मोहम्मद अकरम/ हैदराबाद
दुनिया मे सबसे अच्छा काम किसी भूखे को खाना खिलाकर उसकी भूख को मिटाना है, सभी धर्मों ने अपने अनुयायियों को यहीं पाठ पढ़ाया है लेकिन भारत में कितने लोगों को खाना नहीं मिलता है और भूख से उसकी मौत हो जाती हैं? इसका जवाब हैरान करने वाला है, अक्टूबर 2020 के तीसरे हफ्ते मे जारी किए गए रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक भारत मे 19 करोड़ लोग रोजाना भूखे पेट सोते हैं, जो चिंताजनक है।
हैदराबाद मे एक शख्स पांच सालों से प्रतिदिन साल के बारह महीने सैकड़ों लोगों की भूख को मिटाने का काम कर रहे हैं, जब वह देश के कई इलाकों मे अपनी नजरों से भूखों को तडपते देखा तो उस समय उन्होंने लोगों को खाना खिलाने का फैसला किया, टीम मे सौ से ज्यादा नौजवा है जो हमेशा सेवा के जज्बे से काम करते हैं, यही नहीं कोरोना काल मे सरकारी बाबुओं ने उनके यहां से खाना लेकर लोगों मे वितरण किया है, इसके जिम्मेदार किसी तरह अवॉर्ड लेने से खुद को दूर रखते हैं।
शहर के टोली चौकी के रहने वाले मोहम्मद आसिफ हुसैन अपने घर के पास हर रोज दोपहर दो बजे से तीन बजे के बीच बेसहारा लोगों, बाहर से आकर काम करने वालों को फ्री मे खाना खिलाते हैं, उन्होंने घर के बाहर खिदमत ए खल्क नाम से लोगों की सेवा कर रहे हैं। बोर्ड पर लिखा है ”आप हजरात से गुजारिश की जाती है कि हमारे साथ रोजाना साल के बारह महीने दोपहर का खाना तनावल फरमा कर खिदमत का मौका दें” आगे लिखा है ”हमारे यहां किसी तरह के दान कबूल नहीं किए जाते हैं”।
कैसे शुरू किया समाज सेवा का सफर
इस बारे मे मोहम्मद आसिफ हुसैन ने हमसे बात करते हुए बताया कि ये काम हम सालों से कर रहे हैं, सकिना फाउंडेशन हमने दस साल पहले मरहूम पिता और बेटी की याद मे शुरु किया, शुरुआत मे हम सौ लोगों के लिए खाना तैयार कर लोगों के बीच बांटते थे, लेकिन हाल के कुछ सालों से हम प्रतिदिन हजारों लोगों का खाना तैयार करके कई इलाकों मे वितरण करते हैं, इस मे सभी धर्मों के लोग होते है, ये काम सिर्फ हैदराबाद मे नहीं बल्कि पुरे तेलंगाना के कई जिलों मे जारी है और आगे भी जारी रहेगा।
वह आगे बताते हैं कि मैंने देश के कई शहरों मे काम किया है, जहां लोगों के दर्द और तकलीफ़ को नजदीक से महसूस किया है, भूख से तड़पते हुए लोगों को देखा है, इसके बाद हमने सोचा कि क्यों नहीं लोगों को खाना खिला जाए, हमें अल्लाह ने जो दिया है उसी मे से खर्च करते हैं किसी तरह की मदद नहीं लेते हैं।
लॉकडाउन मे हमने करीब नौ लाख लोगों को खाना खिलाया हैं, ऑक्सीजन भी लोगों तक पहुंचाने का काम किया, सरकारी महकमों के अफसरों ने हमारे यहां से खाना ले कर लोगों में बांटने का काम किया है, ये हमारे लिए फर्ख के साथ अल्लाह का बहुत बड़ा एहसान है।
आवार्ड लेने से इनकार
अवार्ड नहीं लेने के बारे मे बताते है कि हमारे इस काम से खुश हो कर सरकार की तरफ से कई बार अवार्ड देने ऑफर किया गया लेकिन हमने नहीं लिया, मैं अपने आपको इस काबिल नहीं समझता हूं, ये मेरा देश है और लोगों की सेवा करना हमारी जिम्मेदारी है, इस तरह का काम हमें करना चाहिए इसका अजर ऊपर वाला देगा। क्योंकि हमें यकीन है कि इसका सवाब एक रोज जरूर मिलेगा।
उनके इस काम मे ढ़ेर सौ नौजवान लगे हुए है जो पूरी ईमानदारी से काम करते हैं, तेलंगाना के कई जिलों मे खाना बनाने से लेकर लोगों को खिलाने तक का काम करते हैं।
उन्होंने आगे बताया हमारी तंजीम इंसानियत की बुनियाद पर ये सेवा कर रहा है क्योकि भुखों का कोई मज़हब नहीं होता है। अगर हर शहर मे आसिफ जैसे नौजवान पैदा हो जाए तो मुल्क मे भूख से लोगों की मौत नहीं होगी देश तरक्की करेगा।
(सभार- आवाज दी वाइस)