सबसे अधिक मुस्लिम आईएस देने वाला संस्थान “जामिया मिल्लिया इस्लामिया”

जामिया में UPSC की तैयारी के लिए अलग से एक संस्थान है जिसको रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी कहते है, जिसके इस बार 23 परीक्षार्थी चयनित हुए हैं जिसमें इस साल की टॉपर श्रुति शर्मा भी शामिल है. जामिया अकादमी से तैयारी करके सफल होने वाले परीक्षार्थियों में 12 मुस्लिम हैं। जबकि इस साल के संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में कुल 25 मुस्लिम उम्मीदवारों ने बाज़ी मारी है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

पिछले कुछ वर्षों में, भारत भर में कई कोचिंग सेंटर सामने आए हैं जो विशेष रूप से मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए मुफ्त या रियायती कोचिंग प्रदान करते हैं, जैसे हमदर्द स्टडी सर्कल, आगाज़ फाउंडेशन, लार्क्सपुर हाउस, आदि। इस साल के सिविल सेवा के नतीजों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले कॉचिंग में जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नाम है जिसके 23 परीक्षार्थी चयनित हुए हैं जिसमें इस साल की टॉपर श्रुति शर्मा भी शामिल है जिन्होंने जामिया के आरसीए से ही तैयारी की है। जामिया अकादमी से तैयारी करके सफल होने वाले परीक्षार्थियों में 12 मुस्लिम हैं।

एक समाचार वेबसाइट से बातचीत में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख़्तर ने बताया कि यह न केवल उनके लिए बल्कि विश्वविद्यालय के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। वह विशेष रूप से खुश थी कि 23 सफल उम्मीदवारों में से नौ लड़कियां थीं। प्रो. अख्तर ने आशा व्यक्त की कि यह उपलब्धि केंद्र के अन्य छात्रों को भी प्रेरित करेगी और उनके आत्मविश्वास के स्तर को भी बढ़ाएगी। उन्होंने उन छात्रों को भी शुभकामनाएं दी जो साक्षात्कार स्तर पर पहुंचने के बाद चयन से चूक गए थे।

इसके अलावा, एमए लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान विभाग, जामिया की पूर्व छात्रा महक जैन ने भी प्रतिष्ठित परीक्षा पास की और 17वीं रैंक हासिल की। इस तरह से देखें तो जामिया के 23 परीक्षार्थी केवल पास ही नहीं हुए बल्कि उन्होंने मैरिट में भी यथासंभव बेहतर स्थान बनाया जिसमें टॉपर श्रुति का नाम भी शामिल है। जामिया की कॉचिंग से अब तक 270 छात्रों ने यूपीएससी को पास किया है और 403 उम्मीदवारों को विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोगों, आरबीआई, सीएपीएफ, आदि के लिए चुना गया है, और प्रीमियम सेवाओं में शामिल हो गए हैं।

कुल 685 परीक्षार्थियों में मुस्लिम के बतौर नम्बर 1 और कुल रैंक में 109 हासिल करने वाली अरीबा नौमान सुल्तानपुर की रहने वाली हैं। अरीबा के पिता नोमान अहमद नेशनल इंश्योरेंस कंपनी सुल्तानपुर में प्रशासनिक अधिकारी हैं। मां रुखसाना निकहत एक गृहणी हैं और बहन तूबा नोमान लखनऊ में तालीम हासिल कर रही हैं। अरीबा ने बताया कि प्रशासनिक क्षेत्र में जाने की प्रेरणा उन्हें इनके मामा गुफरान अहमद सैफी से मिली जो कि जिले के प्रसिद्ध समाजसेवी और समाजवादी पार्टी के नेता हैं।

राष्ट्रीय रैंक में 162वां स्थान बनाने वाले एमबीबीएस डॉ. सैयद मुस्तफ़ा हाशमी ने चौथी बार में सफलता हासिल की। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि कॉविड के दौरान उन्होंने तैयारी की। डॉ. हाशमी किंग कोटि अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम भी कर रहे थे और सिविल सेवा की तैयारी भी कर रहे थे। उन्होंने 2016 में एमबीबीएस और 2020 में एमडी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने उस्मानिया जनरल अस्पताल से सर्जरी में मास्टर्स किया और वर्तमान में एक सामान्य सर्जन और डॉक्टर के रूप में मानवता की सेवा कर रहे हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की आरसीए से तैयारी कर 419वीं रैंक हासिल करने मुहम्मद शब्बीर ने कड़ी मेहनत की। मोहम्मद शब्बीर मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के बचियन वाली के निवासी हैं। आरसीए के निदेशक प्रो. सगीर अहमद अंसारी ने एक समाचार पत्र को साक्षात्कार में बताया कि शब्बीर ने 2016 में बीएससी तथा 2018 में एमएससी (प्राणी विज्ञान) पूरा करने के बाद 2019 के बैच में एएमयू के आरसीए में प्रवेश लिया और 2021 की परीक्षा में वह सफल रहे।

इससे पहले 2020 में 31, 2019 में 42, 2018 में 27, 2017 में 50 और 2016 में 52, 2015 में 34 और 2014 में 38 मुस्लिम परीक्षार्थी पास हुए थे।  यूँ 25 सफल मुस्लिम परीक्षार्थियों की मेहनत की कहानी को समेटना आसान नहीं है लेकिन हर एक की कहानी में वो कहानी ज़रूर मिल जाएगी जो किसी भी परीक्षार्थी के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

(लेखक समसामयिक विषयों के जानकार और मुस्लिम स्टूडेंट्स आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन हैं)