मां बेचती थी चूड़ियां, बेटी वसीमा बनीं डिप्टी कलेक्टर, जानें कैसे हासिल किया मुक़ाम

मार्टिन लूथर ने कहा था “अगर आप उड़ नहीं सकते तो दौड़ो, अगर आप दौड़ नहीं सकते हो, तो चलो, अगर चल नहीं सकते, तो रैंगो, पर आगे बढ़ते रहो।” अमरावती की डिप्टी कलेक्टर वसीमा शेख़ इन विचारों की एक जीता जागता उदाहरण हैं कि अगर सोच और दिशा सही हो, तो सफ़लता क़दम चूमती है। उनकी मेहनत, लगन और कोशिश ने साबित कर दिया कि सही दिशा में की गई मेहनत बेकार नहीं जाती। 17 जनवरी 2022 को वसीमा शेख़ ने अमरावती की डिप्टी कलेक्टर का पदभार संभाला था।

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कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर

महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाली वसीमा शेख़ 19 जून 2020 में ही डिप्टी कलेक्टर के पद की हकदार बन गई थीं। कोरोना महामारी के चलते वह ट्रेनिंग और पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रही थीं। एक गरीब परिवार में पैदा हुईं वसीमा शेख़ का डिप्टी कलेक्टर के पद तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं था। उन्होंने सख्त मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की।

नांदेड़ से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है जोशी संगवी। वसीमा शेख़ की पहली से सातवीं तक की शिक्षा इस गांव के ही ज़िला परिषद् स्कूल में हुई। सातवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई बाल ब्रह्मचारी स्कूल से पूरी की। ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई कंधार तहसील स्थित प्रियदर्शनी गर्ल्स हाई स्कूल से हासिल की। उसके बाद यशवंत राव चौहान ओपन यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री हासिल करने के साथ ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। डिप्टी कलेक्टर बनने से पहले वह नागपुर में क्लास टू सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थीं। अपनी दुसरी ही कामयाब कोशिश में वसीमा ने 2018 में ही इस पद को प्राप्त कर लिया था।

यूं ही नहीं मिलता कोई मुकाम

वसीमा शेख़ की मेहनत और उनके पूरे परिवार के सहयोग का ही नतीजा है कि आज वह उस पद तक पहुंचने में कामयाब रही हैं, जिसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही थीं। वसीमा शेख़ का कहना है कि आपकी योजनाएं, इच्छाशक्ति और सही दिशा में की गई मेहनत आप को सफ़ल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ख्वाबों की उड़ान

वसीमा शेख़ चार बहनों और दो भाइयों में चौथे नंबर पर हैं। पिता की बिमारी के कारण परिवार की जिम्मेदारी माता जी ने संभाली। वह खेतों में मजदूरी करने के साथ साथ घर-घर जाकर चूड़ियां पहनाने का काम भी करती थीं। वसीमा के भाइयों ने भी अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर घर की जिम्मेदारी संभाली। वह चाहते थे कि वसीमा शेख़ कुछ बन जाए। उन्होंने भी अपने पूरे परिवार के सपने को पूरा किया और आज वह अमरावती में डिप्टी कलेक्टर के पद पर आसीन हैं।

(सभार आवाज़ द वायस)