विक्रम सिंह चौहान
केरल ने कोरोना से जंग लगभग फतह कर लिया है। 503 मरीज थे, 469 ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, 30 का इलाज चल रहा है, यहां देश में सबसे कम क्षति 4 मौतें हुई है। केरल पर कोरोना ने कोई रहम नहीं किया था, बस फर्क इतना है कि कोरोना से तीन कदम आगे केरल राज्य चल रही थी। देश के प्रधानमंत्री 20 मार्च को देश को कोरोना की जानकारी देते हैं, जनता कर्फ्यू और बाद में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते हैं। लेकिन केरल उसी समय एक्टिव हो गया था जब वुहान में यह महामारी अपने भयंकर रूप में थी।
24 जनवरी को केरल ने कंट्रोल रूम बना सभी जिलों को अलर्ट कर दिया था। कंट्रोल रूम बनाने के बाद 18 डिवीजन में राज्य को बांटा गया। इनमें सर्वेलांस, आइसोलेशन सेंटर, ट्रीटमेंट सेंटर और काउंसलिंग सेंटर बनाए गए। हर डिवीजन में एक अफसर तैनात किया गया। हर टीम में 15 लोग थे। बाहर से राज्य में आए सभी लोगों की जांच करना या क्वारंटाइन करना आसान काम नहीं था। इसके लिए एक्सपर्ट की 18 टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन, लॉजिस्टिक कलेक्शन, मरीजों की देखभाल जैसे कामों को निभाया। यहां तक की एक ग्रुप तो लोगों को यह तक बता रहा था कि कैसे प्रोटोकॉल के तहत लोगो को मरने के बाद दफनाया जाए। लेकिन जैसे ही मामले बढ़े राज्य सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों, क्लिनिक सेंटरों, होटलों को भी अपने अंडर में लिया। यह सब फरवरी महीने में ही हो गया था।
देश को याद होगा ठीक इसी समय मोदी ‘केम छो ट्रम्प’ की तैयारी अहमदाबाद में कर रहे थे, जहाँ वर्तमान में एल स्ट्रेन की वजह से कोरोना की मृत्युदर सर्वाधिक हैं। केरल में स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा अपने हाथों में कमांड रखी थीं, यही वजह था कि केरल ने सबसे पहले भारत में कोरोना का केस सामने लाया। वुहान से लौटे छात्र संक्रमित थे। जबकि सच यह है कि भारत में केरल के साथ और कई राज्यों में कोरोना दस्तक दे चुकी थी, लेकिन टेस्ट न होने से वह सामने न आये। केरल में क्वारंटाइन अवधि को भी 28 दिन किया गया। राज्य में डेढ़ लाख लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया।
अब बड़ी बात आखिर केरल कैसे इस महामारी से तीन कदम आगे चल पाया तो इसके लिए दो साल पीछे जाना होगा। केरल दो साल पहले निपाह वायरस से जूझ चुका है। तब भी स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ही थीं, उस समय एक खबर सभी जगह चल रही थी कि खाड़ी देशों ने केरल से केले के आयात पर रोक लगाई। लेकिन मीडिया ने यह नहीं बताया कि खाड़ी देशों ने केरल को महामारी से निपटने करोड़ों रुपए की मदद की है और पीपीई किट व अन्य मेडिकल किट उपलब्ध करवाए हैं। यही किट अभी केरल के लिए वरदान साबित हुआ वे कोरोना से अपनी जनता को भी बचा लिया व डॉक्टरों को भी।
तो केरल मॉडल के तीन हीरो हैं पहला स्वास्थ्यमंत्री केके शैलजा ,दूसरा मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और तीसरा यूएई जिनके दो वर्ष पूर्व भेजे मेडिकल किट आज केरल के काम आ सका। तो कोरोना से लड़ने का यह केरल मॉडल है। गुजरात मॉडल में अभी तक 368 लोगों की मौतें हो चुकी है। तस्वीर उन्हीं का है जिसने लीड किया, अपने राज्य के लोगों के लिए 24 घँटे उपलब्ध रहीं, केके शैलजा।