राहुल गांधी से डरी हुई है मोदी सरकार

सुसंस्कृति परिहार

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ज्यों ज्यों 2024के चुनाव करीब आ रहे हैं मोदी सरकार निरंतर क्रूर और बर्बर होती जा रही है।ई डी की जांच कोई बड़ी बात नहीं है ये तो आज आम जनता भी भली-भांति समझने लगी है जो सरकार के गलत कामों के विरुद्ध बोलेगा , लिखेगा  वह तो इन चीजों में फंसाया जायेगा भले वह न्यायालय से निर्दोष बरी हो जाए।इसके साथ ही यह भी तय है कि जो आकंठ गलत कामों में संलग्न होगा वह यदि भाजपाई है तो बेदाग माना जाएगा। हाथ कंगन को आरसी क्या इसीलिए जितने लुटेरे, आपराधिक लोग हैं वे भाजपाई गंगा में हाथ धोने में लगे।मोनू त्रिपाठी और नुपूर शर्मा नाम ही काफ़ी हैं।

ये भाजपा से सम्मोहित नहीं है बल्कि अपने पापों पर पर्दा डालने और सुरक्षित होकर अपनी राह मज़बूत करने का उपक्रम में लगे लोग हैं ।लोग कहते हैं जब पाप धोते धोते गंगा मैली हो सकती है तो भाजपाई गंगा का हाल तो बहुत बुरा हो चुका है।नये पापियों के आगमन से पुरानों की पीड़ा का कोई पारावार नहीं। हालांकि वे चुप हैं भयातुर हैं पर चिंगारी को दबाए हुए हैं। फिलहाल ये उनकी अंदर की बात है । उनके घात प्रतिघात से हमें क्या लेना देना ?

बात राहुल गांधी उर्फ़ भाजपाई पप्पू की हो रही थी जो अब परफेक्ट नेता बन चुके हैं।उनकी राजनीति किसी बिछी बिसात की नहीं है उनका संघर्ष राजीव की आकस्मिक हत्या से शुरू होता है।किशोर वय में राजनैतिक झुकाव राजीव गांधी की हत्या से ही उपजा लगता है।मां के राजनैतिक इंकार के बाद उन पर दो वर्ष जो दबाव का राजनैतिक चक्र चला उसे विरोधियों ने सत्ता लोलुपता कहा। जिन्हें देश की जनता का भरपूर प्यार मिला वे प्रधानमंत्री पद तक पहुंची भी उनकी सदाशयता देखिए दो भाजपाई महिलाओं के विरोध का मान रखते हुए उन्होंने पद लेने से तिलांजलि दे दी।उसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका के नाम आगे लाए गए।यह कांग्रेस की कमज़ोरी थी वह सिर्फ गांधी नेहरु के नाम से ही जीत की उम्मीद रखती रही। इसीलिए कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप भी जब तब लगता है हालांकि वे पूरे लोकतांत्रिक तरीके से सदन में आते रहे हैं।

इस दौरान एक किस्सा याद आता है जब ए के एंटनी ने पहली बार राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा और मौजूद सभी कांग्रेस जनों ने स्वागत किया तो सोनिया जी ने वहां ज़रुर ताली बजाकर स्वागत किया लेकिन रात्रि में राहुल को जाकर कहा राजनीति जहर है और वे रो दीं थीं ये बात राहुल गांधी ने स्वयं बताई थी। हमें सभी जानते हैं राजनीति की वजह से राजीव जी और इंदिरा जी की हत्या हुई थी।

बहरहाल राहुल ने गरल पान किया और अपना सर्वस्व राजनीति को समर्पित कर दिया। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने उनसे दो बार प्रधानमंत्री बनने की अपील की । लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर अपनी मां की परिपाटी पर चलकर मनमोहन जी को जो सम्मान मां के बाद बेटे ने दिया उसकी दुनिया में कहीं कोई मिसाल नहीं।एक समझदार युवा जो संघर्षों के बीच तपता हुआ राजनीति की देशभक्ति का पाठ सतत पढ़ और सीख रहा था।उसे झूठे,मक्कार और गद्दार नेताओं ने पप्पू बनाने के लिए मीडिया पर करोड़ों खर्च किए किंतु वही अब इतना बड़ा निर्भीक, शांतचित्त नेता बनके सामने खड़ा है कि पूरी मोदी सरकार उसके पीछे पड़कर  पूरे गांधी परिवार को बदनाम करने आतुर है।

स्मरण कीजिए उन लम्हों को जब राजीव जी की मृत्यु के बाद संघ के लोग इस प्रचार में लगे थे कि सोनिया जहाज में सामान लदान करने में जुटी है और वे रातों रात अपने बच्चों के साथ भाग जायेंगी ।वे भारत की बहू बनकर आई और राजीव की तरह देश की मिट्टी में समाने का संकल्प लिए हुए हैं। राहुल उस मां के बेटे हैं सच्चे देशभक्त।जो लाभ की नहीं त्याग की राजनीति करते हैं।

तीन दिनों से  नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी से ED की पूछताछ पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ कहा, “इस केस में 2015 में इन्होंने खुद क्लीन चिट दी थी अब वापस   हो गया।गांधी परिवार को   पर आधारित है जिसमें  नेशनल हेराल्ड अखबार के मामलों की जांच करने और सोनिया और राहुल गांधी का कर निर्धारण करने की अनुमति दी गई थी। यह आदेश 2013 में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक याचिका का परिणाम था ।

यह जांच कांग्रेस द्वारा प्रमोटेड यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड फाइनेंशियल इरेगुलेरिटीज को लेकर है। नेशनल हेराल्ड एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया जाता है और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ओन्‍ड है। राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती हैं। वह इस समय कोविड से झूझ रहीं है। एजेंसी ने उन्‍हें भी 23 जून को मामले में पूछताछ के लिए बुलाया है।

कांग्रेस द्वारा एक बार निर्णीत मामले को दोबारा गरमाने और कांग्रेस नेता को निरर्थक परेशान करने के विरोध में सत्याग्रह का आव्हान किया था लेकिन पुलिस ने जब कांग्रेस कार्यालय को ही घेर लिया । कांग्रेस कार्यकर्ताओं के वहां आने जाने पहुंचने पर रोक लगाई तब वे ई डी कार्यालय ही पहुंच गए विरोध जताने ।इस सत्याग्रह मामले को इतना तूल बनाया गया कि दिल्ली ही नहीं पूरे देश में सरकार के प्रति आक्रोश नज़र आया।

दिल्ली पुलिस ने सोमवार से लेकर बुधवार तक जो पहले से अलर्ट पर थी। अकबर रोड पर तो धारा 144 लगा दी गई थी. कई कांग्रेसी नेताओं को रोजाना सैकड़ों की संख्या में हिरासत में लिया गया है.दिल्ली में  ई डी कार्यालय के बाहर टायर जलाकर विरोध भी किया गया।उधर असम में  सत्याग्रह दौरान गुवाहाटी एसीपी घायल हो गए। एसीपी हिमांगशु दास ने बताया कि कांग्रेस ने विरोध-प्रदर्शन किया, जिसमें हमने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। उसी दौरान मुझे मामूली चोट लगी, जिसे थोड़े से इलाज के साथ ठीक कर लिया गया।सचिन पायलट जैसे विभिन्न राज्यों के नेताओं की पकड़ धकड़ और गिरफ्तारी ।उनके साथ अमानवीय व्यवहार। तकरीबन एक हजार कांग्रेसी कार्यकर्ता दिल्ली में गिरफ्तार किए गए।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- ”देश के हर मुद्दे को राहुल गांधी ने उठाया है और इसलिए इन्हें परेशान किया जा रहा है। भाजपा का जो राष्ट्रवाद है वो आयातित राष्ट्रवाद है, उस राष्ट्रवाद में जो भी विरोध में हो उसे दबा दिया जाए और कुचल दिया जाए।”

भूपेश बघेल ही नहीं अखिलेश यादव भी इस बात को अहमियत दे रहे हैं।यह बात सौ प्रतिशत सच है।यह आगत चुनावों की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। राहुल और सोनिया गांधी जी को सिर्फ परेशान ही नहीं किया जा रहा बल्कि यह भी पूरी पूरी कोशिश होगी कि उन्हें गिरफ्तार कर उनकी छवि फिलवक्त धूमिल की जा सके परंतु भाजपाई सरकार का यह दांव सोमवार से ही उल्टा पड़ गया जब  कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ सख्ती हुई ।जेले भरी गई। उनको जुलूस निकालने नहीं दिया गया और पार्टी कार्यालय को बंधक बना के रख लिया।गंगाराम अस्पताल में मां की बीमारी के बावजूद 10-10घंटों की पूछताछ की खबरें भी जनता को विचलित कर रही हैं।एक बात साफ है राहुल का कद अब काफी बढ़ चुका है।देश में उनकी छवि भाजपाई करतूतों के बावजूद अब बहुत मज़बूत हो चुकी है ।इस समय भाजपा डरी हुई हैऔर कहते हैं जो डर गया वो मर गया दूसरी ओर राहुल गांधी की निडरता और निश्छलता लोगों को आकृष्ट कर रही है।

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