हमारी आपकी आस्था भगवान राम में है या भगवान के नाम पर हो रहे गोरखधंधे में? अयोध्या में पहले एक जमीन सौदे पर सवाल उठे थे लेकिन अब कई सौदे सवालों के घेरे में हैं। कुछ खबरों की हेडिंग पर गौर करें-
“अयोध्याः विवादों के घेरे में राम मंदिर ट्रस्ट के दो और जमीन सौदे, 20 लाख की भूमि ढाई करोड़ में खरीदी!”
“अयोध्याः मेयर के भतीजे ने 20 लाख की जमीन ट्रस्ट को 2।5 करोड़ में बेची, महंत ने उठाए मेयर पर सवाल”
“अयोध्या में एक और जमीन विवाद! AAP की मांग- फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो जांच”
“राम मंदिर के लिए जमीन बेचने-खरीदने वाले BJP-RSS से क्यों? कांग्रेस ने पूछे 5 तीखे सवाल”
अब तक कम से कम तीन जमीन के सौदे सामने आए हैं जिनपर सवाल उठ रहे हैं। सबमें एक कॉमन आरोप है कि कुछ लोग कम दाम में जमीनें खरीदकर कई गुना दाम पर इन्हें मंदिर ट्रस्ट को बेच रहे हैं। इन सौदों में मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और उनके भतीजे दीप नारायण के नाम आ रहे हैं। दीप नारायण यूपी में बीजेपी के नेता हैं। वे बीजेपी आईटी सेल से जुड़े हैं। दावा किया जा रहा है कि ऋषिकेश उपाध्याय पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं।
पहली नजर में लगता है कि अयोध्या में मंदिर के लिए जमीन खरीदने के बहाने लूट मची है। पहला विवाद सामने आया कि एक जमीन 2 करोड़ में बेची जाती है और पांच मिनट बाद वही जमीन ट्रस्ट साढ़े 18 करोड़ में खरीद लेता है। इस सौदे पर कई गंभीर सवाल उठे थे, जिनके संतोषजनक जवाब नहीं दिए गए।
अब कहा जा रहा है कि एक नए सौदे में ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण ने एक जमीन 20 लाख रुपये में खरीदी और उसे राम जन्मभूमि ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दी। ये जमीन महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य की थी। उनका आरोप है कि मंदिर ट्रस्ट की ओर से उनसे कोई नहीं मिला। मेयर ही उनसे मिले थे और उन्होंने कहा कि रामलला के मंदिर के लिए जमीन चाहिए तो महंत ने जमीन दे दी। महंत जी का कहना है कि वही जमीन उन्होंने ढाई करोड़ में कैसे बेची, ये मेरी समझ से परे हैं।
एक और जमीन की कीमत 27 लाख रुपये थी, उसे भी मेयर के भतीजे ने राम मंदिर ट्रस्ट को एक करोड़ में बेची है। हैरानी की बात ये है कि जो लोग भगवान के नाम पर भी लूट और भ्रष्टाचार कर रहे हैं, आप समझते हैं कि उनके हाथों में आपका मुस्तकबिल महफूज रहेगा। भगवान भ्रष्टाचारियों के साथ भ्रष्टाचारी नेताओं के भक्तों को भी सद्बुद्धि दें और उन्हें अपना भक्त बनने के लिए प्रेरित करें। भगवान मनुष्यों ऐसा भक्त बनने से रोकें ताकि वे अपनी आस्था का सौदा होने पर उसके खिलाफ आवाज उठा सकें। जय सियाराम!
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)