UAPA के तहत जेल में बंद सोशल एक्टिविस्ट ख़ालिद सैफ़ी का ख़त ‘सिर्फ अपने बारे में सोचता तो कभी जेल नहीं आता’

नई दिल्लीः सोशल एक्टिविस्ट और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट अभियान से जुड़े ख़ालिद सैफ़ी फरवरी दो0दो0 से दिल्ली की एक जेल में बंद हैं। उन पर यूएपीए लगाया गया है। जेल में बंद ख़ालिद सैफ़ी ने एक ख़त लिखा है, जिसे उनकी पत्नी नरगिस सैफ़ी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। ख़ालिद द्वारा लिखा गया यह ख़त हिंदी भाषा में है, लेकिन उनकी पत्नी द्वारा इसका अनुदित संस्करण सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है। हम ख़लादि सैफ़ी द्वारा लिखे गए इस ख़त को नीचे प्रकाशित कर रहे हैं।

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जंतर मंतर पर नागरिकता क़ानून विधेयक की प्रति जलाते ख़ालिद सैफ़ी

सलाम साथियों

मैं यहां आप सब की दुआओं की बरकत से खैरियत से हूं और उम्मीद करता हूं आप सभी खैरियत से होंगे ।डेढ़ साल हो गया है मुझे जेल में रहते हुए और अभी पता नहीं कितना वक्त लगेगा? दुआ करें जल्दी बेल हो जाए। आपसे एक मजेदार किस्सा शेयर करना चाहता हूं, आलू का चोखा जिसे आलू की सब्जी या भरता भी कहते हैं। यहां हमें नाश्ते में दो दिन खिचड़ी, दो दिन दलिया और दो दिन ब्रेड के साथ आलू का चोखा और संडे को एक आलू का पराठा मिलता है। ब्रेड चोखा सब का फेवरेट है। जब मैं जेल में आया तो तीसरे दिन नाश्ते के टाइम 7:00 बजे बैरिक में काफी हलचल थी और सभी अपनी प्लेट लेकर वेट कर रहे थे। मेरे पूछने पर किसी ने बताया कि आज ब्रेड और चौका आएगा इसलिए सब इस कोशिश में है कि थोड़ा ज्यादा मिल जाए।बहर हाल मैं वहीं बैठा रहा क्योंकि मैं व्हीलचेयर पर था तो मुझे वहीं बैठे हुए ही मिल गया।

तीन ब्रेड स्लाइस और एक छोटा चम्मच चौखा दिया मैं उसे गौर से देखने लगा और सोचने लगा यार इसे खाऊं,देखूं , या चखू या सूंघ कर काम चला लू। एक निवाले का तीन ब्रेड स्लाइस के साथ आया था। कम था लेकिन टेस्टी था, मुझे अच्छा लगा इतनी ही क्वांटिटी में मिला फिर मैंने कुछ जुगाड़ बिठाया जो लड़का हमारे वार्ड में खाना बनाता था उससे दोस्ती की और उसे एक्स्ट्रा चोखा का जुगाड़ किया लेकिन ब्रेड के लिए उसने मना कर दिया कहा कि ब्रेड गिनती से आती है ।एक और जान पहचान वाले से कहा  जो दूसरे वार्ड में था लकी ली वहां से ब्रेड का जुगाड़ हो गया अब हफ्ते में दो दिन पेट भर कर नाश्ता होने लगा साथ ही साथ एक दो दोस्त की दावत भी कर देता था,  कुछ महीनों के बाद चोखा आना बंद हो गया। पहले लगा लॉकडॉउन की वजह से बंद हुआ है,जब काफी दिन तक चोखा नहीं आया और सुखी ब्रेड खानी पड़ रही थी तो मैंने बहुत लोगों से कहा चलो इसकी शिकायत करते हैं अथॉरिटी से लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ फिर एक दिन मैं अकेले ही असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट के पास गया और कंप्लेंट कि उन्होंने कहा वह पता करके बताएंगे क्यों बंद हो गया है।

शाम को उन्होंने बताया कि आलू मैश करने वाला घोटा टूट गया है इसलिए नहीं बन रहा चोखा, मैंने कहा सर वह तो बहुत मामूली चीज है मंगवाते क्यों नहीं है लंगर वाले,उन्होंने कहा कि जल्दी हो जाएगा लेकिन कई बार रिमाइंडर के बाद भी नहीं  हुआ। इन सब में कई महीने बीत गए ,लेकिन चोखा नहीं आया जिस दिन ब्रेड आती थी तो सब उम्मीद करते थे कि शायद चोखा भी आएगा लेकिन नहीं आता था।

एक दिन जेल सुपरिटेंडेंट पूरी टीम के साथ राउंड पर आई, वह बहुत ऑनेस्ट और काबिल ऑफिसर हैं।मैंने मैडम के सामने जो चौखा ना मिलने की बात कही और बताया लास्ट तीन चार महीने से नहीं मिल रहा है।यह सुनते ही वह शौक हो गई और कहा आपने पहले क्यों नहीं बताया। मैंने कहा आपके स्टाफ हो बहुत बार बोला पर कुछ हुआ नहीं। मैडम ने डिप्टी सुपरिटेंडेंट से पूछा उन्होंने अपने असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट और उन्होंने अपने नीचे वालों से पर किसी के पास कोई जवाब नहीं था मैडम ने वहां प्रॉमिस किया के नेक्स्ट टाइम से चौका जरूर आएगा। मैडम वहां से डायरेक्ट लंगर गई और वहां ऊपर से नीचे तक जितने लोग काम कर रहे थे सबको खूब डांटा उनकी लापरवाही के लिए।

दो दिन बाद ब्रेड के साथ चोखा आया तो पूरी जेल में चर्चा होने लगी, थोड़ी देर में ही सबको पता चल गया कि खालिद भाई ने मैडम से कंप्लेंट करी थी, उसके बाद ही चोखा आना शुरू हुआ है बहुत से लोग मुझे मिले तो शुक्रिया कहने लगे। उसी दिन शाम को जेल के कुछ सीनियर लोग ( मतलब भाई लोग) एक जगह मुझे मिले और कहने लगे खालिद भाई आपको क्या जरूरत पड़ी थी कंप्लेंट करने की अब जिस-जिस को मैडम ने डांटा है वह सब आपके पीछे पड़ जाएंगे अगर आपको कुछ खाना था तो हमें बता देते हम बनवा देते।

मैंने कहा भाई मसला मेरा अपना नहीं है मैं तो जुगाड़ कर लेता हूं या कैंटीन से खरीद कर खा लेता हूं। लेकिन जेल में 80 लोग ऐसे हैं जो सिर्फ वही खाते हैं जो यहां लंगर से मिलता है।उनके लिए आवाज उठाई थी।अब बाकी जो होगा देखा जाएगा। उन्होंने कहा भाई आप अपना देखो दूसरों को रहने दो। मैंने दिल में कहा अगर सिर्फ अपने बारे में सोचता तो कभी जेल नहीं आता।। उसके बाद जेल के एडमिनिस्ट्रेशन से भी बहुत रिस्पेक्ट मिलने लगी।।जो जेल में गरीब साथी है वो भी अब अपनी परेशानिया लेकर आते रहते हैं जिसकी जितनी हो सकता है हेल्प करने की कोशिश करता हूं।

आज सुबह ब्रेड का चोखा खाया तो ख्याल आया कि यह लिख देता हूं…

दुआ में याद रखिएगा

आपका भाई खालिद सैफी

अल्लाह हाफिज़