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KJS ढ़िल्लों: वह अफसर जिसने कुरान और अल्लाह का पैगाम सुनाकर मोड़ दिए गलत रास्ते पर गए लोगों के दिल

नई दिल्लीः कश्मीर में भटके नौजवानों को कुरान और अल्लाह का पैगाम सुनाकर मुख्यधारा में लाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों भारतीय सेना में 39 साल की खिदमात देने के बाद सोमवार को रिटायर हो गए। उनकी आखिरी तैनाती रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) महानिदेशक और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (इंटेलीजेंस) के उप प्रमुख के तौर पर थी। दिसंबर 1983 में सेना में कमीशन प्राप्त करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ‘टाइनी ढिल्लों’ के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने कश्मीर स्थित 15वीं कोर के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ‘ऑपरेशन मां’ शुरू करने के लिए काफी तारीफ हासिल किए थे।

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मां-बाप की सेवा करने का देते थे संदेश

समाचार चैनल ज़ी सलाम की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘ऑपरेशन मां’ के तहत लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने आतंकवाद में शामिल हुए युवाओं के परिवारों से, विशेष रूप ऐसे गुमराह युवाओं की माताओं से संपर्क किया और उनसे अपने बच्चों को राष्ट्रीय मुख्यधारा में वापस लाने का अनुरोध किया था। लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने कहा था, ‘‘अच्छा करो और अपनी मां की और फिर अपने पिता की सेवा करो। पवित्र कुरान में मां का महत्व यही है। यही संदेश मैं सभी गुमराह युवाओं को बताता था।’’

कश्मीर में अपने कार्यकाल के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने एक खुफिया इकाई डीआईए के डीजी के रूप में पदभार संभाला, जिसे 2002 में मंत्रियों के एक समूह की सिफारिशों पर गठित किया गया था। उन्हें उनके करियर के दौरान कई पदकों से सम्मानित किया गया, जिसमें परम विशिष्ट सेवा मेडल और उत्तम युद्ध सेवा मेडल शामिल हैं।

‘‘कितने गाजी आए और कितने गए, हम यहीं हैं’’

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों रणनीतिक रूप से स्थित 15वीं कोर के कोर कमांडर के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद सुर्खियों में आए, जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा में सीआरपीएफ कर्मियों पर फरवरी 2019 के आतंकी हमले के मास्टरमाइंड कामरान उर्फ ’गाजी’ को मार गिराया था। उक्त आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। सुरक्षा बलों की इस सफलता की घोषणा करने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन में उनकी टिप्पणी थी, ‘‘कितने गाजी आए और कितने गए, हम यहीं हैं देख लेंगे सबको।’’ सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस बयान को नियंत्रण रेखा के साथ-साथ भीतरी इलाकों में आतंकवाद से लड़ने में सेना के संकल्प के प्रतिबिंब के रूप में देखा गया था।