नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के इब्राहिमपुर में हुई हिंसा पर स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही एकतरफा कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने एकतरफा कार्रवाई को रोकने और शांति स्थापित करने की मांग की है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के इब्राहिमपुर में मूर्ति विसर्जन के दिन कुछ आसमाजिक तत्वों ने मस्जिद के पास मूर्ति उतारी और फिर जोर-जोर से डीजे बजाना शुरू कर दिया। नमाज के वक्त मस्जिद के जिम्मेदार लोगों ने कहा कि भाई यहां से आगे बढ़ो, हम नमाज पढ़ लें लेकिन किसी ने नहीं सुना। फिर दोनों पक्षों की ओर से मामला बढ़ने लगा जो आपसी विवाद में बदल गया। उस मस्जिद को क्षति पहुंचाई गई। मुसलमानों की दुकानों और इब्राहिमपुर के मदरसे में तोड़फोड़ की गई। साथ ही मदरसे के छात्रों के साथ मारपीट भी की गई।
लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि पुलिस एकतरफा तौर पर केवल मुसलमानों को ही गिरफ्तार कर रही है। न्याय स्थापित करने की बजाए वहां के एसओ अमरिंदर सिंह ने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि ’’हम उनको चुन-चुन कर मारेंगे। उनके घरों को तोड़ देंगे। उनका यह बयान एक वीडियो के रूप में वायरल हो रहा है। उन्होंने जो कुछ भी कहा अब उसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है। मदरसे सहित जिन पांच लोगों को अवैध कब्जे का नोटिस मिला है, उनमें से चार मुसलमान हैं और एक यादव है। गिरफ्तार किए गए सभी लोग मुस्लिम हैं। इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट परिसर में वकीलों ने गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ मारपीट की।
इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने जीमयत उलेमा की सुल्तानपुर इकाई के अध्यक्ष मौलाना मताहिरुल इस्लाम के नेतृत्व में जिला पुलिस आयुक्त और कप्तान से मुलाकात कर के एक ज्ञापन सौंपा और एकतरफा कार्रवाई पर सवाल उठाया। इन परिस्थितियों के मद्देनजर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है, जिसमें चार सूत्रीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। पत्र में कहा गया है कि-
(1) पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाए कि वे सतर्कता बरतें ताकि हिंसा की पुनरावृत्ति न हो।
(2) अमन कमेटियों की बैठकें और संयुक्त अमन यात्रा आयोजित करके आपसी विश्वास स्थापित किया जाए और माहौल को शांतिपूर्ण बनाया जाए। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा का कार्यकर्ता हर तरह से सहयोग करने को तैयार हैं।
(3) दंगाइयों के धर्म और आस्था की परवाह किए बिना उचित और निष्पक्ष कार्रवाई करें।
(4) स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया जाए कि अवैध निर्माण की आड़ में आरोपियों के विरुद्ध कोई भी तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू न करें, क्योंकि इस तरह की कार्रवाई से पूरे समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाई जाती है और एक व्यक्ति की गल्ती की सजा पूरे परिवार को मिलती है जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने आज उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दानिश आजाद से बात की और मांग की कि कानून-व्यवस्था बहाल की जाए और जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिया जाए कि वह एकतरफा कार्रवाई से बचे।
ज्ञात हो कि इस पत्र की एक कॉपी सुल्तानपुर के पुलिस आयुक्त को भी दी गई है। आज जुमे की नमाज से पूर्व जनपद पहुंच कर जमीयत के प्रतिनिधिमंडल ने पत्र सौंप दिया है। जमीयत के प्रतिनिधिमंडल में स्थानीय इकाई के अध्यक्ष मौलाना मताहिरुल इस्लाम के अलावा मौलाना अब्दुल्लाह सुल्तानपुरी नाजिम-ए-आला जमीयत उलेमा सुल्तानपुर, मौलाना मोहम्मद उस्मान कासमी नाजिम जामिया इस्लामिया सुल्तानपुर, मौलाना काजी कसीम कासमी, मौलाना सोहेल अहमद नदवी, मौलाना रफीउल्लाह हकी, मौलाना मकबूल अहमद, पूर्व एमएलए सफदर रजा खान, शकील अहमद खान, अमजदुल्लाह एडवोकेट, अब्दुल सत्तार, अनीस अहमद भलकी, मोहम्मद अहमद एडवोकेट और मेराज अहमद शामिल थे।