जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में आठ गोल दागने वाली मुमताज खान की एक ही ख्वाहिश, बस एक आशियाना चाहिए

एम मिश्र

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‘‘अपने मुल्क के लिए छह साल से हॉकी खेल रही हूं और मुझे भरपूर प्यार और सम्मान मिला। आज नहीं तो कल, जॉब भी मिल ही जाएगी, लेकिन बस एक ‘आशियाना’ मिल जाता, तो मुझे लगेगा कि मैं अपने परिवार के लिए कुछ कर पाई।’’ दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जूनियर महिला वर्ल्डकप हॉकी में आठ गोल दागकर वापस लौटी मुमताज खान का इतना कहना भर था कि उसकी आवाज भर्रा उठी।

जूनियर वर्ल्ड में खेलकर लौटीं लखनऊ की बेटी घर वापसी पर काफी खुश थी, लेकिन खुद के आशियाने का चाहत उसके मन में टीस बनकर उभरती है। मुमताज बताती है कि जूनियर इंडिया कैंप में पहले सेलेक्शन होने तक मेरे घर की माली हालात बहुत खराब थी। अपना कोई घर नहीं था। अपने मामू के घर में रह रही हूं। मुश्किल भरे इस माहौल में अम्मी, अब्बा और बहनों ने हॉकी खेलने के लिए हौसला दिया। वह कहती हैं कि आज अगर मैं परिवार वालों के लिए एक घर की व्यवस्था कर पाऊं, तो मेरे इस इससे बड़ी बात कोई नहीं होगी।

मुमताज बताती हैं कि लखनऊ लौटने के बाद से ही मिलने वालों का तांता लगा है।  सभी मुझे मदद करने की बात भी कहकर गए, लेकिन मैं मेरा ख्वाब तो बस अपने परिवार वालों के लिए एक आशियाना बनाने की है। न जाने कब यह सपना पूरा होगा।

मुमताज कहती हैं कि यूथ ओलंपिक, जूनियर वर्ल्ड कप समेत 15 इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खेलकर उसके खेल में खासा बदलाव आया है। जूनियर वर्ल्ड के सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद हाथ से पदक छिटक जाने का खासा अफसोस है। दरअसल, अहम मौकों पर इंग्लैंड की टीम ने बेहतर खेला। पूरे टूर्नामेंट के दौरान सीनियर महिला टीम की रानी रामपाल, सविता और वंदना दीदी ने मुझे लगातार फोन करके हौसला बढ़ाया। नीदरलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल को छोड़ दें तो मैंने हर मैच में गोल किया। अब मेरा सपना देश की सीनियर महिला टीम से खेलकर पेरिस ओलंपिक में पदक जीतना है। उम्मीद है कि सीनियर टीम में मुझे मौका मिलेगा।

मुमताज बताती है कि बात इंग्लैंड के खिलाफ कांस्य पदक मैच से पहले की है, जब हॉकी इंडिया के चीफ नरेंद्र बत्रा हम खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने आए थे। वे मेरे पास आकर बोले, बेटा तुमने तो कमाल कर दिया, मुझे तुम पर नाज है। इंग्लैंड के खिलाफ बहुत अहम मैच है और तुम्हें दो गोल करने होंगे। उनके ये अल्फाज मेरे लिए ताकत बने। मैंने पूरे दम से इंग्लैंड के खिलाफ खेला और दो गोल भी किए, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सकी। बत्रा सर ने मुझे लखनऊ आकर मिलने को भी कहा है।

सभार आवाज़ द वायस