मेरठ/लखनऊः उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है। ये चुनाव अप्रैल में होंगे, और मई में इनके नतीजे आएंगे। यूपी में ग्रामप्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत के चुनाव होना है। चुनाव की घोषणा के साथ ही आरक्षण की घोषणा भी हो चुकी है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर शादाब चौहान ने आरोप लगया है कि यूपी सरकार ने जानबूझकर मुस्लिम बहुल सीटों को एससी समाज के लिये आरक्षित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने यह क़दम एक वर्ग को राजनीतिक रूप से हाशिये पर डालने के उद्देश्य से उठाया है।
पीस पार्टी प्रवक्ता ने इस बाबत अपना एक वीडियो जारी करके आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बहुल ग्राम पंचायतों, जिलापंचायतों की सीटों को एससी समाज के लिये आरक्षित किया गया है। अब इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकता, क्योंकि आर्टिकल 341 के तहत मुस्लिम और ईसाई को एससी की सूची से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह यूपी में मुस्लिम बहुल ग्राम पंचायतों को एससी के लिये आरक्षित किया गया है, उसी तरह मुस्लिम विधानसभा सीटों को भी एससी के लिये आरक्षित किया जाएगा, और मुसलमानों एंव ईसाईयों की राजनीतिक हिस्सेदारी को खत्म किया जाएगा।
शादाब चौहान ने डॉक्टर बी.आर अंबेडकर की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब 1950 में यह काला क़ानून लाया गया, तब डॉ. बी.आर. अंबेडकर देश के क़ानून मंत्री थे, उन्हीं के क़ानून मंत्री रहते इस देश के मुसलमानों और ईसाईयों के एससी वर्ग को इसमें शामिल नहीं किया गया। जबकि सिख, बौद्ध, पारसी, हिंदू को इस सूची में शामिल कर लिया गया।
पीस पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि उस 1950 में चाहे जो परिस्थिती रही हो लेकिन बाबा साहब को देश के मुसलमानों, और ईसाईयो से हो रहे खुल्लम खुला भेदभाव के खिलाफ आवाज़ तो उठानी चाहिए थी। शादाब ने कहा कि उसके बाद भी कथित तौर से दलितों के राजनीतिक दल होने का दंभ भरने वाले सियासी दलों ने इस नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई। शादाब ने सवाल किया कि मुस्लिम दलित एंव ईसाई दलितों को आरक्षण की सूची में शामिल क्यों नहीं कि जा रहा है।