विक्रम सिंह चौहान
लोकसभा में सबसे तेजतर्रार और प्रखर तरीके से मुद्दों को उठाने वाली टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी के सांसदों ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। महुआ ने दो दिन पहले संसद में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मौजूदा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई की बखिया उधेड़ दी थीं। गोगोई के सुप्रीम कोर्ट के एक महिला कर्मचारी के साथ यौन शोषण इसी मामले में खुद को क्लीनचिट और फिर राम मंदिर पर उनके फैसले पर महुआ ने संसद में आक्रामक भाषण दिया था।
उनके भाषण के इस अंश को रिकार्ड से हटा दिया गया था ,नियम तो कहता है बयान सदन की कार्यवाही से हटाने (Expunge) के बाद विशेषाधिकार का नोटिस नहीं दिया जा सकता है लेकिन जब संसद में संघी बैठे हो तब नियम और संविधान की कद्र कहाँ तक होगी। ओम बिरला जरूर इसे एक्सेप्ट करेंगे। लेकिन यही ओम बिरला तब चुप थे जब 2019 में ज़ी न्यूज़ के सुधीर चौधरी ने महुआ के संसद में दिए भाषण को चोरी का बता दिया था। महुआ मोइत्रा उनके स्पीच पर सवाल उठाने के लिए सुधीर चौधरी पर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाई थीं जिसे ओम बिरला ने खारिज कर दिया था। महुआ संसद से लेकर कोर्ट तक इस सरकार से और गोदी मीडिया से लड़ती रही हैं। उनका पहला भाषण ही देश में फांसीवाद का संकेत देते हुए सात मुद्दों पर था जिसने सबको झकझोर दिया था।
जेपी मॉर्गन में काम कर चुकीं बैंकर महुआ मोइत्रा न्यूयॉर्क में अपनी शान-ओ-शौकत भरी जिंदगी को छोड़कर राजनीति में कुछ बदलने आईं हैं। संसद में उनकी कड़ी आपत्ति के बाद इसी सरकार को लिखित में सदन को बताना पड़ा था कि 2014 से 2018 के टेन्योर में सरकार ने मीडिया को लगभग 5,246 करोड़ रुपये दिए थे। महुआ ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भी मोदी के गुणगान के लिए थोक में दिए गए पैसे की भी पाई पाई हिसाब इस सरकार से मांगी थी। गोदी मीडिया के प्रमुख स्तंभ ज़ी न्यूज़ समूह के सुधीर चौधरी को मानहानि के केस में कोर्ट तक खींच लाने वाली महुआ ही थीं। महुआ मोइत्रा ने बता दिया है कि वे बोलतीं ही नहीं करके दिखाती है। हमें इस बहादुर महिला के साथ मजबूती से खड़ा होना होगा। संसद में उनकी आवाज़ और जोर से गूंजनी चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)