मुजफ्फरनगरः किसान नेताओं ने रविवार को सरकार से विभिन्न मुद्दों पर फिर से बातचीत शुरु करने का अनुरोध करते हुए एकबार फिर चेतावनी दी कि वे 2024 तक आंदोलन के लिए तैयार हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित महाकिसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि उनका आंदोलन गैरराजनीतिक है लेकिन किसानों के साथ हो रहे दमन को हर हाल में उठाया जायेगा और आंदोलन को गांव गांव तक लेजाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के किसान महापंचायत पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश का संविधान खतरे में है। हवाई अड्डे , बिजली , बंदरगाह और सड़कों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है, जबकि वोट के समय भारतीय जनता पार्टी ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा था।
राकेश टिकैत ने कहा कि अब खेती और किसानी भी बिकने के कगार पर है और दस साल पुराने ट्रैक्टर के चलने पर पाबंदी लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करनी चाहिए नहीं तो किसानों को चुनाव में वोट की चोट देनी चाहिए।
अब दंगा बर्दाश्त नहीं होगा
उन्होंने मांगे पूरी होने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दुगुनी करने की घोषणा की है और वे एक जनवरी से फसलों को दोगुनी कीमत पर बेचने का प्रचार करेंगे। किसान नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव जीतकर देश का नेतृत्व कर रहे हैं यह अच्छी बात है लेकिन अब यहां दंगा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यहां अल्ला हो अकबर और हर हर महादेव के नारे लगते रहेंगे।
नहीं रखेंगे मुजफ्फरनगर ज़मीन पर क़दम
राकेश टिकैत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने किसान को कर्जदार बना दिया है। किसान को उसकी जमीन का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि गन्ने का भाव 450 रूपये कुन्तल किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार पर किसानो का करीब 12 हजार रूपये करोड बकाया है। उन्होंने कहा कि जब हम किसान से वो पैसा मांगते हैं तो इसे राजनीति करार दिया जाता है। उन्होंने महापंचायत में आये किसानों से सवाल किया कि क्या किसानों की आवाज उठाना अनुचित है। यदि मुद्दा उठाना राजनीति है तो वे ऐसे मुददे उठाते रहेंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त मोर्चा दिल्ली के चारों ओर है। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि वे मुजफ्फरनगर की जमीन पर तब तक पैर नहीं रखेंगे, जब तक यह जन आन्दोलन सफल नहीं हो जाता। किसानो को जीत नही मिल जाती। तब तक वे मुजफ्फरनगर वापिस नही आएंगे। इसके लिए सिर्फ नौ महीने ही नहीं चाहे कितना भी वक्त लग जाए। उन्होंने भाषण के दौरान सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आवाज दबाना चाहती है। किसानों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। सांसद,विधायक अपनी पेंशन व सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह पेशन बढ़ाई जा रही है जबकि किसान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। सरकार को शिक्षक और पुलिसकर्मी की डयूटी के हिसाब से वेतन देना होगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि बडी बडी कम्पनियां 6-7 लाख करोड रूपये लेकर फरार हो गई हैं। जिनका कोई हिसाब किताब नहीं है और न ही सरकार यह बता पा रही है कि वह पैसा कहा से आया था। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण लाखों-करोडो युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। युवाओं के सामने रोेजगार की समस्या है। उनका भविष्य अन्धकारमय होता नजर आ रहा है।
किसान नेता ने कहा कि तीन कृषि कानून वापिस होने चाहिए। एमएसपी कानून लागू होना चाहिए। आज भारत का किसान परेशान व हताश है। उन्होंने कहा कि व्यापारी को सरकार उसके माल का वाजिब दाम दे रही है जबकि किसान को धान व अन्य फसल का सही मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।
मोदी अमित शाह पर निशाना
भाकियू नेता ने अपने भाषण के दौरान अमित शाह, मोदी व योगी पर भी निशाना साधा । उन्होंने कहा कि यह देश का आन्दोलन है जो अपने सफलता तक अनवरत जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि ये देश बचेगा तो संविधान बचेगा। उन्होंने कहा कि किसान लाल किले पर नहीं गया, हमे धोखे से लेकर गए हैं कोई एजेंसी इस बात की जांच करने को तैयार नहीं है। कैमरा और कलम पर पहरा है। आंदोलन जारी रहेगा। देश के नौजवानों के सवाल है कि गन्ने का 450 रुपये कुंतल चाहिए। टिकैत ने कहा कि पूरे देश मे संयुक्त मोर्चा आंदोलन करेगा। गाजीपुर बॉर्डर से नहीं हटेंगे। ये लड़ाई आपके दम पर लड़ी जाएगी और जीती जाएगी।
राकेश टिकैत ने हर हर महादेव और अल्लाह हु अकबर के नारे मंच से लगाए। वाहे गुरु जी का खालसा…वाहे गुरु जी की फतेह के नारे के साथ संबोधन समाप्त कर किया।
भारत बंद का आह्वान
कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित की जा रही किसान महापंचायत में आगामी 27 सितंबर को भारत बंद का फैसला लिया गया है। इस दौरान वक्ताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार के अलावा भाजपा के ऊपर अपने जमकर शब्द बाण चलाए और नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए उन्हें अविलंब वापस लिए जाने की मांग उठाई।
मुज़फ़्फ़रनगर की किसान महापंचायत ख़त्म हो गई है, किसानों ने 27 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है.. मिशन यूपी की शुरुआत..यूपी में बनारस, गोरखपुर समेत 17 और ज़िलों में महापंचायत होंगी..मुज़फ़्फ़रनगर की किसान महापंचायत का एक वीडियो #kisanmahapanchat @ndtv pic.twitter.com/bvLq1hr7Ts
— Saurabh shukla (@Saurabh_Unmute) September 5, 2021
महापंचायत में बताया गया कि नए कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के विभिन्न किसान संगठन पिछले 9 महीने से राजधानी के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर धरना देते हुए नये कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपनी जिद पर अडिग रहते हुए उद्योगपतियों के हित में नये कृषि कानूनों को लागू करने पर तुली हुई है। किसान आंदोलन के तहत अभी तक 600 किसान शहीद हो चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है।
दक्षिण भारत के किसान भी शामिल
किसान संगठनों की ओर से महापंचायत में आगामी 27 सितंबर को भारत बंद किए जाने का फैसला लिया गया है। स्थानीय भाकियू नेताओं के संबोधन के बाद कर्नाटक की किसान नेता अनुसुइया माजी ने कन्नड़ में महापंचायत को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। इनके पूरे भाषण का हिंदी अनुवाद कर नजुंडास्वामी ने किसानों को समझाया। इसके बाद तमिलनाडु से आए किसान नेता ने तमिल व अंग्रेजी में संबोधन किया। जिसका हिंदी अनुवाद मंजूनाथ ने किया।
केरल से आए किसान नेता केवी बीजू ने भी संबोधन कर कृषि कानून वापसी की मांग की। किसान महासंघ शिव कुमार ने कहा कि हमारी नीति और नियत साफ है लक्ष्य प्राप्ति से कोई नहीं रोक सकता। कहा- भाजपा और आरएसएस छद्म सम्मेलन कर भ्रम पैदा करने की फिराक में है। किसानों को बताने की चाल है कि हमने मांगें मान ली।