लोकसभा में बोले दानिश अली, देश में नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है, यह नफरत हमें खा जाएगी।

नई दिल्ली: हाल ही में रिलीज हुई कश्मीर फाइल्स मूवी विवादों में घिरी हुई है। एक ओर भाजपा शासित राज्य इस मूवी को टैक्स फ्री करके इसे देखने का आह्वान कर रहे हैं, तो वहीं विपक्षी दल कश्मीरी पंडितों के नाम पर हो रही इस सियासत को सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। यूपी के अमरोहा से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने इस मूवी को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है। लोकसभा में अपने संबोधन में कुंवर दानिश अली कहा के मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि पिछले दो वर्षों में आपने कितने कश्मीरी पंडितों को पुनर्स्थापित किया? पिछले सात वर्षों में आपने कितने कश्मीरी पंडितों को जम्मू-कश्मीर के अंदर पुनर्स्थापित किया?

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दानिश अली ने सरकार पर को आईना दिखाते हुए कहा के जिस आतंकवादी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया कि वह आतंकवादी था, अफजल गुरू, जिसने पार्लियामेंट के ऊपर अटैक किया था, उसको शहीद बताने वालों के साथ भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के अंदर सरकार चलाई थी। यहां पर अभी एक बात आई कि कश्मीर फाइल्स एक मूवी आई है, उसको देखना चाहिए।

यह नफ़रत हमें खा जाएगी

बसपा सांसद ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं के कश्मीर फाइल्स हो या गुजरात फाइल्स हो, कश्मीर फाइल्स पर या गुजरात फाइल्स पर मूवीज़ बनाकर लोगों में नफरत का माहौल पैदा नहीं करना चाहिए। यह नफरत हमें खा जाएगी। मेरी सरकार से मांग है की ऐसी किसी भी फिल्म के ऊपर तत्काल बैन लगाया जाना चाहिए, जो इस देश में नफरत की भावना और नफरत की भावना फैलाती है। हम कब तक गुजरात फाइल्स याद करें, हम कब तक कश्मीर फाइल्स याद करें? हमें देश के नौजवानों को देश के निर्माण में लगाना है। हमें बांटने का काम नहीं करना है। हो सकता है की नफरत फैलाकर आपको कुछ राजनीतिक फायदा हो जाए, कश्मीर जलता रहे, जले, आपको दूसरे प्रदेशों में फायदा हो जाए, लेकिन यह देश के लिए अच्छा नहीं है।

उन्होंने कहा के ये किसी से छुपा नहीं है कि जम्मू और कश्मीर के क्या हालात है पिछले तीन दशकों में वहां हजारों की संख्या में लोग वहां मारे गए कश्मीरी पंडितों को वहां से हटाया गया, वहां दस हजार से ज्यादा हाफ विडोज़ यह स्थिति झेल रही हैं। पचासों हजार बेगुनाह लोग वहां मारे गए हैं। जब यह सरकार आई थी, तो इन्होंने वादा किया था कि कश्मीरी पंडितों को वहां पुनर्स्थापित किया जाएगा।

कब होंगे कश्मीर में चुनाव?

दानिश अली ने कहा कि वर्ष 2019 के बाद जब यहां पर कश्मीर पर चर्चा हो रहा था, जब जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को खत्म किया गया, जब जम्मू-कश्मीर राज्य के टुकड़े किए गए, जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकार छीने गए, उस वक्त यहां पर बड़े जोर-जोर से भाषण हो रहा था। मुझे भी सामने से गृह मंत्री जी ने उठकर कहा था कि दानिश अली जी, अब आप भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, पहले नहीं खरीद सकते थे। मैं पूछना चाहता हूं कि कितने उत्तर प्रदेश या गुजरात के लोगों ने कश्मीर के अंदर प्लॉट खरीदे हैं? कितना वहां पर निवेश हुआ है? मैं चाहता हूं क वहां पर निवेश हो, वहां के नौजवानों को रोजगार मिले और वहां पर अमन और शांति रहे।

दानिश अली ने जम्मू और कश्मीर के मौजूदा हालत पर बोलते हुए कहा के आज सुबह लोकसभा अध्यक्ष साहब बैठे थे, तब उन्होंने भी यह बात कोट की। मेरे ख्याल से इस लोकसभा के तीन सौ के करीब सांसद कश्मीर गए हैं। मैं भी अपने परिवार के साथ वहां गया था। वहां पर शाम छ: बजे के बाद जो सिक्योरिटी में लोग रहते हैं, बुलेट प्रूफ गाड़ी में बैठाकर कह रहे थे की छ: के बाद हम भी आपके साथ नहीं जाएंगे। उसके बाद होटल में बंद कर दिए जाते हैं।

दानिश अली ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल हो। जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ है, उनको न्याय मिले और उनको रोजगार मिले। डीलिमिटेशन का बहाना करके वहां के चुनाव न टाले जाएं। जम्मू-कश्मीर की असेंबली बहाल की जाए। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, सरकार आत्ममंथन करे कि जम्मू-कश्मीर का बंटवारा करके कितना फायदा हुआ है, कितना नुकसान हुआ है और बार्डर पर आज क्या स्थिति पैदा हुई है? इसकी जिम्मेदारी से कोई नहीं बच सकता, सरकार नहीं बच सकती। सरकार इस पर ध्यान दे। हम चाहते हैं कि जब हम लोग वहां जाएं, संसद सदस्य वहां जाएं तो खुलेआम आम आदमी की तरह जाकर घूमे न कि हमारे साथ सिक्युरिटी जाए।

उन्होंने कहा के आज इस सदन में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को अनुपूरक अनुदान की मांग पर चर्चा हो रही है इसका अधिकार तो जो जम्मू कश्मीर के चुने गए वहां के विधानसभा के निर्वाचित प्रतिनिधियों का है लेकिन हमने इस सदन में उनके अधिकार को छिना हुआ है।

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दानिश ने कहा कि गृहमंत्री जी ने बकायदा यह वादा किया था कि कि बहुत जल्द जम्मू और कश्मीर में निर्वाचित विधानसभा होगी वहां के राज्य को पूर्ण दर्जा दिया जाएगा लेकिन आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि जम्मू कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के बाद एक साल से ज्यादा लॉक डाउन की स्थिति में रहे न इंटरनेट कनेक्शन, टेलीफोन कनेक्शन से उन्हें वंचित रख्खा गया, हम लोगों को उनकी पीड़ा उस वक्त समझ में नहीं आ रही थी लेकिन जब हम करोना काल में आये तो हमें और देश की जनता को एहसास हुआ की लॉक डाउन की स्थिति कैसी होती है।

कुँवर दानिश अली ने सरकार से मांग की के जल्द से जल्द जम्मू और कश्मीर में चुनाव कराया जाए डीलिमिटेशन का बहाना करके चुनाव वहां स्थगित ना रखा जाए जो निर्वाचित प्रतिनिधि हैं उन्हें उनका अधिकार दिया जाए।