जनसंख्या नियंत्रण को यूपी सरकार लाए सदन में बिल: अशफाक सैफी

परवेज त्यागी

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लखनऊ: जनसंख्या को लेकर उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने गहरी चिंता व्यक्त की है। आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा है कि वह लगातार लोगों को यह संकल्प दिला रहे हैं कि वह उतने ही बच्चे पैदा करें जिनके लिए बेहतर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य का बंदोबस्त कर सकें। उनकी मांग है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए योगी सरकार शीघ्र ही विधानसभा में बिल लाए। इसके संबंध में जल्द ही अल्पसंख्यक आयोग सरकार को इसका मसौदा भेजेगा।

मंगलवार को आयोग ने अपनी एक साल बेमिसाल पत्रिका का विमोचन किया। इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफक सैफी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून देश के लिए बहुत ज़रूरी है। कानून बनने से बढ़ती जा रही आबादी और समस्याओं में कमी आएगी। बताया कि अल्पसंख्यक कल्याण के लिए आयोग की संचालित योजनाओं में मदरसा आधुनिकीकरण के अलावा केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति योजना, पढ़ो परदेस, नया सवेरा, नई उड़ान, सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रोशनी, जियो पारसी, हमारी धरोहर और प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम चला रखा है। योजनाओं की जानकारी अल्पसंख्यकों तक पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है ताकि अल्पसंख्यकों को इनका पूरा लाभ मिल सके।

अनीता को कानपुर, परविंदर को बरेली की कमान

आयोग ने अल्पसंख्यक वर्ग की शिकायतों के समाधन को अपने सदस्यों में कार्य विभाजन किया है। रुमाना सिद्दीकी को सहारनपुर व प्रयागराज मंडल इसके लिए आवंटित किया गया है। सरदार परविंदर सिंह को आयोध्या व बरेली, अनीता जैन को अलीगढ़ व कानपुर, हैदर अब्बास चांद को वाराणसी व आजमगढ़, नवेन्दु सिंह इजिकेल को विंध्याचल, मुरादाबाद, बक्शीस अहमद वारसी को गोरखपुर व बस्ती, सुरेश चन्द्र जैन को मेरठ व झांसी, सम्मान अफरोज खान को देवीपाटन व चित्रकूट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अध्यक्ष अशफाक सैफी प्रदेश के सभी मंडल व जिलों के मामलें देखेंगे।

एक साल में 2468 शिकायतों का निस्तारण किया

अपनी एक साल बेमिसाल पत्रिका में आयोग ने बताया है कि एक वर्ष की समयावधि में अल्पसंख्यकों से संबंधित 2468 शिकायतें निस्तारित की गई हैं। कुल 2686 शिकायतें मिली थी। आयोग ने 1272 मामलों में समन जारी कर सुनवाई की, जिनमें से 1176 मामलों का निराकरण किया गया है। आयोग ने अपने सदस्यों को प्रदेश के प्रमुख मंडलों की जिम्मेदारियां सौंप दी हैं ताकि वह अपने प्रभार वाले क्षेत्रों के अल्पसंख्यकों की समस्याओं का आसानी से निबटारा कर सकें।