नई दिल्लीः रामनवमी का त्यौहार अपने पीछे हिंसा के कई निशान छोड़ गया है। राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, झारखंड, गोवा, बंगाल, बिहार जैसे राज्यों में रामनवी जुलूस के दौरान हिंसा हुई है। इस हिंसा में जहां मानवता को शर्मशार करने वाली घटनाएं सामने आईं हैं, वहीं एक घटना ऐसी भी है जिसने मानवता का की मिसाल पेश की है। मामला राजस्थान के करौली का है, जहां पिछले दिनों हिंसा हुई थी।
दंगाईयों की हिंसक भीड़ में इंसानियत की मिसाल करौली दंगों के दौरान मधुलिका सिंह ने पेश की है। उन्होंने अपने भाई के साथ 15 लोगों को अपने घर में पनाह देकर ना सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि आग में झुलस रही दुकानों को भी बचाने का प्रयास किया।
कौन हैं मधुलिका
मधुलिका 48 वर्षीय विधवा हैं, उनके दो बच्चे हैं। वे पति की मृत्यु के बाद से पिछले पांच वर्षों से कपड़ों के व्यवसाय में हैं। उनकी दुकान उसी बाजार में है जहां हिंसा हुई थी। दो अप्रैल को जब रामनवमी का जुलूस इस बाजार से गुजर रहा था तो यहां दंगा भड़क गया। मधुलिका ने बताया कि तोड़फोड़ और शोर की आवाज सुनकर वे बाहर गई तो देखा लोग हड़बड़ी में दुकानें बंद करके भाग रहे हैं। वहीं, सामने से एक भीड़ आ रही थी, जिसका उन्होंने बहादुरी से सामना किया।
निडरता से किया भीड़ का सामना
पुलिस के मुताबिक, यहां जुलूस ने लाउडस्पीकर पर आपत्तिजनक नारे लगाए और उसके बाद हिंसा और पथराव शुरू हो गया। मधुलिका ने बताया कि जिस वक्त यह घटना हुई तो कुछ लोगों ने उनसे शटर बंद करने को कहा। शोर की आवाज सुनकर वे बाहर निकलीं तो उन्होंने देखा कि लोग सड़कों पर भाग रहे हैं और कुछ लोग दुकानों में आग लगा रहे थे। मधुलिका और उनके भाई संजय ने अपने परिवार की परवाह किए बिना करीब 15 लोगों को घर में शरण दी और इनकी जान बचाने लिए निडरता से दंगा कर रहे लोगों का सामना किया।
आग बुझाने के लिए बाल्टी भरकर दुकानों पर फेंका पानी
जनसत्ता के मुताबिक़ इसी शॉपिंग कॉम्पलैक्स में ब्यूटी पार्लट चलाने वाली मिथिलेश सोनी ने तीन महिलाओं के साथ मिलकर दुकानों पर लगी आग बुझाने के लिए बाल्टी भर भरकर पानी डाला। मिथिलेश ने बताया कि हमने हिंसा को देखते हुए मुस्लिम बच्चों को बाहर नहीं निकलने दिया। करौली सदर बाजार मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र शर्मा ने कहा, “इस बाजार में हिंदू और मुसलमान वर्षों से एक साथ व्यापार कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं जहां लोगों के बीच अविश्वास और फूट हो। हम शांति और भाईचारे की वापसी चाहते हैं।”