नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की एक ऑनलाइन बैठक 15 अगस्त को मौलाना सैय्यद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी की अध्यक्षता में और कार्यवाहक महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी के प्रबन्धन में सम्पन्न हुई। क़ुरआन की तिलावत के बाद उन्होंने मृतक सदस्यों के प्रति अपनी ताज़ियत (संवेदना) व्यक्त की, उसके उपरान्त आपने पिछले छः महीने की रिपोर्ट प्रस्तुत की विशेष तौर पर इस्लाहे मुआशरा कमेटी, दारुल क़ज़ा कमेटी, सोशल मीडिया डेस्क और लीगल कमेटी के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की समीक्षा की जिसपर सभी उपस्थित लोगों ने विश्वास जताया।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश प्रशासन की ओर से मस्जिद ग़रीब नवाज़ जनपद बाराबंकी के विध्वंस की कड़ी निन्दा की गयी और बोर्ड के वकील इस सम्बन्ध में जो क़ानूनी प्रयास कर रहे हैं उस पर भी सन्तुष्टि व्यक्त की गयी। कुछ समूहों की ओर से मौजूदा वक़्फ़ कानून को ख़त्म कर देने की जो बात कही जा रही है और राजनीतिक व न्यायिक स्तर पर जो कोशिश हो रही है, बैठक ने उसकी कड़ी निन्दा की और तय किया कि शांतिपूर्ण ढंग से ऐसे प्रयासों को विफल बनाया जाए, यह बात भी महसूस की गयी कि वक़्फ़ की सम्पत्तियों के सिलसिले में स्वयं मुसलमानों की ओर से बड़ी ज़बरदस्तियाँ हुईं हैं और बहुमूल्य सम्पत्ति बर्बाद हो रही हैं, इस संबंध में तहफ़्फ़ुज़-ए-अवक़ाफ़ के लिए एक आंदोलन चलाया जाए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि मुसलमानों और वक़्फ़ के मुतवल्लियों को ध्यान दिलाया जाए कि वह वक़्फ़ के अवैध प्रयोग से सचेत रहें और अवक़ाफ़ की सुरक्षा करें। शीघ्र ही इस सम्बंध में बोर्ड की ओर से देश के विभिन्न भागों में जागरूकता अभियान आयोजित किये जाएंगे, बैठक में यह बात भी तय की गयी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ से सम्बंधित बोर्ड का संकलित किया गया मजमूआ क़वानीन-ए-इस्लामी शीघ्रतापूर्वक उर्दू एवं अंग्रेज़ी में प्रकाशित कर दिया जाए इसके साथ ही बोर्ड की ओर से लॉ जर्नल का विमोचन किया जाए जो अंग्रेज़ी और उर्दू दोनों भाषाओं में हो, जिसमें अल्पसंख्यकों से सम्बंधित संविधान में दी गयी जमानतों और अदालती निर्णयों की व्याख्या की जाए, पर्सनल लॉ से सम्बंधित शरई क़ानून को आसान भाषा मे लिखा जाए और शरई क़ानून के सम्बंध में जो भ्रांतियां उत्पन्न की जाती हैं वह दूर की जाएं।
साथ ही यह पत्रिका अंग्रेज़ी एवं उर्दू दो भाषा में होगी और इंशाअल्लाह शीघ्र ही इसका विमोचन किया जाएगा, बोर्ड के अध्यक्ष महोदय ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि हमें स्वयं अपने ऊपर शरिया क़ानून लागू करना चाहिए। झूठे और क्रूर रीति-रिवाजों से बचना चाहिए और प्रत्येक स्तर पर एकता और सद्भाव का सबूत देना चाहिए।
बैठक में मौलाना फ़ख़रूद्दीन अशरफ़ किछौछवी, मौलाना सैय्यद जलालुद्दीन उमरी, मौलाना काका सईद अहमद उमरी, मौलाना मुहम्मद फ़जलुर्रहीम मुजद्दिदी, मौलाना सैय्यद अरशद मदनी, मौलाना मुहम्मद उमरैन महफ़ूज़ रहमानी, मौलाना यासीन अली उस्मानी, डॉ. क़ासिम रसूल इलियास, मौलाना अतीक़ अहमद बस्तवी, मौलाना ख़लील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी, मौलाना महमूद दरियाबादी, बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी, एडवोकेट यूसुफ़ हातिम मछाला, जनाब एडवोकेट एम.आर. शमशाद, प्रोफ़ेसर सऊद आलम क़ासमी, डॉ. ज़हीर काज़ी, जनाब कमाल फ़ारूक़ी, जनाब एडवोकेट ताहिर हकीम, मौलाना अनीस-उर-रहमान क़ासमी, मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगी महली, जनाब आरिफ़ मसूद साहब, मोहतरमा डॉ. अस्मा ज़हरा और अन्य सदस्यों ने भाग लिया।