मंजूर अहमद ने रोका था मोहनलाल का विजयी रथ, मेरठ सीट पर कभी कांग्रेस, तो कभी भाजपा का रहा दबदबा

परवेज़ त्यागी

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शहर विधानसभा सीट का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है। समय-समय पर यह सीट अपना इतिहास बदलती रही है। यहां पर कभी कांग्रेस, तो कभी भाजपा ने अपना दबदबा कायम किया। इस सीट पर अब तक 16 बार विधानसभा का चुनाव हुआ है। जिसमें सात बार भाजपा-जनसंघ और छह बार कांग्रेस के प्रत्याशी जीत दर्ज कर विधायक बने हैं। एक-एक बार जनता दल से अखलाक, यूडीएफ के हाजी याकूब और सपा से रफीक अंसारी जीते हैं। 

सत्तर के दशक में जनसंघ के मोहनलाल कपूर का शहर सीट अभेद्य गढ़ कहलाती थी। कांग्रेस के मंजूर अहमद ने अस्सी के दशक में मोहनलाल कपूर को पटखनी देकर यहां जनसंघ का विजयी रथ रोका था। मंजूर अहमद की यह जीत मामूली नहीं थी, बल्कि कई लिहाज से बड़ी महत्वपूर्ण थी। बता दें, यह वह दौर था जब देश में आपातकाल के बाद पहली बार चुनाव हो रहे थे और इंदिरा विरोधी लहर अपने चरम पर थी। इसके बावजूद मंजूर अहमद ने जीत की हैट्रिक लगाने वाले जनसंघ के दिग्गज नेता मोहनलाल कपूर को हराकर 11 साल बाद शहर सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी। मंजूर के हाथों मिली हार के बाद मोहनलाल ने सियासत से सन्यास ले लिया था। वहीं, मंज़ूर अहमद इस जीत के बाद लीडर बनकर उभरे थे और लोग उनको लीडर मंज़ूर कहने लगे थे।

जनसंघ के मोहनलाल ने लगाई हैट्रिक

मेरठ शहर की सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले एक मात्र विधायक जनसंघ के मोहनलाल कपूर रहे। उन्होंने यहां से 1967, 1969 और 1974 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की थी। कपूर के अलावा यहां से दो बार कांग्रेस से कैलाश प्रकाश 60 के दशक में विधायक बने। कांग्रेस के ही मंजूर अहमद लगातार दो बार अस्सी के दशक में जीते और भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने 2000 के दशक में दो बार विजयी हासिल की, मगर मंजूर और लक्ष्मीकांत जीत की हैट्रिक लगाने में नाकाम रहे। हालांकि सबसे अधिक चार बार यहां से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी के नाम है।

मुस्लिम-ब्राह्मण पांच-पांच बार जीते

मुस्लिम और ब्राह्मण बिरादरी का शहर सीट पर पांच-पांच बार कब्जा रहा है। इस सीट पर मुस्लिम बिरादरी से पहली बार 1977 में कांग्रेस के मंजूर अहमद के नाम जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड है। वह 1977 और 1980 में लगातार दो बार यहां से विधायक चुने गए। इसके अलावा इस बिरादरी के अखलाक अहमद, हाजी याकूब और रफीक अंसारी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। वहीं, इस सीट पर पहले ब्राह्मण विधायक कांग्रेस के ही जयनारायण शर्मा चुने गए थे, जो मंजूर अहमद को 1985 में चुनाव हराकर जीते थे। इसके बाद चार बार भाजपा के सिंबल पर इसी बिरादरी के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चुनाव जीता। शहर सीट तीन बार पंजाबी बिरादरी के मोहनलाल कपूर के पास रही और तीन बार वैश्य बिरादरी के विधायक चुने गए। इसमें दो बार कांग्रेस से कैलाश प्रकाश और एक बार इसी दल के जगदीश शरण रस्तोगी जीते हैं।

85 के बाद दूसरे स्थान को भी तरसी कांग्रेस

कभी कांग्रेस का गढ़ रहने वाली शहर की सीट समेत जनपद में 1985 के बाद कांग्रेस का खाता नहीं खुला। मेरठ सीट की बात करें, तो यहां कांग्रेस के आखिरी विधायक जयनारायण शर्मा बने थे। इसके बाद जीत तो दूर कांग्रेस के लिए शहर में दूसरा स्थान पाना भी मुश्किल हो गया। एक मात्र  2012 का विधानसभा चुनाव ऐसा रहा, जिसमें पार्टी प्रत्याशी ने दूसरे चुनाव के मुकाबले कुछ बेहतर प्रदर्शन किया। इस चुनाव में यूसुफ कुरैशी को कांग्रेस के निशान पर 32 हजार वोट मिले, मगर तीसरे पायदान से ऊपर नहीं  पहुँच सके। इस बार कांग्रेस ने यहां युवा चेहरे डिप्टी मेयर रंजन शर्मा पर दांव लगाया है।

सपा को 2017 में हुई जीत नसीब

यूपी में 1992 में अस्तिव में आए दल समाजवादी पार्टी ने मेरठ सीट पर 2017 के चुनाव में पहली बार जीत का स्वाद चखा। यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी रफीक अंसारी ने करीब 29 हजार वोटों के बड़े अंतर से भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी को हराया था। इससे पहले यहां सपा दूसरे स्थान पर तो रही थी, मगर जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। इस बार फिर से मौजूदा विधायक रफीक अंसारी सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने अबकी बार लक्ष्मीकांत वाजपेयी की जगह नए चेहरे कमलदत्त शर्मा पर दांव खेला है। बसपा ने अपना खाता खोलने के लिए शौकत दिलशाद पर भरोसा जताया है। 

साल            विजयी प्रत्याशी           दल

1951   कैलाश प्रकाश                     कांग्रेस

1957  कैलाश प्रकाश                     कांग्रेस

1962  जगदीश शरण रस्तोगी              कांग्रेस

1967  मोहनलाल कपूर                   जनसंघ

1969  मोहनलाल कपूर                   जनसंघ

1974  मोहनलाल कपूर                   जनसंघ

1977  मंजूर अहमद                      कांग्रेस

1980  मंजूर अहमद                      कांग्रेस आई

1985  जयनारायण शर्मा                  कांग्रेस

1989  लक्ष्मीकांत वाजपेयी                भाजपा

1993  अखलाक अहमद                   जनता दल

1996  लक्ष्मीकांत वाजपेयी                भाजपा

2002  लक्ष्मीकांत वाजपेयी                भाजपा

2007  हाजी याकूब कुरैशी        यूडीएफ

2012  लक्ष्मीकांत वाजपेयी       भाजपा

2017  रफीक अंसारी                सपा