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क्या है मिजोरम और असम हिंसा के पीछे की थ्योरी? इन सात तथ्यों को पढकर समझें पूरा मामला

लक्ष्मी प्रताप सिंह

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कोरोना के बाद पूरे विश्व में अशांति है। अमेरिका, ब्राजील, चीन जैसे बड़े देशो से लेकर अफ़्रीकी छोटे देशों तक हर जगह किसी ना किसी मुद्दे को लेकर जनता सड़क पे उतर चुकी है। लेकिन भारत में आम आदमी अभी सड़क पर नही आया है। जबकि भारत में कोरोना में एक तरफ लोगों की आय ख़त्म हुईं और दूसरी तरफ सरकार ने कोरोना को मनमानी करने का हथियार बना लिया है। सरकार ने अपने फायदे की गतिविधियां तो जारी रखी लेकिन जनता के फायदे के नाम पे कोरोना का बहाना देके स्थागन की टालो नीति अपना रखी है।

उदाहरण के लिए:

(1) यदि सरकार को किसी पे कार्यवाही करनी है तो सफूरा जर्गर को लॉकडाउन के मध्य आधी रात उठा लिया, लेकिन यदि आम जनता को न्याय चाहिए तो न्यायालय बंद है।

(2) यदि सरकार को चुनाव कराने हैँ तो बिहार, बंगाल के चुनाव कर दिए, लाखों की भीड़ इकट्ठी कर दी, लेकिम जनता शादी करें तो DM वहाँ जाके दूल्हे तक को अरेस्ट करले और रिश्तेदारों को पीट दे।

(3) सरकार कुम्भ मेला आर्गेनाएज करवा दे लेकिन स्कूल और परीक्षाएं रद्द कर दी हैँ।

(4) यूपी में निकाय चुनाव करवा दे लेकिन हाथरस में लड़की का रेप के बाद पुलिस जबरिया बॉडी जला दे और पत्रकार शिद्दीकी कप्पन को जेल में डाल दे और गांव में कोरोना के नाम पे कर्फ्यू लगवा दे।

(5) खिलाडियों को ओलम्पिक में भाग लेने भेज देंगे लेकिन संसद की कार्यवाही में खुद नहीं जायेंगे ना संसद कार्यवाही शुरू करेंगे।

(6) पूरे कोरोना में सरकार ने एक भी नया एम्स जैसा हॉस्पिटल बनाने की नहीं सोची लेकिन नयी संसद का बिल भी पास हो गया और काम दिन-रात जारी है।

(7) कोरोना मरीजों के लिए इमरजेंसी हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस या कोरोना मृत परिवार को मुआवजा देने की किसी योजना पे काम नहीं किया लेकिन प्रधानमंत्री -राष्ट्रपति के लिए बोईंग से उड़न खटोले जरूर ख़रीद लिए।

इन सारे तथ्यों को जनता धीरे -2 समझती जा रही है। 2 करोड़ से ज्यादा आबादी मिडिल क्लास से गरीबी में खिसक गयी है और आने वाले 5 महीने में करीब 3 करोड़ और लोग गरीब होने वाले हैँ। ध्यान रहें 2019 में भारत की अर्थवयवस्था की दर कोरोना से पहले ही करीब -1.2% तक पहूँच चुकी थी। कोरोना के बाद सेंसेक्स खुलते ही आर्टिफिशियल तरीके से ऊपर गया। ये उछाल फेक था इसी वजह से अडानी जैसे ग्रुप के शेयर भी कॉलेस्प कर रहे हैँ। आने वाले समय में बहुत कुछ कोलेस्प करेगा।

इन सब तथ्यों के आधार पर भारत में अशांति होना तय है। फिलहाल लोग सेविंग या क्रेडिट यूज कर रहें हैँ बहुत जल्दी ये ख़त्म होने वाला है। बहुत जल्दी लोग सड़क पर विरोध करने उतरेंगे, अशांत होंगे, सरकार से सवाल करेंगे या लड़ेंगे। इससे पहले ही देश का चाणक्य उन्हें आपस में ही लड़वा देगा। लोगों के गुस्से को चैनलाइज किया जा यह है ताकि सरकार पर ना फूटे। कोरोना के शुरूआती दौर में इस गुस्से को तबलीगी जमात की तरफ मोड़ा गया था अब एक दूसरे की तरफ मोड़ा जायेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं?