सहारनपुर: जामिया अहमद उल उलूम,खानपुर गंगोह का अजीम-उल-शान सालाना इजलास आँल इंडिया मिल्ली काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अब्दुल्ला मुगीसी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। मौलाना मोहम्मद अब्दुल्ला मुगीसी ने अपने हकीमाना व नासेहाना खिताब मे कई हस्सास मौजूआत पर गुफ्तुगू की और सामाईन के दिलो को झंझोडा। उन्होने ने मदारिस की अहमियत और अफादियत पर भी रोशनी डाली और कहा कि हमारे बजुर्गो ने जिस तमन्ना के साथ इन मदारिस कि दाग बेल डाली, उनमे अहमद उल उलूम खानपुर भी मिल्लत के लिए एक तनावर दरखत की शक्ल इख्तियार कर चुके है जिसका फैज मुल्क के कोने कोने में पहुँच रहा है इसकी मिसाल आप ने मुल्क मे मशहूर गया के बरगद से पेश कि और कहा कि आज का जलसा और अवाम का जम-ए-गफीर इस बात की अक्कासी कर रहा है।
उन्होने इत्तेहाद व इत्तेफाक पर सैर हासिल गुफ्तुगू करते हुए और कहा कि उम्मते मोहम्मदियां की कामयाबी की बुनियाद लफ्ज इत्तेहाद व इत्तेफाक मे ही पोशीदा है जब जब उम्मत ने किसी भी मौके पर इत्तेहाद की सबूत दिया है तो जमाने मे इंकलाब के नुमाया असरात पैदा हुए है। उन्होंने कहा कि जब इसके खिलाफ इस भाई-चारे को दर किनार किया गया तो शैतानी जालो और मकरो फरैब और दुनिया के मतवालो ने उम्मत पर यलगर किया औऱ हम हालात से दो चार हुए और हमारी इस कमजोरी का फायदा उठा कर फस्ताई ताकते मजबूत हुई।
उन्होने इसकी मिसाल अरब के मशहूर जानवर ऊंट से दी और कहा कि हजूर सल्ल्लाहौ अलहिय वस्लम के सवारी करने की वजह से एक जानवर मे इतना इत्तेफाक और हजूर का इतना मती व फरमाबरदार हुआ कि सौ ऊंट एक जगह खड़ा कर दिय जाये और उनकी नकेल एक तिफल मकतब को दे दी जाये तो तमाम ऊंट एक ही कतार में चलेगे और उस के बर अक्स कोई भी जानवर ऐसा नही है तो इस लिहाज से इस उम्मत पर भी जरूरी है कि अपने नबी की बात पर अमल करे और अपने सफो पर इजतिमाईयत पैदा करे।
उन्होने इसलाहे माअशरे पर भी तवज्जो दिलाई और कहा कि अब से पहले इस खित्ते मे और जमीनो मे पैदावार की शरहे बहुत कम थी जहाँ आज अल्लाह पाक ने अपने फजलो करम से फरावानी के दरवाजे खोल दिय है, और दौलत की भरमार है। उन्होने मजीद कहा कि यह हमारे बजुर्गो की अमानत है और इस को हमे संभाल कर रखना चाहिए और दीनी व दुनियावी जरूरत में शरियत के मुताबिक सर्फ करना चाहिए। उन्होने आज के नौजवानो को खास तौर पर ताकीद की कि वे नशे और बुरी लतो से दूर रहे क्योंकि इस से दीन और दुनिया दोनो बरबाद होती है।
इस इजाल में मुख्य अतिथि मौलाना मोहम्मद आकिल कासमी, मौलाना जहूर कासमी, मुफ्ती मोहम्मद अहसान कासमी (सदर मुफ्ती दारूल उलूम वक्फ,देवबंद) मौलाना सैय्यद हबीबुल्लाह मदनी,मुफ्ती मोहम्मद साजिद खजनावरी और कारी मोहम्मद तालीब ने शिरकत की। इस आयोजन में इलाके और अहले मदरसा की ख्वाहिश व फरमाईश पर हसबे मामूल नजराना-ए-अकीदत व मौहब्बत, मौलाना डाँ अब्दुल मालिक मुगीसी ( मौहतामिम जामिया रहमत घघरौली) ने अपनी अपनी दिलकश आवाज मे पेश किया।