीं रोका। वहीं जिन दो वकीलों पर यूएपीए लगा है वो हटा दिया जाए।
(सभार मिल्लत टाइम्स)