इंसानियत को बचाने वाले ‘महबूब’ जिसने अपनी जान पर खेलकर बचाई स्नेहा गौर की जान

विक्रम सिंह चौहान

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इंसानियत जब अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचता है तब उसका नाम “महबूब” होता है। भोपाल के महबूब वही शख्स है जिन्होंने बरखेड़ी फाटक के पास मालगाड़ी के नीचे आई नाबालिग लड़की को बचाने के लिए खुद मालगाड़ी के नीचे घुस गया और धड़धड़ाकर तेज चलती ट्रेन के बीच लडक़ी के सिर को झुकाते हुए पकड़कर पटरी के नीचे लेट गए।

लडक़ी खड़ी मालगाड़ी के नीचे से ट्रैक पार कर रही थी,अचानक ट्रेन चलने से पैर फंस गया और चीखने लगी,सामने कारपेंटर का काम करने वाले महबूब थे, उन्होंने लड़की की जिंदगी बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी।लोगों ने इसका वीडियो बना दिया जो अब वायरल हो गया है।

पुलिस अधिकारियों से पुरुस्कृत होते महबूब के सिर में सफेद टोपी और लंबी दाढ़ी है।वही टोपी और दाढ़ी जिससे आपको नफ़रत करने पिछले 7 साल से रोज सरकार और मीडिया दम लगा रही है।महबूब के पास मोबाइल नहीं है,महबूब को पता नहीं होगा उन जैसे टोपी और दाढ़ी लगे आदमी के व्हाट्सएप में कई करोड़ नफ़रत भरे मैसेज रोज हिंदुओं के ग्रुप में फारवर्ड होते हैं। या पता भी होगा तो महबूब को फर्क नहीं पड़ता होगा।

क्यों महबूब के पास ईमान है,महबूब नहीं जानता था सामने जिसकी जिंदगी वे बचा रहे हैं वे “राम” को मानने वाले है कि “अल्लाह” को ।लेकिन जो उन जैसे दाढ़ी और टोपी लगे आदमी का फोटो लगा नफरती मैसेज फारवर्ड करते हैं उनके नीचे जरूर लिखा होता है।

लड़की की जान बचाने वाले का नाम मोहम्मद महबूब है और वे पेशे से कारपेंटर हैं। सोशल मीडिया पर महबूब की वीरता के खूब चर्चे हो रहे हैं। लड़की का नाम स्नेहा गौर है। मेहबूब बहुत कम पढ़े लिखे हैं। उनकी तीन साल की बेटी है। उनके पास मोबाइल भी नहीं है। उन्हें यह नहीं पता कि सोशल मीडिया में वे छाए हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)