लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के संयोजक ललन कुमार ने पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से जूझ रही जनता को पिछले दरवाज़े से लूट रही है मोदी सरकार। पांच विधानसभाओं के चुनाव ख़त्म होते ही भाजपा सरकार का तेल की लूट का खेल शुरू हो गया है, जिसके अंतर्गत मोदी सरकार ने पिछले आठ दिन में पेट्रोल 1.40 रुपए और डीजल को 1.63 रुपए प्रति लीटर महँगा कर दिया है। 2014 में सस्ता ईंधन देने के नाम पर नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए थे। देश की जनता ने उन्हें बखूबी अपनी पलकों पर बिठाया और भारी जनादेश से प्रधानमंत्री बनाया। जनता को आखिर क्या हासिल हुआ? महँगा ईंधन? उस बढे हुए ईंधन के कामों के कारण बढती महँगाई।
ललन कुमार ने कहा कि जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 रुपये प्रति लीटर और 3.46 रुपये प्रति लीटर पर था, जिसमें भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोल पर 23.78 प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गयी है, जो यूपीए की तुलना में क्रमशः 258 और 820 प्रतिशत ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2020-21 तक 6.5 वर्षों की अवधि के बीच, केंद्रीय भाजपा सरकार ने 12 बार पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि की और जनता से साढ़े छह साल में 21.50 लाख करोड़ रुपए वसूले हैं। मोदी सरकार ने कोरोना काल में तो पेट्रोल -डीजल कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी कर मुनाफाखोरी व शोषण के सभी हदों को पार कर दिया है।
ललन ने कहा कि कोरोना काल में ही पेट्रोल पर 13 रुपए और डीजल में 16 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गयी है। मोदी सरकार यदि पिछले साढ़े छह वर्षों के दौरान स्वयं के द्वारा बढ़ाए गया उत्पाद शुल्क को ही वापस ले ले तो जनता को भारी राहत मिल सकती है।
कांग्रेस मीडिया संयोजक ने कहा कि ये बढ़ते दाम हर एक वस्तु की महँगाई का कारण हैं। ईंधन की वजह से महँगा हो रहा ट्रांसपोर्टेशन परशानी का सबब है। महँगे ट्रांसपोर्टेशन के कारण ज़रूरत की वस्तुओं के आवागमन का दाम भी बढ़ रहा है। जिसके कारण फल-सब्जी इत्यादि रोज़मर्रा की चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि “बहुत हुई महँगाई की मार…” ये नारा भूल गयी है मोदी सरकार।