नई दिल्लीः धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार किए गए डॉ. उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर का नाम लोकसभा सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल के साथ घसीटा जा रहा है। जिसे ऑल इंडिया असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खारिज कर दिया है। उन्होंने खुद को डॉ. उमर गौतम से अलग करते हुए एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा कि यह सब मेरे संस्थानों और मेरी पार्टी को बदनाम करने के लिये किया जा रहा है।
असम की ढुबरी लोकसभा सीट से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल द्वारा जारी किये गए बयान में कहा गया है कि जिस तरह से कुछ मीडिया संस्थान बेवजह मेरा नाम डॉ. मोहम्मद उमर गौतम के कथित धर्मांतरण मामले में घसीट रहे हैं, यह झूठे दावों के साथ मुझे, मेरी पार्टी और मेरे संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उमर गौतम के हवाले से मुझ पर लगाए जाने वाले आरोप निराधार हैं, यह मेरे नाम और प्रतिष्ठा को खराब करने के दुष्प्रचार का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि 1994 से 2002 की शुरुआत तक डॉ. उमर गौतम एक प्रशासक सह शिक्षक के रूप में मरकजुल मारिफ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर (एमएमईआरसी), दिल्ली से जुड़े थे। वर्ष 2004 के अंत तक, एमएमईआरसी को पूरी तरह से स्थानांतरित कर दिया गया था। और फिर डॉ. उमर गौतम हमसे अलग हो गए और बाद में उन्होंने आईडीसी की स्थापना की। तब से मेरे और उनके बीच कोई आधिकारिक संबंध या लेन-देन नहीं हुआ है।
मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने डॉ. उमर गौतम द्वारा संचालित इस्लामिक दावा सेंटर को फंडिंग करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मैं यह भी दोहराता हूं कि मैंने आईडीसी को कोई फंड नहीं दिया। और उनके संस्थान एमएमईआरसी, मुंबई में भी आज तक एफसीआरए पंजीकरण नहीं हुआ है, इसलिए, विदेशी धन लेनदेन का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपनी कानूनी टीम से विचार विमर्श कर रहे हैं जिसके बाद हम कुछ मीडिया संस्थानों जिन्होंने मेरे खिलाफ पक्षपातपूर्ण मीडिया ट्रायल किया है उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।