नई दिल्ली/पटनाः बिहार चुनाव में दरभंगा जिले की जाले विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे मसकूर अहमद उस्मानी पहले रोज़ से ही चर्चा का केन्द्र बने हुए हैं। बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष रहे मसकूर को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। मसकूर ने कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल के “मुस्लिम चेहरे” के रूप में नहीं दिखना चाहते हैं। बता दें कि इस बार कांग्रेस के हिस्से में 70 विधानसभा सीटें आईं जिनमें कांग्रेस ने बिहार में 12 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
एक चैनल को दिये इंटरव्यू में उन्होंने काह कि “मैं किसी भी राजनीतिक दल के मुस्लिम चेहरे के रूप में नहीं दिखना चाहता। मैं गरीबों और युवाओं का चेहरा हूं। मैं सभी के लिए नेता बनना चाहता हूं और उन मुद्दों को उठाना चाहता हूं जो मेरे राज्य और मेरे निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े हैं। एएमयू में, मेरी राजनीति मुद्दा-आधारित थी, और मैं इस लड़ाई में उसी मॉडल को दोहराने जा रहा हूं। जानकारी के लिये बता दें कि उस्मानी एक युवा और शिक्षित नेता हैं जो 2017-18 से एएमयूएसयू अध्यक्ष थे, उनके अध्यक्षता के दौरान ही अलीगढ़ से भाजपा सांसद सतीश गौतम ने छात्रसंघ के दफ्तर में लगी जिन्ना की तस्वीर को लेकर सवाल उठाए। इस पर काफी राजनीति गरमाई, जिन्नी की यह तस्वीर साल 1938 से विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के दफ्तर में लगी हुई थी।
अक्सर विवादित बयानो के लिये जाने जाने वाले भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने मसकूर को टिकट मिलने पर जिन्ना की तस्वीर के मुद्दे को फिर से उठाया तो एक निजी चैनल ने मसकूर पर जिन्ना प्रेमी होने के आरोप लगाए। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मसकूर 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिये पत्र लिखा था, और सवाल किया था कि जब जिन्ना का चित्र इस तरह का मुद्दा है, तो इसे हटाने के लिए एक परिपत्र होना चाहिए। हालांकि, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की तरफ से इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जिसके पंद्रह दिन बाद मसकूर का कार्यकाल पूरा हो गया।
पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े, मसकूर अहमद उस्मानी दरभंगा में बड़े हुए, जहाँ उन्होंने केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ाई की और उसके बाद एएमयू (बीडीएस) में डेंटल स्टडीज़ में शामिल हुए। उन्होंने भेदभावपूर्ण नागरिकता संशोधन अधिनियम (2019) के खिलाफ हुए आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।
भाजपा नेतओं को जवाब
बीते कुछ वर्षों में देखने में आया है कि भारत के किसी भी राज्य में होने वाला चुनाव बिना पाकिस्तान का नाम लिये मुकम्मल नहीं होता। हाल ही में भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने कांग्रेस से जवाब मांगा है कि क्या उनका उम्मीदवार “जिन्ना का समर्थन करता है”। “कांग्रेस और महागठबंधन के नेताओं को देश को जवाब देना होगा कि क्या जले उम्मीदवार जिन्ना का समर्थन करते हैं। उन्हें बताना होगा कि क्या वे भी जिन्ना का समर्थन करते हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भी तत्काली भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि अगर बिहार चुनाव में भाजपा हार जाती है, तो “पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाएंगे”।
मसकूर का कहना है कि चुनाव में राज्य में “सत्ता-विरोधी लहर” है। “भाजपा के नेता हमेशा दुष्प्रचार करके जनता को भटकाने का काम करते रहे हैं। मैं उन्हें गंभीरता से नहीं लेना चाहता। मैंने उनके एजेंडे को खत्म कर दिया है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य में एक बहुत बड़ी सत्ता-विरोधी भावना है, यही वजह है कि वे (भाजपा) नकली मुद्दे लाते रहते हैं।
पाकिस्तान से हमारा क्या मतलब
मसकूर अहमद उस्मानी कहते हैं कि “जिन्ना और पाकिस्तान के संबंध में इन विवादों का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। मैंने मई 2018 में पीएम मोदी और तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र लिखा था। मुझे कोई जवाब नहीं मिला और मेरा कार्यकाल 15 दिनों के बाद समाप्त हो गया। एएमयू मेरी पारिवारिक संपत्ति नहीं है जहां मैं अपने दम पर कुछ भी नहीं कर सकता था। जिस समय विवाद उठा, उससे निपटने के लिए मेरा दृष्टिकोण संवैधानिक था। पत्र में, उन्होंने पीएम मोदी से आदेश के लिए कहा, हालांकि, कोई जवाब नहीं आया। अब मसकूर ने जिन्ना की तस्वीर पर सवाल उठाने वाले भाजपाईयों पर ही सवाल दाग दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि मेरे पत्र पर पीएम मोदी चुप क्यों रहे? वे क्यों नहीं चाहते कि जिन्ना की तस्वीर को हटाया जाए? क्या वे सिर्फ मीडिया में विवाद पैदा करना चाहते हैं और एक हिंदू-मुस्लिम आख्यान स्थापित करना चाहते हैं।
मसकूर कहते हैं कि मैं कोई ऐसा व्यक्ति हूं जो विकास के लिए काम कर सकता है, आपके (जनता) बच्चों को स्कूल ले जा सकता है, उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे सकता है, और किसानों के मुद्दों को बेहतर तरीक़े से उठा सकता है। मसकूर बताते हैं कि किसान अभी भी ‘साहुकार’ में जाते हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि यदि वे इसके लिए आवेदन करते हैं। रबी सीजन में ऋण, वे इसे खरीफ में प्राप्त करते हैं, और अगर वे खरीफ के मौसम में लोन मांगते हैं, तो यह रबी में संकट के समय में किसानों को मुआवजे के रूप में 6,000 रुपये मिलता है, जबकि एक स्थानीय नेता को प्राप्त करने के लिए 2 लाख रुपये खर्च होंगे। भारी बारिश के समय उनके घरों में पानी भर जाता है। यह स्थिती बिहार की है।
राहुल प्रियंका पर है भरोसा
कांग्रेस उम्मीदवार ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में शिक्षा में बड़े पैमाने पर सुधार लाना चाहते हैं, “जले में, साक्षरता दर 65% है और अभी भी 35% ऐसे लोग हैं जो कागजात पर हस्ताक्षर तक नहीं कर सकते हैं,” “मानसून के मौसम में यदि दो दिनों तक पटना में बारिश होती है, तो अस्पतालों के सभी रास्ते बंद हो जाएंगे और आईसीयू तक में पानी भर जाएगा। वे कहते हैं कि एक डॉक्टर होने के नाते मैं अच्छी तरह से सुसज्जित अस्पतालों के लिए काम करूंगा।
जानकारी के लिये बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने 90 के दशक से जाले सीट नहीं जीती है। जिस पर उस्मानी कहते हैं कि उन्हें मौजूदा नेतृत्व पर भरोसा है, जिसने गरीबों और असहायों की बात की है। “पार्टी की स्थिति तब अलग थी, अब हम 2020 में हैं। तब से हालात बदल गए हैं। मुझे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।