MSO ने बजट को बताया निराशाजनक, कहा ‘यह बजट आम जनता के साथ धोखा है’

नई दिल्ली: भारतीय मुस्लिम छात्रो के संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ओर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया यानि एमएसओ के बजट 2021 पर प्रतिकृया देते हुये कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.50 रुपये और डीजल पर 4 रुपये का कृषि सेस लगाने का ऐलान किया है। यह महंगाई में पिस चुकी जनता के जख्मों पर नमक है। आंदोलन कर रहे किसानों को कोई राहत देने की बजाय डीज़ल पर 4 रुपए बढ़ा दिए गए हैं जो निर्लज्जता की पराकाष्ठा है। शिक्षा का बजट भी पिछली साल के मुक़ाबले 6000 करोड़ कम कर दिया गया है जबकि एनईपी मे जीडीपी का 6 फीसद शिक्षा पर खर्च करने का प्रावधान था।

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#एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर शुजात अली क़ादरी ने कहाकि कोविड महामारी के बाद आये मोदी सरकार के पहले बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई है। न ही इसमें नौकरियां खो चुके और आय व जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत दी गई है। उल्टे इसमें संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के बोझ को जनता के कंधों पर डाल बड़े कॉरपोरेटों के लिए अकूत सम्पत्ति जमा करने के और अवसर बना दिये गये हैं।

क़ादरी ने कहाकि निर्मला सीतारमन ने अल्पसंख्यकों को ठेंगा दिखा दिया है। आज के पेश बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की राशि घटा दी गयी है।* पिछले वर्ष 2020-21 के बजट में यह 5029 करोड़ रुपये थी जबकि इस वर्ष 2021-22 के लिए 4810.77 करोड़ रुपये ही प्रस्तावित किया है। पिछले साल के मुकाबले 218.23 करोड़ की कमी की गयी है।

क़ादरी ने अल्पसंख्यकों के लिहाज से इसे बेहद निराशा वाला बजट करार दिया है। उन्होंने इसका क्षेत्रवार ब्योरा देते हुए बताया कि शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी योजना जैसे पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम में 67 करोड़, मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप स्कीम में 75 करोड़, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फेलोशिप स्कीम में 76 करोड़, शिक्षा लोन की इन्टरेस्ट सब्सिडी योजना में 6 करोड़, प्रतियोगी परीक्षा की तयारी योजना में 2 करोड़ की कमी की गयी है। इस तरह से शिक्षा के क्षेत्र में 149 करोड़ की कमी की गयी है। वहीं वक़्फ़ विकास योजना में 5 करोड़ की कमी की गयी है।

क़ादरी ने कहाकि इस सरकार का सबसे ज़्यादा ज़ोर स्किल डेवलपमेंट पर रहता है, नयी मंज़िल योजना में 33 करोड़ की कमी, उस्ताद योजना में 13 करोड़ की कमी, महिला नेतृत्व प्रशिक्षण में 2 करोड़ की कमी, अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का अंश में 7 करोड़ की कमी की गयी है।

अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कार्यक्रम के तहत रिसर्च में 9 करोड़ की कमी, संस्कृतिक विरासत को सहेजने की योजना हमारी धरोहर में 1 करोड़ की कमी, कम जनसंख्या वाले समूह के लिए 1 करोड़ की कमी इस मद में कुल 11 करोड़ की कमी की गयी है। उनका कहना था कि भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए सचिवालय मद में भी 33 लाख की कमी की गयी है। प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम में 210 करोड़ की कमी की गयी है।

क़ादरी ने कहाकि सरकार अल्पसंख्यक समाज के साथ भेदभाव कर रही है सरकार नहीं चाहती कि भारत का अल्पसंख्यक समाज विकास के पथ पर बढ़ सके। हम मांग करते हैं कि पिछड़े हुए समाज को ऊपर लाने के लिए विशेष प्रावधान के रूप में जनसँख्या के हिसाब केन्द्रीय बजट का कम से कम 10% बजट का आवंटन किया जाना चाहिए।

क़ादरी ने कहाकि अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केन्द्रित है। उन्होने कहाकि भारत के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की सम्पत्तियों में महामारी और लॉकडाउन के दौरान भारी बढ़ोत्तरी हो गई (लगभग 13 लाख करोड़)! लेकिन बजट इस सम्पत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है, इस पर वेल्थ टैक्स या ट्रांजेक्शन टैक्स क्यों नहीं लगाया जा सकता था? राजस्व नीति में सुधार कर अति धनाड्यों से राजस्व वसूली बढ़ाने और मध्य वर्ग को जीएसटी और आय कर में राहत देने की जगह बजट पहले की तरह ही अत्यधिक अमीरपरस्त राजस्व नीति पर चल रहा है।

उन्होने बजट पर प्रतिक्रिया में कहाकि  सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की लम्बे समय से चली आ रही मांग को सरकार ने एक बार फिर खारिज कर दिया है। भारत के छोटे किसान और माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों के कर्ज तले लोग परेशान हैं। पूरे देश में छोटे कर्जदारों के कर्जे माफ करने की मांग लगातार उठ रही है, लेकिन बजट 2021 ने इस महत्वपूर्ण मांग को नहीं माना है। क़ादरी ने कहाकि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में यह बजट पूरी तरह से विफल है। इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि इस बजट पर पूरे विस्तार में पुनर्विचार किया जाए।