तीन ग्राम गांजे पर गदर काटने वाला गोदी मीडिया 3000 किलो हेरोइन पर खामोश क्यों हैं? देश के लिए ज्यादा बड़ा खतरा कौन सा है? एक केस है जिसमें कुछ लड़के ड्रग्स का सेवन कर रहे थे. एक केस है जिसमें विदेश से भारतीय सीमा में 21000 करोड़ की ड्रग्स घुसाई जा रही थी. यह पड़ोसी देशों की साजिश हो सकती है कि वे भारतीय युवाओं को बर्बाद करने के लिए नशाखोरी में धकेलने के लिए ड्रग्स पेनेट्रेट कर रहे हों. मीडिया को आखिर सांप क्यों सूंघ गया है? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि यह खेप अडानी के पोर्ट पर पकड़ी गई है?
यह दुनिया की लार्जेस्ट कंसाइनमेंट थी. क्या इतनी बड़ी खेप तस्करी में लाई गई या फिर इसमें कुछ बड़े लोग शामिल हैं? क्या इसमें पोर्ट के अधिकारियों की भी मिलीभगत थी? बिना प्रशासनिक आश्वासन के इतनी बड़ी खेप कैसे मंगाई जा सकती है? क्या यह अकेली खेप थी? क्या गारंटी है कि ऐसी खेप और नहीं आई होंगी? इसे कौन मंगा रहा है? इसे कौन भेज रहा है? क्या इसके पीछे कुछ एक व्यक्ति हैं या यह अंतरराष्ट्रीय रैकेट के तहत हो रहा है? क्या यह कॉरपोरेट का खेल है या इसमें नेता भी शामिल हैं? मीडिया इन सवालों के जवाब क्यों नहीं ढूंढ रहा है?
इस केस की जांच कर रही एनआईए ने मीडिया को बताया है कि दिल्ली, नोएडा में पांच जगह छापेमारी करके उसे कुछ सबूत हाथ लगे हैं. इस केस में चेन्नई, अहमदाबाद, गांधीधाम, और मांडवी में भी छापेमारी हो चुकी है. चेन्नई का एक कपल दिल्ली से अरेस्ट हुआ है. ड्रग्स का ये कंसाइनमेंट आंध्रप्रदेश की किसी कंपनी के नाम आया था. इसका मतलब है कि इसका नेटवर्क संभवत: पूरे भारत में हो सकता है.
क्या इतने बड़े खतरे पर पर्दा डालने के लिए आर्यन खान का केस उछाला गया? सब जानते हैं कि मुंबई में ड्रग्स का कारोबार धड़ल्ले से चलता है और अमीरजादे इसमें फंसे हुए हैं. यह तो ऐसा है कि किसी खौफनाक हत्याकांड को नजरअंदाज कर दिया और पुलिस किसी ऐसे शख्स को तलाशने लगे जिसने खुद ही अपना नाखून काट लिया हो!
(लेखक युवा पत्रकार एंव कथाकार हैं)