बरेलीः हरिद्वार में हुई धर्म संसद की प्रतिक्रिया में इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (आईएमसी) की तरफ से बुलाई गई मुस्लिम धर्म संसद में एलान किया गया कि देश में अमन के लिए 20 लाख मुसलमान अपनी कुर्बानी देने को तैयार हैं। पहली किस्त के तौर पर सात जनवरी को जुमे की नमाज़ के बाद 20 हजार मुसलमान कुर्बानी देने के लिए इकट्ठे होकर सरेंडर करेंगे। जिसकी प्यास उनके खून से बुझती हो, वह बुझा ले।
आईएमसी कैंप कार्यालय पर मंगलवार रात हुई मुस्लिम धर्म संसद में लिए गए फैसलों का बुधवार सुबह पार्टी प्रमुख मौलाना तौक़ीर रजा खां ने एलान किया। उन्होंने कहा कि 20 लाख मुसलमानों का कत्लेआम आसानी से नहीं हो सकता। आत्मरक्षा के लिए मुसलमान खड़े होंगे तो देश में गृह युद्ध के हालात बन जाएंगे। वे नहीं चाहते कि देश का माहौल खराब हो, इसीलिए सात जनवरी को इस्लामिया ग्राउंड पर जुमे की नमाज़ के बाद 20 हजार मुसलमान खुद अपनी कुर्बानी देने के लिए हाजिर होंगे। इसके बाद हर जुमे पर 20-20 हजार मुसलमान उनका लक्ष्य पूरा करने को इसी तरह इकट्ठे होंगे। शासन-प्रशासन उनका है और पुलिस-मिलिट्री भी, चाहे जिसके हाथों वे मुसलमानों का कत्ल करा दें।
अमर उजाला की एक ख़बर के मुताबिक़ मौलाना तौक़ीर रज़ा ने कहा कि वे किसी से शिकायत नहीं करेंगे क्योंकि जिन पर हालात ठीक करने की जिम्मेदारी है, वे खुद खामोश हैं। अदालतें तमाम मुद्दों पर दखल देती हैं लेकिन इतनी बड़ी बात पर खामोश हैं। इससे मुसलमानों में मायूसी है। आईएमसी प्रमुख ने कहा कि मुसलमानों को अब किसी पर भरोसा नहीं है। उलमा का फैसला है कि अब वे सब्र करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उनके सब्र को उनकी कमजोरी समझा जा रहा है। मुस्लिम औरतों और लड़कियों के बारे में अपने लोगों को एक-एक लाख रुपये का लालच देकर आपत्तिजनक बातें कराई जाती हैं। कुरान की बेहुरमती होती है, पैगंबर के खिलाफ गुस्ताखी की जाती है। ये सब लगातार चल रहा है।
मौलाना तौक़ीर रज़ा ने कहा कि जिन लोगों ने मुसलमानों के कत्ल का एलान किया है, हमें उनसे भी कोई शिकायत नहीं क्योंकि यह साधुओं की भाषा हो ही नहीं सकती, यह राक्षसों की भाषा है। हमें शिकायत हुकूमत और अदालत से है। जो कुछ हो रहा है इससे मुल्क की विदेशों में भी बहुत बदनामी हो रही है। मुसलमान इसलिए भी कुर्बानी देना चाहते हैं ताकि मुस्लिमों की वजह से मुल्क बदनाम न हो।
उन्होंने कहा कि धर्मसंसद में महात्मा गांधी पर जो टिप्पणी की गई, वह बेहद आपत्तिजनक है। जब महात्मा गांधी अंग्रेजों से लड़ रहे थे, तब उन्हें गालियां देने वाले लोग अंग्रेजों के साथ खड़े थे। मुसलमान भी गांधी के साथ अंग्रेजों से लड़ रहा था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता डॉ. नफीस खां और मुनीर इदरीसी भी मौजूद थे।