मुख्तार अंसारी ने हाइकोर्ट में जमानत (निरुद्धी) के लिए याचिका दाखिल कर बताया था कि गैंगस्टर एक्ट के तहत वह 27 मई 2009 से न्यायिक हिरासत में है और वर्तमान समय में बांदा जनपद के जिला जेल में निरुद्ध हैं। इस पर हाइकोर्ट ने बीते 11 जनवरी को आदेश दिया कि आरोपित द्वारा दो सप्ताह के अंदर ट्रायल कोर्ट में इस आदेश को प्रस्तुत किया जाता है तो संबंधित न्यायालय से आदेश पारित किया जाए। इस पर मुख्तार के अधिवक्ता ने बीते 20 जनवरी को दरख्वास्त पेश किया।
जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुख्तार अंसारी ने हाइकोर्ट में जमानत (निरुद्धी) के लिए याचिका दाखिल कर बताया था कि गैंगस्टर एक्ट के तहत वह 27 मई 2009 से न्यायिक हिरासत में है और वर्तमान समय में बांदा जनपद के जिला जेल में निरुद्ध हैं। इस पर हाइकोर्ट ने बीते 11 जनवरी को आदेश दिया कि आरोपित द्वारा दो सप्ताह के अंदर ट्रायल कोर्ट में इस आदेश को प्रस्तुत किया जाता है तो संबंधित न्यायालय से आदेश पारित किया जाए। इस पर मुख्तार के अधिवक्ता ने बीते 20 जनवरी को दरख्वास्त पेश किया।
इस पर सुनवाई के लिए 28 जनवरी तिथि नियत थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पीठासीन अधिकारी का रोस्टर उक्त तिथि पर न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी और अगली तिथि एक फरवरी नियत की गई। इस पर मंगलवार को एडीजे प्रथम रामसुध सिंह की अदालत ने सुनवाई करते हुए एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी।
मुख्तार अंसारी को जमानत मिलने की सूचना मिलने के बाद समर्थकों में उत्साह रहा। मऊ में भी मुख्तार के मामले की सुनवाई चल रही है। ऐसे में मुख्तार अंसारी के कई मामलों को देखते हुए बांदा जेल से अभी छूटना मुश्किल ही है।