लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व और भागीदारी के मायने

तारिक़ अनवर चंपारणी

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प्रतिनिधित्व क्यों अहम होता है? इस बात को समझने के लिए आज की दो घटनाओं को उदाहरण के रूप में सामने रखिये। पहला NEET में ओबीसी के आरक्षण का मामला गर्म है। इसको लेकर आज कई सांसद प्रधानमंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने जाने वालों में लगभग सभी सांसद ओबीसी से आते है। यह लगभग तय हो चुका है कि NEET में ओबीसी का आरक्षण लागू होने जा रहा है।

दूसरा बिहार के समस्तीपुर जिला के आधारपुर पंचायत में श्रवण कुमार की हत्या हुई। उस हत्या के बाद उपद्रवियों ने मुस्लिम परिवार के घर को आग के हवाले कर दिया। भीड़ ने महिला शिक्षिका को निर्वस्त्र करके पानी में डुबो-डुबोकर हत्या कर मार दिया। महिला शिक्षिका के भतीजे की भी हत्या हुई। साथ में हसनैन के बड़े भाई को अधमरा कर दिया गया। हसनैन की तीन बेटियों के साथ भी दुर्व्यवहार हुआ मगर जान बचाने में कामयाब रही।

इस घटना के बाद श्रवण और हसनैन दोनों के परिवार को इंसाफ़ दिलाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा कोई पहल नहीं हुआ। राजद के क्षेत्रीय विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन श्रवण के परिवार से मिलने तो गये मगर हसनैन के परिवार से मिलने की कोशिश नहीं किये। एक विधायक के रूप में उनको वोट टूटने का डर रहा होगा। मगर वह राजद के प्रदेश प्रवक्ता हैं। इसलिए इस मुद्दा को राज्य के क़ानून-व्यवस्था के नाम पर सरकार को घेरना चाहिये था। मगर ऐसा उन्होंने नहीं किया। विधायक जी कम-कम एसपी को बोलकर शांति समिति का बैठक बुलाकर दोनों समुदायों के बीच शान्ति स्थापित करने की कोशिश भी करनी चाहिये थी। लेकिन उन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया।

बिहार मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान साहब देर से ही सही मगर अपने विधायकों को लेकर आधारपुर पहुँचें। यह लोग श्रवण और हसनैन के परिवार से मिलकर दोनों परिवार के सदस्यों को सहायता राशि भी दिया। आज विधानसभा में प्रश्न उठाकर सरकार का ध्यानाकर्षण भी कराया। पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में एक प्रतिनिधि के वश में जितना होता है उतना कोशिश इन्होंने किया है। जब्कि यह काम क्षेत्रीय राजद विधायक और प्रदेश प्रवक्ता अख्तरुल इस्लाम शाहीन को करना चाहिये था। मगर उन्होंने नहीं किया। मुझें समझ नहीं आता कि तीन बार से लगातार विधायक रहने के बावजूद कोई इतना दब्बू कैसे हो सकता है?

(लेखक सोशल एक्टिविस्ट एंव राजनीतिक विश्लेषक हैं, ये उनके निजी विचार हैं)