रंगनाथ सिंह
देखने वाले कहते हैं वो पूरब की वीनस थी। वीनस, सौन्दर्य और प्रेम की ग्रीक देवी। वीनस सच थी या कल्पना, पता नहीं। मधुबाला हकीकत थी। वीनस के बारे में बस लोगों ने बस सुना था। मधुबाला को दुनिया ने देखा। देखने वाले कहते हैं हिन्दी सिनेमा की ज़मीं पर ऐसा सरापा नूर फिर नहीं उतरा।
उसके चाहने वाले कहते हैं, वो दुनिया की सबसे हसीन औरत थी।जिस दिलीप कुमार के लाखों दीवाने थे, वो उसकी एक झलक पाने के लिए 100 मील कार चलाकर मुंबई से पुणे जाया करते थे। जिस शम्मी कपूर के याहू पे लाखों दिल थिरक उठते थे, उसका दिल उसकी एक झलक से लरज जाता था।
बाकमाल लेखक-निर्देशक कमाल अमरोही घण्टों उसका दुपट्टा न ढुलक जाए, ये एहतियात किया करते थे। नायक-खलनायक प्राणनाथ जिसके एक गुलाब से मोम जैसे पिघल गये थे।
केदार शर्मा जैसे आला निर्देशक उसकी कमसिनी पर पहली नज़र में फिदा हो गये थे। शोमैन राज कपूर को केदार शर्मा ने जब बतौर एक्टर ब्रेक दिया और तो उनसे राज ने पूछा – हिरोइन कौन रहेगी? केदार ने पूछा, तुम्हें कौन चाहिए? राज कपूर ने कहा- मधुबाला मिलेगी!
सिल्वर स्क्रीन पर नारी रूप की सबसे मनोहारी नक्काशियाँ करने वाले राज कपूर को लगता था, “मधुबाला को ख़ुद ईश्वर ने अपने हाथों, संगमरमर से तराशा है। वैसे ही जैसे मुगले-आजम (फिल्म) के संगतराश को दुनिया का सबसे खूबसूरत मुजस्समा बनाने का हुक्म मिला तो उसने बुत की जगह अनारकली (मधुबाला) को पेश कर दिया और उसकी खूबसूरती से बादशाह और शाहजादे सलीम दोनों का दिल बिंध गया। संगतराश जानता था, मधुबाला फानी दुनिया के सबसे बड़े संगतराश (खुदा) का अजीम शाहकार थी।
बुरा ये हुआ, खुदा भी इंसानों का खुदा निकला। बन्दों की तरह खुदा भी एक भूल-गलती कर बैठा। कमबख्त, ना जाने किस हड़बड़ी में था। खुदा, ने दुनिया की सबसे हसीन औरत के दिल में सुराख छोड़ दिया। आह….जा खुदा तेरी इस खता के लिए तुझे माफ किया..