बेंगालुरू: हिजाब विवाद के दौरान सुर्खियों में आई कर्नाटक की छात्रा बीबी मुस्कान लगातार मीडिया की सुर्खियों में है। मुस्कान ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि मैंने सांप्रदायिक आधार पर अल्लाह-हुअकबर का नारा नहीं लगाया। मैं हिंदू-मुस्लिम विभाजन पैदा करने वालों में नहीं हूं। बता दें कि आठ फरवरी को मुस्कान अपने कॉलेज में असाइनमेंट जमा करने आई थी, वह बुर्का पहने हुए थी, जब वह अपनी स्कूटी पार्किंग में लगाकर कॉलेज की तरफ बढ़ रही थी, इसी दौरान उसे वहां पर भगवाधारियों ने घेर लिया और उसके सामने नारेबाज़ी करने लगे, जिसके जवाब में मुस्कान ने अल्लाह-हुअकबर का नारा लगाया।
मुस्कान बी.कॉम की द्वितीय वर्ष की छात्रा है, उनके पिता जिम मालिक चलाते हैं। 19 वर्षीय मुस्कान कानून की पढ़ाई करने का सपना देख रही है। उसके पास कोई तत्काल रोल मॉडल नहीं है, लेकिन वह अपने अक़ीदे (आस्था) और अल्लाह पर मज़बूत विश्वास रखती है। मुस्कान ने कहा कि “बचपन से ही हिजाब पहनना प्राथमिकता रही है। मेरे परिवार में हर कोई हिजाब पहनता है। यह हमारे लिए इस्लाम के प्रतीक से परे है, यह हमारे स्वाभिमान का भी प्रतीक है।”
जब 8 फरवरी को मांड्या (बेंगलुरू से 100 किमी) में पीईएस कॉलेज के अंदर भगवा गमछा पहने पुरुषों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए, तो मुस्कान ने काउंटर किया, और ‘अल्लाह-हू-अकबर’ का नारा लगाया और बिना किसी घबराहट के सीधे कॉलेज में चली गई।
आठ फरवरी की घटना का ज़िक्र करते हुए उसने कहा “मैं उनकी कट्टरता से स्तब्ध थी। उनकी संख्या चुनौतीपूर्ण थी। मेरे चारों ओर इतने सारे लड़कों के साथ, मुझ पर हमला करने के लिए आ रहा था, मैंने अल्लाह से दुआ की कि वह मुझे उस स्थिति से निकालने में मदद करे और यकायक मेरे मुंह से अल्लाह-हू-अकबर निकले। मुस्कान ने कहा कि अगर उसे भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ता? मुस्कान ने कहा ‘मैं हिंदुस्तान जिंदाबाद जरूर कहूंगी।”
मुस्कान कहती है कि कॉलेज के प्रवेश द्वार पर उसे अबाया हटाने के लिए कहा गया था। जिससे “मैं क्रोधित हो गयी थी। उन्होंने मुझसे कपड़ों का एक टुकड़ा उतारने के लिए कैसे कहा? उनमें कोई मानवता नहीं थी।” मुस्कान ने आगे कहा “मुझे नहीं पता यह क्या है और यह अचानक कहाँ से आ रही है। मेरे अधिकांश मुस्लिम सहपाठी हिजाबी हैं और हमारे कॉलेज ने हमारे खिलाफ कुछ अन्य संस्थानों की तरह कार्रवाई नहीं की है। “
मुस्कान एक नियमित छात्रा की तरह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती हैं। हालांकि, मानसिक शांति और सांत्वना इस तरह की अशांति के साथ मिलना मुश्किल है। मुस्कान ने कहा कि “मुझे एक शेरनी और कई अन्य नामों से बुलाया गया है। सच कहूं तो मुझे इनमें से कुछ भी नहीं चाहिए। मैं सिर्फ पढ़ाई करना चाहता हूं। मैं लोगों से बात करके और अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए थक गयी हूं। हिजाब मेरी पहचान है, मुझे इसे पहनना अच्छा लगता है, यही मेरी इज्ज़त है।”
मुस्कान ने कहा कि वह भारतीय संविधान में विश्वास करती है और उसे और उसके समुदाय के सदस्यों को न्याय दिलाने के लिए इसका इंतजार करेगी। उसने आगे कहा कि “इंशाअल्लाह सब्र करेंगे”